आगरा के अँगूरी पेठे को बहुत पसंद करती थीं सरोज खान
ब्रज पत्रिका, आगरा। मशहूर डांस कोरियोग्राफर सरोज खान को आगरा का अंगूरी पेठा बहुत पसंद था। उनकी ये पसंद में आखिर तक शुमार रहा। यह जानकारी दी उनके संपर्क में रहे फ़िल्म निर्माता रंजीत सामा ने। उनको याद करते हुए रंजीत सामा बताते हैं ये उन दिनों की बात है जब सरोज खान हमारे मित्र अनीस अहमद की फ़िल्म ‘प्यार भरा दिल’ के गानों की कोरियोग्राफी कर रहीं थीं। मर्दाना स्वभाव था उनका इसीलिए सभी लोग उनको मास्टर जी के नाम से पुकारा करते थे।
जब भी मैं आगरा से जाता था तो पेठा जरूर ले जाता था, जो उनको बहुत पसंद था, उनको हालांकि डाइबिटीज थी मगर फिर भी उनकी पसंद पेठा बना हुआ था। एक बार बोलीं अंगूरी पेठा क्यों नहीं लाते हो, जब मैंने उनसे कहा आपको डाइबिटीज है तो बोलीं मैं धोकर खा लूँगी। मुझे किसी ने बताया है कि पेठा डाइबिटीज में खा सकते हैं।
एक बार वो सेट पर थीं तो मैंने जब उनको बताया कि पेठा लाया हूँ वो देना है तो बोलीं किसी और को न देना मैं खुद लूँगी। उस वक़्त वो माधुरी दीक्षित की किसी फिल्म की कोरियोग्राफी कर रही थीं। मैं जब सेट पर पेठा लेकर पहुँचा तो उन्होंने माधुरी से मिलवाया, जब मैंने उनसे पेठा खाने के बारे में पूछा, तो माधुरी ने भी पेठा खाया इसके बाद तो सेट पर मौजूद लोगों में देखते ही देखते सारा पेठा बंट गया, उनके चेहरे के भाव तल्ख हो गए, बोलीं मैंने मना किया था न यहाँ मत लाना मेरी गाड़ी में रखवा देना। अब मैं क्या खाऊँगी? जब मैंने बताया कि मैं दो डिब्बे लाया था जो किसी और को देने जाना था वो अब आपका हुआ मैं वहाँ देने नहीं जा रहा और वो आपकी गाड़ी में आपके लिए रखवा देता हूँ, तो एक दम चेहरे पर भाव बदल गए और खुश होकर बोलीं ये ठीक है, मुझे पेठा बहुत पसंद है।
सरोज खान के साथ काम कर चुके फ़िल्म प्रोड्यूसर अनीस अहमद के मुताबिक सरोज खान के अंदर गजब की ऊर्जा और प्रतिभा थी। वो जब कभी काम में डूबती थीं तो बाकी दुनिया को भुला देती थीं। यही उनकी कामयाबी का राज था।
मेरी फिल्म ‘प्यार भरा दिल’ की शूटिंग के दौरान उनको करीब से जानने का मौका मिला था। उन्होंने बेहद शानदार कोरियोग्राफी की सभी गीतों की। कलाकारों पर वह हावी रहती थीं तभी उनसे अच्छा काम करवा लेती थीं। कलाकार भी सीनियर के नाते उनकी बहुत इज्जत किया करते थे। कुल मिलाकर वह लाज़वाब इंसान थीं दिल की बहुत ही अच्छी इंसान थीं। बतौर प्रोड्यूसर मैं अगर उनको कोई मशविरा उनको उनके काम में देता था तो वह हमेशा सहयोग करती थीं। उनके अंदर ये भी एक खूबी थी, तभी लंबे समय तक वह इंडस्ट्री में टिकी रहीं उन्होंने अपनी कोरियोग्राफी के झंडे गाड़े।