ब्रजेश्वर मुखर्जी की स्वर लहरियों एवं अनुज नेहा की घुंघरूओ की झंकार से 60वें निनाद महोत्सव का हुआ शुभारंभ
कुलपति प्रो. आशु रानी को कला संरक्षण हेतु रानी सरोज गौरिहार स्मृति ‘कला संरक्षक’ के सम्मान से ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने शाल, सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह और स्मारिका प्रदान करके सम्मानित किया।
ब्रजेश्वर मुखर्जी को पं. केशव रघुनाथ तलेगांवकर स्मृति ‘संगीत नक्षत्र’ के मानद सम्मान से सम्मानित किया गया।
अनुज मिश्रा को “संगीत कला गौरव”, नेहा सिंह मिश्रा को विशिष्ट संगीत सेवा हेतु श्रीमती सुलभा तलेगाँवकर स्मृति संगीत सेवी सम्मान, विवेक मिश्रा एवं अरविन्द मसीह को “संगीत सहोदर” के अलंकरण से सम्मानित किया गया।
ब्रज पत्रिका, आगरा। पं. रघुनाथ तलेगांवकर फाऊंडेशन ट्रस्ट एवं महिला प्रकोष्ठ, डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के संयुक्त तत्वावधान में संगीत कला केन्द्र, आगरा एवं प्राचीन कला केन्द्र चंडीगढ़ के सहयोग से संगीत नक्षत्र पं. केशव तलेगांवकर के मानस सान्निध्य में दिनांक 14 एवं 15 दिसम्बर 2024 को जे. पी. सभागार, खंदारी, आगरा में द्वि-दिवसीय 60वें निनाद महोत्सव संगीत महर्षि पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर संगीत सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रो. आशु रानी, कुलपति, डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा एवं संस्था के पदाधिकारियों ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं संगीत महर्षि पं विष्णु दिगंबर जी, पं. रघुनाथ तलेगांवकर जी, श्रीमती सुलभा तलेगांवकर जी, संगीत नक्षत्र पं. केशव तलेगांवकर जी, रानी सरोज गौरिहार जी के चित्र पर माल्यार्पण करके किया।
प्रो. आशु रानी ने संस्था द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना की। इस अवसर पर कुलपति जी को कला संरक्षण हेतु रानी सरोज गौरिहार स्मृति ‘कला संरक्षक’ के सम्मान से ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने शाल, सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह और स्मारिका प्रदान करके सम्मानित किया।
पहले दिन की सबरस संगीत संध्या संस्थापिका श्रीमती सुलभा तलेगांवकर जी को समर्पित की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ पं. रघुनाथ तलेगांवकर जी द्वारा रचित “शक्ति भक्ति युक्ति दे माता सरस्वती”, विष्णु स्तवन “विष्णु दिगंबर भूलोक गंर्धव तिमिर हर साम गान दीपक प्रज्जवलित कर” एवं गुरु मां प्रतिभा केशव तलेगांवकर द्वारा रचित ‘निनाद शीर्षक गीत’ “सुरमयी निनाद आया” की संगीत कला केन्द्र आगरा के संगीत साधकों ने स्वरमयी प्रस्तुति करके निनाद महोत्सव हेतु सांगीतिक वातावरण की शुरुआत की। तत्पश्चात पं. रघुनाथ तलेगांवकर जी के जन्मशती वर्ष के उपलक्ष्य में उनकी सांगीतिक यात्रा की ऑडियो-विजुअल प्रस्तुत की गई।
कार्यक्रम की मुख्य प्रस्तुति के रूप में पद्मभूषण अजय चक्रवर्ती जी के सुयोग्य शिष्य ब्रजेश्वर मुखर्जी के शास्त्रीय गायन के रूप में रही। आपने गायन में राग यमन में विलंबित एक ताल में पं. ज्ञान प्रकाश घोष द्वारा रचित “जग में कछु काम” मध्य लय झप ताल में पं. अरुण भादुड़ी द्वारा रचित “चन्द्रमा ललाट पर” मध्य लय तीन ताल में “मैं वारी वारी जाऊँगी” का परंपरागत स्पष्ट विस्तार एवं तानों की तैयारी स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रही थी। पटियाला घराने की गायन शैली का श्री मुखर्जी ने यथावत पालन किया। आपने अपने गायन का समापन बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ साहब द्वारा रचित प्रचलित “याद पिया की आए” ठुमरी से किया। संवादिनी पर पं. रवींद्र तलेगांवकर एवं तबले पर महमूद खां ने उत्कृष्ट संगत कर कार्यक्रम को सफलता की उचाईयों पर पहुंचाया | इस अवसर पर श्री मुखर्जी को पं. केशव रघुनाथ तलेगांवकर स्मृति ‘संगीत नक्षत्र’ के मानद सम्मान से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति के रूप में पद्मविभूषण पं. बिरजू महाराज जी के सुयोग्य शिष्य, पं. अर्जुन मिश्रा जी के सुयोग्य शिष्य एवं पुत्र अनुज मिश्रा एवं पुत्रवधु नेहा सिंह मिश्रा का युगल कथक नृत्य रहा। आपने सर्वप्रथम “शिव शक्ति स्तुति” तत्पश्चात् ताल तीन ताल में लखनऊ घराने की परंपरागत कथक नृत्य शैली में थाट, आमद, टुकड़ा, तोड़ा, परन, गत भाव, तिहाईयों की सुंदर प्रस्तुति करके दर्शकों की वाहवाही लूटी। तबला एवं पढ़ंत पर पं. विवेक मिश्रा, संवादिनी पर पं. रवींद्र तलेगांवकर एवं सितार अरविंद मसीह ने लाजवाब संगति कर कार्यक्रम को चरमोत्कर्ष पर पहुंचाया।
इस अवसर पर अनुज मिश्रा को “संगीत कला गौरव”, नेहा सिंह मिश्रा को विशिष्ट संगीत सेवा हेतु श्रीमती सुलभा तलेगाँवकर स्मृति संगीत सेवी सम्मान, विवेक मिश्रा एवं अरविन्द मसीह को “संगीत सहोदर” के अलंकरण से सम्मानित किया गया।