साहित्य

सैर कर दुनिया की गाफिल, जिंदगानी फिर कहां…

पुस्तक ‘दिव्य धाम-लौकिक से अलौकिक यात्रा’ का विमोचन।

ब्रज पत्रिका, आगरा। तीर्थ यात्राएं तो अनगिनत जन करते हैं, लेकिन तीर्थ यात्रा का वृत्तांत लिख कर उस पर पुस्तक लिखना मुश्किल कार्य है, जिसे साहित्यसेवी शरद गुप्ता ने किया है। यह विचार श्रीमनःकामेश्वर महादेव मंदिर मठ के महंत योगेश पुरी ने व्यक्त किए। महंत श्री पुरी डा.भीमराव अंबेडकर विवि के खंदारी कैंपस स्थित सेठ पदम चंद्र जैन इंस्टीट्यूट के सभागार में करुणेश फाउंडेशन द्वारा आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में विचार व्यक्त कर रहे थे।

महंत योगेश पुरी ने कहा कि,

“समाज को दिशा देने का काम साहित्य करता है, उसी दिशा में यह पुस्तक काम करेगी।”

महंत श्री पुरी ने करुणेश परिवार को साहित्यिक योगदान के लिए बधाई दी।

अध्यक्षता करते हुए यश भारती से सम्मानित कवि सोम ठाकुर ने कहा कि,

“यात्रा वृत्तांत पर बहुत कम लिखा जा रहा है। इस विधा पर लेखकों ने काम करना ही बंद कर दिया था, लेकिन यह शरद गुप्ता का सराहनीय प्रयास है।”

उन्होंने अपना गीत “मेरे भारत की माटी है चंदन और अबीर…” सुनाकर भी सबका मन मोह लिया।

मुख्य अतिथि साहित्यकार डा. राजेंद्र मिलन ने कहा कि,

“भारतीय रेलवे तीर्थ यात्रा कराने का पुण्य कार्य कर रहा है, लेकिन शरद गुप्ता की पुस्तक घर बैठे ही सभी को यात्रा का सुखद अनुभव करायेगी।”

लेखक को कैलाश मंदिर के महंत निर्मल गिरी, बल्केश्वर मंदिर के महंत सुनीलकांत नागर व महंत कपिल नागर ने भी अपना आशीर्वाद दिया है। डा.गिरधर शर्मा ने स्वागत भाषण दिया। वरिष्ठ साहित्यकार डा. सुषमा सिंह ने पुस्तक पर विस्तृत चर्चा की। वरिष्ठ कवि सुशील सरित ने रेल गीत व गायिका निशी राज ने भजन प्रस्तुत किया।

पुस्तक के लेखक शरद गुप्ता ने कहा कि,

“यात्रा वृत्तांत विधा के जनक, भारतेंदु हरिश्चंद्र बताये जाते हैं, पंडित राहुल सांकृत्यायन, सच्चिदानद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय और वैद्यनाथ मिश्र नागार्जुन को आधुनिक हिंदी साहित्य का ‘घुमक्कड़ बृहतत्रयी’ कहा जाता है। पंडित राहुल सांकृत्यायन को, यात्रा वृतांत साहित्य का, विशेषज्ञ, माना जाता है, जिन्होंने, लगभग 45 वर्षों तक, साहित्य साधना की।”

डा. मधुरिमा शर्मा, कवि अशोक अश्रु, समाजसेवी सुनील विकल, कवयित्री डा. शशि गुप्ता ने भी विचार व्यक्त किए। सुरेश चंद गुप्ता, राजकुमारी चौहान, पदमावती पदम आदि ने लेखक शरद गुप्ता को सम्मानित किया।

डा. शशि तिवारी, डा. विनोद माहेश्वरी, डा. आभा चतुर्वेदी, सुभाष ढल, योगेश चंद शर्मा, डा. कमलेश नागर, डा. ब्रज बिहारी लाल बिरजू, उमाशंकर मिश्रा, डॉ. राजीव शर्मा निष्पृह, रविन्द्र वर्मा, अवधेश उपाध्याय, अजय शर्मा, ब्रजेश शर्मा, सुधा वर्मा, दिलीप रघुवंशी, परमानंद शर्मा, डा. भानु प्रताप सिंह, डा. महेश धाकड़, रामेंद्र शर्मा, चारू पटेल, आचार्य यादराम कविकिंकर, डॉ. एसपी सिंह, राज बहादुर सिंह राज, नंद नंदन गर्ग, मनोज श्रीवास्तव, आशा श्रीवास्तव, डा. रेखा कक्कड़, रजनी सिंह, मोहन शर्मा, राजकुमारी चौहान, हरीश अग्रवाल ढपोरशंख, सुधीर गुप्ता, पवन गुप्ता, राजेश अग्रवाल, राज कुमार जैन, परमानंद शर्मा, इंदल सिंह, हरवीर सिंह, वंदना चौहान, मुकुल कुमार, मुकेश वर्मा, रिंकू अग्रवाल, शिवम गोस्वामी, पवन शर्मा आदि उपस्थित रहे।

करुणेश परिवार की ओर से संजय गुप्त, आदर्श नंदन गुप्ता, मंजुला गुप्ता, रेखा, आदीपिका, गीतिका, निरुपमा, आशीष, प्रतीक, अभिनीत, देवांश ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन श्रुति सिन्हा ने किया और आभार व्यक्त किया चंद्रशेखर गुप्ता (गाजियाबाद) ने। कार्यक्रम के समापन बाद चाय संग चर्चाओं का सिलसिला भी आगंतुकों के बीच चलता दिखा।

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