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सावन का महीना शुरू, भगवान शिवजी की पूजा आराधना संग भक्तगण रखेंगे सोमवार के व्रत

ब्रज पत्रिका, आगरा। सावन का महीना शिवजी की उपासना का माह माना जाता है। शिवजी का यही विशिष्ट और प्रिय मास है। श्रद्धालु इस पूरे महीने शिवजी के निमित्त व्रत और प्रतिदिन उनकी विशेष पूजा आराधना करते हैं। हालांकि इस साल कोरोना वायरस के खौफ के चलते मंदिरों में सोमवार की पूजा में भक्तों को प्रवेश देने की मनाही है।

इस वर्ष के सावन माह में सोमवार के दिन कोविड-19 महामारी के खतरों के कारण शिव मंदिरों में जाकर किसी भी श्रद्धालु को पूजा करने का सौभाग्य नहीं मिल सकेगा। मगर घर पर ही शिव जी की पूजा-आराधना की जा सकती है। प्रमुख प्राचीन मंदिरों ने अपने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये मंदिरों में श्रृंगार और आरती के लाइव दर्शन कराने के इंतज़ाम किए हैं। जिससे भक्तजन धर्मलाभ पाएं। इस वर्ष के श्रावण मास में कुछ विशेष योग भी हैं। जैसे इस बार का श्रावण माह पांच सोमवार का है और यह माह सोमवार से शुरू होकर सोमवार को ही खत्म होगा। यह माह मनोकामनाओं का इच्छित फल प्रदान करने वाला है। आइए जानते हैं श्रावण मास की महत्ता, व्रत और पूजन की विधि तथा कैसे कर सकते हैं भगवान शिव को प्रसन्न।

श्रावण मास की महत्ता

सभी मास किसी न किसी देवता से संबंधित हैं। श्रावण मास का संबंध भगवान शिव जी के साथ माना जाता है। इस माह में शिव आराधना का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि यह माह आशाओं की पूर्ति का समय होता है। श्रावण अथवा सावन माह हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का पाँचवा महीना है, जो ईस्वी कलेंडर के जुलाई या अगस्त माह में पड़ता है। इस माह में अनेक महत्त्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं, जिसमें प्रमुख रूप से ‘हरियाली तीज’, ‘रक्षाबन्धन’, ‘नागपंचमी’ भी शामिल हैं। इस माह में पड़ने वाले सोमवार “सावन के सोमवार” कहे जाते हैं, जिनमें स्त्रियाँ और खासतौर से कुंवारी लड़कियां भगवान शिव के निमित्त व्रत रखकर पूजा आदि करती हैं।

शिवजी के पूजन की विधि

भगवान शिवजी की पूजा में गंगाजल के उपयोग को विशिष्ट माना जाता रहा है। शिवजी की पूजा आराधना करते समय उनके पूरे परिवार अर्थात् शिवलिंग के अलावा माता पार्वती, कार्तिकेय जी, गणेश जी और उनके वाहन नन्दी की श्रद्धा भाव संग संयुक्त रूप से पूजा की जानी चाहिए।

भगवान शिव जी के स्नान के लिए गंगाजल का उपयोग किया जाना सर्वोत्तम माना जाता है। इसके अलावा कुछ लोग भांग घोंटकर भी शिवजी पर चढ़ाते हैं। शिव जी की पूजा में जल के अलावा दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बिल्वपत्र, दूर्वा, फल, विजिया, आक, धूतूरा, कमल-गट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा, धूप, दीप आदि वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है।
श्रावण मास के प्रथम सोमवार से इस व्रत को शुरू किया जाता है। प्रत्येक सोमवार को गणेश जी, शिव जी, पार्वती जी की पूजा विधि-विधान से की जाती है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस सोमवार व्रत से पुत्रहीन पुत्रवान और निर्धन धनवान हो जाते हैं। स्त्री अगर यह व्रत करती है, तो उसके पति की शिव जी रक्षा करते हैं। सावन के सोमवार का व्रत साधारणतया दिन के तीसरे पहर तक होता है। इस व्रत में फलाहार या पारण का कोई खास नियम तो नहीं है, किंतु आवश्यक है कि दिन-रात में केवल एक ही समय भोजन किया जाए।

श्रावण में गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, पंचाक्षर मंत्र इत्यादि शिव मंत्रों का जाप शुभ फलों में वृद्धि करने वाला माना जाता है। श्रावण में भक्तजन शिवालय में स्थापित, प्राण-प्रतिष्ठित शिवलिंग या धातु से निर्मित लिंग का गंगाजल और दुग्ध से रुद्राभिषेक कराते हैं। मान्यता है कि शिवलिंग का रुद्राभिषेक भगवान शिव जी को अत्यंत ही प्रिय है। इन दिनों शिवलिंग पर गंगा जल द्वारा अभिषेक करने से भगवान शिव जी अति प्रसन्न होते हैं। माना जाता है इस माह में शिवलिंग का दुग्धाभिषेक और घृत से अभिषेक करने पर योग्य संतान की प्राप्ति होती है। इसी तरह ईख के रस से अभिषेक करने पर धन संपदा की प्राप्ति होती है और कुशोदक से समस्त व्याधि शांत होती है। दधि से अभिषेक करने पर पशु धन की प्राप्ति होती है। शहद से शिवलिंग पर अभिषेक करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

 

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए

-श्रावण में रुद्राक्ष माला धारण करें व इससे शिवमंत्र जाप करें।

-पूजन के वक़्त शिवजी व अपने मस्तक पर भभूती लगायें।

-श्रावण मास में शिव चालीसा और आरती का पाठ करें।

-महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।

-श्रावण मास के सभी सोमवार को व्रत रखें।

-बेलपत्र, दूध, शहद और जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।

-शिवलिंग पर केसर चढ़ाने से आप सौम्य होंगे।

-चीनी से शिवलिंग का अभिषेक करने से सुख-वैभव पाते हैं।

-शिवलिंग पर इत्र चढ़ाने से विचार और मन पवित्र होंगे।

-शिवलिंग का दही से अभिषेक करने से परेशानियां दूर होंगी।

-घी से अभिषेक करने से शक्ति बढ़ेगी।

-शिवलिंग पर चंदन चढ़ाने से आपका यश बढ़ेगा।

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