“बिछड़ने वाले किसी दिन ये देखने आजा चराग़ कैसे हवा के बग़ैर जलता है दोस्तों ने भी सिखाया हमें जीने का हुनर दुश्मनों ने भी बहुत हौसला अफजाई की।”
स्व. के. सी. श्रीवास्तव अवार्ड से केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के पूर्व निदेशक प्रोफेसर रामवीर सिंह को सम्मानित किया गया।
ब्रज पत्रिका, आगरा। आगरा की प्रमुख साहित्यिक सांस्कृतिक व सामाजिक संस्था चित्रांशी का चित्रांशी फ़िराक़ इंटरनेशनल अवार्ड 2024 स्व. के. सी. श्रीवास्तव अवार्ड-2024 व 39वां कुल हिंद मुशायरा होटल ग्रांड आगरा में आयोजित किया गया। चित्रांशी फ़िराक़ अवार्ड से सम्मानित किये जाने वाले प्रसिद्ध शायर राजेश रेड्डी किन्हीं कारणवश उपस्थित न हो सके, इस कारण यह अवार्ड नहीं दिया जा सका।
स्व. के. सी. श्रीवास्तव अवार्ड से केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के पूर्व निदेशक प्रोफेसर रामवीर सिंह को सम्मानित किया गया। संस्था के अध्यक्ष तरुण पाठक, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और पार्क एक्सपोर्ट्स के मालिक नज़ीर अहमद ने उनका माल्यार्पण करते हुये शाल पहनाकर, सम्मान पत्र तथा अवार्ड की ट्राफी देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर बोलते हुए प्रो. रामवीर सिंह ने कहा कि,
“इस तरह के आयोजन देश की साझी संस्कृति की विरासत को बरकरार रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। स्व. श्री के सी श्रीवास्तव ने इस कार्यक्रम की शुरुआत करके आगरा नगर के साहित्यिक क्षेत्र में एक बहुत बड़ा काम किया है। उनके असामयिक निधन के बाद जिन लोगों ने चित्रांशी को संभाला है, वे बधाई के पात्र हैं। आगरा शहर के लोगों को उनका पूरा सहयोग करना चाहिए।”
इसके बाद अध्यक्ष तरुण पाठक, प्रो. रामवीर सिंह व नजीर अहमद ने संयुक्त रूप से शमा रौशन करके मुशायरे का शुभारंभ किया। कुल हिंद मुशायरे में देश के जाने-माने शायर अक़ील नोमानी, डा. नदीम शाद, तारा इक़बाल, कलीम नूरी, चराग़ शर्मा व भरतदीप माथुर ने अपने-अपने बेहतरीन कलाम पेश करके श्रोताओं का दिल जीत लिया। उनके हर शेर पर सभागार में उपस्थित श्रोतागण वाह-वाह कर रहे थे, तथा तालियों की करतल ध्वनि से शायरों का स्वागत कर रहे थे। श्रोताओं ने शायरों को अपनी भरपूर दाद से नवाज़ा। यह मुशायरा देर रात तक चला। संचालन चित्रांशी के महासचिव अमीर अहमद एडवोकेट ने किया।
डॉ. त्रिमोहन तरल, हरीश चिमटी, अब्दुल क़ुद्दूस खां, शिवराज यादव, कर्नल जी. एम. खान, सिराज क़ुरैशी, जाकिर सरदार, सीमांत साहू, अभिनय प्रसाद, प्रो. मोहम्मद हुसैन, असद वैभव, सुनील श्रीवास्तव, डॉ. महेश धाकड़ आदि ने आगंतुकों का स्वागत किया व व्यवस्थायें संभाली।
कुलहिंद मुशायरे में मशहूर शायरों ने अपने-अपने ये कलाम सुनाए
अक़ील नोमानी (बरेली) ने सुनाया,
“बिछड़ने वाले किसी दिन ये देखने आजा
चराग़ कैसे हवा के बग़ैर जलता है
दोस्तों ने भी सिखाया हमें जीने का हुनर
दुश्मनों ने भी बहुत हौसला अफजाई की।”
डॉ. नदीम शाद (देवबंद) ने सुनाया,
“ज़रा सा सब्र था जो कर गये हम
उसे लगने लगा कि मर गये हम
ये नाक़दरी हमारी इसलिए है
तेरे होने में जल्दी कर गये हम।”
तारा इक़बाल ( रायबरेली) ने सुनाया,
“कुछ दूर तलक तो मेरे हमराह चलो तुम
कुछ देर तलक तो मुझे होने का गुमां हो
अभी डूबा नहीं यादों का सूरज
अभी परछाईंयां पीछा करेंगी।”
कलीम नूरी (फ़िरोज़ाबाद) ने सुनाया,
“आंखों में इंतज़ार है होठों पे प्यास है
और ज़िंदगी के हाथ में ख़ाली गिलास है
हर शाम मैं जलाता हूँ उम्मीद के चराग़
दिल तो बुझा हुआ है पर आंखों में आस है।”
चराग़ शर्मा (चंदौसी) ने सुनाया,
“चमन में कौन बबूलों की डाल खींचता है
यहाँ जो आता है फूलों के गाल खींचता है
ऐ प्यार बांटने वाले मैं ख़ूब जानता हूँ
कि कितनी देर में मछुआरा जाल खींचता है।”
भरतदीप माथुर (आगरा) ने सुनाया,
“सूने घर के बाशिंदे तू चाहे तो रो सकता है
कुछ तो ख़ामोशी टूटेगी टप-टप की आवाज़ों से
दुनियां से जी ऊब रहा है लेकिन इतनी राहत है
उल्फ़त के अफ़साने हमको अब भी अच्छे लगते हैं।”