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बुनियादी साक्षरता को मजबूत करने के लिए युवाओं में पढ़ने की आदत को बढ़ावा दें: उपराष्ट्रपति

बच्चों के लिए और अधिक लेखकों को पुस्तकें लिखनी चाहिएः उपराष्ट्रपति

श्री नायडू ने प्रशासन, न्यायपालिका और शिक्षा में स्थानीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ाने का आवाहन किया।

सारला दास की ओडिया महाभारत साधारण, बोलचाल की भाषा में लिखने की ताकत पर प्रकाश डालती हैः उपराष्ट्रपति श्री नायडू

कवि सारला दास की 600वीं जयंती समारोह में श्री नायडू ने उनका आदि कवि, आदि ऐतिहासिक और आदि भूगोलबिथ के रूप में अभिवादन किया।

ब्रज पत्रिका। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने बच्चों में बुनियादी शिक्षा को मजबूत करने के लिए कम उम्र से ही पढ़ने की आदत डालने का आवाहन किया। उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि शिक्षाविद, बुद्धिजीवी, अभिभावक और शिक्षक बच्चों में पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने की ओर विशेष ध्यान दें। उन्होंने बच्चों के व्यक्तित्व के विकास और गैजेट्स के अत्यधिक उपयोग से उन्हें दूर करने में पढ़ने की महत्वता पर प्रकाश डाला।

श्री नायडू ने कहा कि,

“विद्यालयों द्वारा पुस्तकों की आकर्षक दुनिया को कक्षा में जीवंत करना चाहिए और अधिक लेखकों को बच्चों के लिए पुस्तकें लिखने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन पुस्तकों को बच्चों की विभिन्न रुचियों और क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए लिखा और चित्रित किया जाना चाहिए।”

आदिकवि सारला दास की 600वीं जयंती समारोह में बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने इस तथ्य की ओर भी प्रकाश डाला कि सारला दास द्वारा लिखी गई महाभारत अपनी अनूठी शैली और उच्चारण के कारण सैकड़ों साल बाद भी ओडिशा के लोगों के बीच प्रभावहीन नहीं हुई है। इसके प्रभाव के बारे में बात करते हुए श्री नायडू ने कहा कि यह लोगों से सरल और बोलचाला की भाषा में संवाद करने और लिखने के महत्व को दर्शाता है।

इस संदर्भ में, श्री नायडू ने लोगों के साथ प्रभावी संवाद स्थापित करने के लिए प्रशासन और न्यायपालिका को स्थानीय भाषा का प्रयोग करने का सुझाव दिया। उन्होंने प्राथमिक विद्यालय तक शिक्षण का माध्यम मातृभाषा या स्थानीय भाषा में करने का आवाहन भी किया। इस दौरान उन्होंने प्रारंभिक  स्कूली शिक्षा में मातृभाषा के लाभ दर्शाते हुए अध्ययनों का भी उल्लेख किया।

सारला दास का न सिर्फ आदिकवि बल्कि आदि ऐतिहासिक और आदि भूगोलबिथ के रूप में अभिवादन करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि,

“सारला दास साहित्य के लोकतंत्रीकरण करने वालों में प्रथम थे क्योंकि उन्होंने 15वीं सदी की शुरुआत में ही बोलचाल की भाषा का उपयोग किया था।”

सारला दास की तुलना कबीर और योगी वेमना से करते हुए श्री नायडू ने कहा कि महान कवियों में यह असाधारण क्षमता होती है कि वह जटिल भावनाओं और विचारों का संवाद लोगों के अलग-अलग बड़े समूहों से सरल भाषा में करके,उन पर अपना दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ते हैं।

उपराष्ट्रपति ने इस बात का भी उल्लेख किया कि कैसे सारला दास द्वारा अपनी महाभारत में नायक-नायिकाओं के चरित्र चित्रण ने बाद के तमाम लेखकों को एक या दो चरित्रों को लेकर पूरा उपन्यास लिखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि सारला द्वारा चित्रित महिला पात्र मजबूत हैं, उनमें दिल और दिमाग के उल्लेखनीय गुण हैं और वह पूरे आत्मविश्वास और साहस के साथ अपना कर्तव्य निभाती हैं।

‘ओडिया भाषा के पिता’ के खिताब से सम्मानित सारला दास की साहित्यिक प्रतिभा के रूप में प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि,

“सारला दास ने ओडिया भाषा और संस्कृति को समृद्ध किया है।”

उन्होंने कहा,

“इसमें कोई आश्यर्य नहीं है कि सारला दास के प्रकाशस्तंभ की तरह खड़े रहने के साथ भारत सरकार ने ओडिया को भारत की शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया।”

इस अवसर पर, श्री नायडू ने आंध्र प्रदेश के गवर्नर विश्व भूषण हरिचंदन को प्रतिष्ठित ‘कलिंग रत्न’ से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी। इससे पहले दिन में श्री नायडू ने राज भवन, भुवनेश्वर में पौधारोपण भी किया।

इस कार्यक्रम के दौरान ओडिशा के गवर्नर गणेशी लाल, आंध्र प्रदेश के गवर्नर विश्व भूषण हरिचंदन, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्य मंत्री प्रताप जेना, सारला साहित्य संसद के अध्यक्ष डॉ. प्रवाकर स्वेन, पूर्व मुख्य सचिव सहदेव साहू, सारला साहित्य संसद के सदस्यगण और अन्य लोग उपस्थित थे।

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