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‘मल्हार उत्सव’ में बरसे कलाकारों के सुमधुर सुर, वर्षा ऋतु के विशेष राग-रागनियों से बांधा समां

भारतीय संगीतालय द्वारा यूथ हॉस्टल में आयोजित सुरमयी ‘मल्हार उत्सव’ में आगरा के संगीतज्ञों सहित संगीत रसिकों ने की शिरकत।

ब्रज पत्रिका, आगरा। शास्त्रीय संगीत के लिए समर्पित संस्था भारतीय संगीतालय द्वारा वर्षा ऋतु के उपलक्ष्य में यूथ हॉस्टल आगरा में ‘मल्हार उत्सव’ का आयोजन किया गया। वर्षा ऋतु का शास्त्रीय संगीत में बहुत अनुपम स्थान है, इस काल में वर्षा ऋतु के विभिन्न राग जैसे मियां मल्हार, देश, जैजैवंती, गौड़ मल्हार, मेघ मल्हार आदि राग गए जाते हैं। साथ ही लोक संगीत की विभिन्न शैलियां जैसे कजरी, झूला और सावन के गीत आदि भी गाए-बजाए जाते हैं।

 

 

इसी उपलक्ष्य में आगरा के सभी संगीतज्ञ एवम् संगीतप्रेमी दिल्ली से पधारी आमंत्रित कलाकार अरूंधती भट्टाचार्य के शास्त्रीय गायन का आनंद लेने के लिए जुटे। अरुंधती भट्टाचार्य जो कि पद्मश्री विदुषी सुमित्रा गूहा की वरिष्ठ शिष्या हैं, ने अपने गायन में राग श्याम कल्याण से अपनी प्रस्तुतियों का शुभारंभ किया। प्रारंभ की बंदिश के बोल थे “बीत गई साझ…!” राग सूर मल्हार में दो बंदिशे प्रस्तुत कीं, “बदरवा बरसन को आए…!” “घोर घोर घोर घोर बरसे बदरवा…!”, राग मेघ मल्हार और राग जोग में “सुर नर मुनिजन निश धयावे…!” मीरा बाई का भजन “बदरा तू जल भर ले आ…!” अंत में राग भैरवी में झूला “यशोदा हरि पलने झुलावें…!” से अपने सुमधुर गायन का समापन किया। तबले पर संगत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, दिल्ली में कार्यरत सुप्रसिद्ध तबला वादक पंडित कुमार बोस के शिष्य मिहीर कुमार ने तथा हरमोनियम पर संगत आगरा के शीर्ष कलाकार पंडित टी. रविंद्र ने की।

कार्यक्रम का उदघाटन भारतीय संगीतालय के संस्थापक पंडित गोपाल लक्ष्मण गुणे और मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके पूजा बंसल, शारदा, डॉ. आरती मल्होत्रा, दीपक प्रह्लाद, प्रो. अपर्णा पोद्दार ने संयुक्त रूप से किया। सरस्वती वंदना भारतीय संगीतालय के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत की गई। इसके साथ ही राग गौड़ मल्हार में “गरजत बरसात भीजत आई रे…!” प्रस्तुत किया।

 

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