अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती की पूर्व संध्या में डाॅ. यशोयश द्वारा रचित पुस्तक ‘अटलाञ्जलि’ का लोकार्पण
आशादीप होटल में भारत-रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिवस-2020 की पावन बेला पर ‘अटलाञ्जलि’- पुस्तक लोकार्पण – काव्य संध्या – सम्मान समारोह संपन्न।
ब्रज पत्रिका, आगरा। भारतीय अटल सेना (राष्ट्रवादी) आगरा के तत्वावधान में भारत-रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिवस-2020 की पावन बेला पर ‘अटलाञ्जलि’- पुस्तक लोकार्पण – काव्य संध्या – सम्मान समारोह में डाॅ. यशोयश द्वारा रचित पुस्तक ‘अटलाञ्जलि’ का लोकार्पण आशादीप होटल भगवान टाकीज़ चौराहा आगरा के अटल दीप सभागार में बड़ी धूमधाम से संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष कुँ. प्रबल प्रताप सिंह उर्फ़ राकेश बघेल ने अपने उदबोधन में कहा कि,
“अटल जी का व्यक्तित्व और कृतित्व सराहनीय ही नहीं अपितु ऐतिहासिक भी रहा। राजनेता होने के कारण उनके धुर विरोधी भी अटल जी की हमेशा प्रशंसा करते नजर आए। यह उनकी एक अलग खासी पहिचान रही जो आज के राजनैतिक परिवेश में देखने को नहीं मिलती। वाजपेयी जी एक युग थे। वह युग रामराज्य जैसा हुआ करता था। वही रामराज्य लौटाने के लिए हम सभी को उनके आदर्शों और सिद्धातों पर चलना होगा।”
अध्यक्षता कर रहे कवि सम्राट डाॅ. राजेन्द्र मिलन ने अपने वक्तव्य में कहा कि,
“अटल जी के अटल विश्वास को यथार्थ में लाने के लिए अटल जैसा ही धैर्य, शालीनता और सजगता रखनी होगी। तभी मनुष्य का जी सार्थक हो पाएगा।”
विशिष्ट अतिथि गणितज्ञ प्रो. हरिवंश पाण्डेय ने अपने वक्तव्य में कहा कि,
“वाजपेयी जी ने भारत में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत को विशेष पहचान दिलाई। जैसे कि आज़ादी के बाद परमाणु परीक्षण को हरी झंडी देकर अटल जी ने इतिहास रे दिया, जो कालजयी हो गया।”
कार्यक्रम के संयोजक कवि एवम् साहित्यकार डाॅ. यशोयश ने गागर में सागर भरते हुए बस यही कहा कि,
“साख़ रखतीं यादगार किस्सा होनी चाहिए।
त्याग-तप-बलिदान मिस्सा होनी चाहिए।
अटल-प्रेम है तो, आज हिंदुस्तान में,
‘अटल’ कृति पाठ्यक्रम का हिस्सा होनी चाहिए।”
कार्यक्रम की सह संयोजिका व जिलाध्यक्ष-महिला मोर्चा-भारतीय अटल सेना (राष्ट्रवादी) प्रेमलता मिश्रा ‘वीर’ ने अपने उदबोधन में कहा कि,
“वाजपेयी जी ने अपने जीवन को बहुत ही सद्व्यवहार से जीया। अटल जी द्वारा ऊँचाई पर लिखी कविता से हमको यही शिक्षा मिलती है कि हम कितने बड़े क्यों न हो जाएं मगर अपना अतीत अपने धरातल को कभी नहीं भूलना चाहिए । क्योंकि इंसान तो चला जाता है लेकिन उसके कर्म हमेशा अमर रहते हैं।”
कार्यक्रम में मुख्य रूप से मंचासीन अतिथियों में विशिष्ट अतिथि अशोक बंसल ‘अश्रु’, प्रो. हरिवंश पाण्डेय, प्रेमलता मिश्रा ‘वीर’, डाॅ. शेशपाल सिंह ‘शेष’ रहे। कार्यक्रम का कुशल संचालन कवि डाॅ. यशोयश ने किया।
कार्यक्रम में अन्य कवि-कवयित्री, लेखक, समाजसेवियों में मुख्य रूप से माननीय वरिष्ठ कवि संजय गुप्त, वरिष्ठ पत्रकार डाॅ. महेश धाकड, प्रखर वक्ता डाॅ. वी.पी. बघेल, आँसू कवि प्रेम सिंह ‘राजावत’, कवि इंदल सिंह ‘इंदु’, एस.आर.जी. डाॅ.अनुराग शर्मा, कवयित्री माया बंसल ‘अश्रु’, संघ प्रचारक जितेन्द्र सिकरवार, शिक्षक नेता ब्रजकिशोर शर्मा ‘बंटी भाई’, प्राचार्य डाॅ.बी.पी.सिंह बघेल, शिक्षक नेता हरिओम यादव, संकुल अधिकारी सुमित गौतम, कवि सत्य प्रकाश शर्मा ‘सत्य’, अटल प्रेमी सुरेन्द्र बघेल, कवयित्री चारू मित्रा, कवयित्री पदमावती बघेल, कवयित्री वंदना चौहान, कवयित्री ललितेश शर्मा, समाज सेवी श्याम किशोर दीक्षित, कुँँवर प्रवीन बेदी, कमल बघेल, राजकुमार, के.पी.सिंह बघेल, उमाशंकर बघेल, मनोहर चौधरी, संदीप शर्मा, सरला बघेल, नागेन्द्र उपाध्याय आदि ने अटल जी पर केन्द्रित स्वरचित काव्य पाठ किया।