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मौजूदा हालातों में उपयोगिता सिद्ध कर रही, क्रांति शाह की युवक बिरादरी, उनकी विरासत को नए सामयिक विषयों से जोड़ और समृद्ध बना रही हैं प्रोफेसर स्वर क्रांति

ताजनगरी आगरा के होटल ग्राण्ड में ‘युवक बिरादरी’ की राष्ट्रीय कार्यशाला में टीम संग युवाओं बीच पधारीं मैनेजिंग ट्रस्टी प्रोफेसर स्वर क्रांति ने ‘ब्रज पत्रिका’ से इंटरव्यू में कई मुद्दों पर मुखर हुईं।

ब्रज पत्रिका, आगरा। ‘युवक बिरादरी’ संस्था की एक राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला देशभर के युवाओं के लिए आगरा के होटल ग्राण्ड में आयोजित हुई, जिसमें मैनेजिंग ट्रस्टी प्रोफेसर स्वर क्रांति के निर्देशन में विभिन्न सत्रों में युवाओं के विकास के लिए सार्थक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस मौके पर ‘ब्रज पत्रिका’ से एक खास बातचीत में स्वर क्रांति ने ‘युवक बिरादरी’ की मौजूदा दौर में समाज के लिए बलवती होती हुई बेहद अहम भूमिका को रेखांकित करते हुए आज के दौर के कई ज्वलंत मुद्दों पर अपनी बेबाक रॉय साझा की है, यहाँ हम प्रस्तुत कर रहे हैं इसी ख़ास बातचीत के ये कुछ प्रमुख अंश।

युवक बिरादरी अपनी स्थापना के साथ ही देशभर के युवाओं को एकता के सूत्र में बाँधने का प्रयास करती रही है, इसी को ध्यान में रखकर उसके कार्यक्रम भी आयोजित होते रहे हैं, मौजूदा वक्त में जिस तरह से धार्मिक मुद्दों को लेकर विवाद खड़े हो रहे हैं, उस दौर में युवक बिरादरी की भूमिका को लेकर आप क्या कहना चाहेंगी? इस सवाल के जवाब में स्वर क्रांति ने कहा,

“विदेशी निवेश अगर चाहिए तो हमें सांप्रदायिक सौहार्द को बरकरार रखना होगा। इसी से हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। नई पीढ़ी को बताना होगा कि अनेकता हमारी विशेषता है। विविधता हमारी ताकत है। भारत एक शक्ति जनसंख्या से नहीं अपनी विविधता से है। सन 1974 में जब युवक बिरादरी की शुरुआत हुई, तभी से भाषाओं के आधार पर बने राज्यों के युवाओं को जोड़ने के प्रयास शुरू किए।”

धर्म को लेकर जो कट्टरता आज दिखाई दे रही है उस विषय में स्वर क्रांति ने कहा,

“माना जाता है अफ्रीका में आदि मानव की उत्पत्ति हुई, मानव पशुओं के शिकार से जीवन यापन करता रहा, जब शिक्षित हुआ और कृषि करना सीखा तो आहार में विविधता आयी। संपन्नता के लिए मानव का एक स्थान से दूसरी जगह जाना हुआ। कालांतर में विकासक्रम में उसकी पहचान में धर्म-जाति आये। हमें युवाओं को समझाना होगा कि धरती किसी खास वर्ग की नहीं, हम सबकी जड़ें एक ही रही हैं। धर्म के मूल को समझें इसके अंतर्गत पेड़-पौधों की पूजा करना हमारे पूर्वजों ने इसलिए सिखाया था, ताकि हम उनका सरंक्षण कर सकें।”

विनाश के कगार पर खड़ी दुनिया में परमाणु हथियारों की होड़ और उसके जखीरे में निरंतर विस्तार के सवाल पर स्वर क्रांति ने कहा,

“परमाणु हथियारों की होड़ समूची मानव जाति के लिए एक गम्भीर खतरा है, इस पर अंकुश लगना चाहिए। शांति और सदभाव युवक बिरादरी के हर कार्यक्रम का हिस्सा रहा है, वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश हर युवक बिरादरी की कार्यशाला में दिया जाता रहा है। हमने युवाओं के कार्यक्रमों में उनको शांति का पाठ हमेशा से पढ़ाया है।”

पर्यावरण के गंभीर खतरों के साथ हम जी रहे हैं, ग्लोबल वॉर्मिंग का मुद्दा भी दुनिया में छाया हुआ है, इस सवाल पर स्वर क्रांति ने कहा,

“हमें आने वाली नस्लों के लिए ऐसी पृथ्वी चाहिए जो उनके रहने के लायक हो, हम युवाओं की कार्यशालाओं में पर्यावरण सरंक्षण के प्रति उनकी जिम्मेदारी का अहसास भी कराते हैं। उनको समझाते हैं कि हमें सिस्टम को पर्यावरण के संरक्षण के अनुकूल बनाना होगा।”

कोरोना की वैश्विक आपदा ने हमें स्वास्थ्य को लेकर सजगता बरतने का सबक सिखाया है, इस मुद्दे पर बिरादरी की भूमिका के विषय में स्वर क्रांति ने कहा,

“हम होलिस्टिक डेवलपमेंट पर फोकस करते हैं। स्वास्थ्य उसका अहम हिस्सा रहता है। युवक बिरादरी के शिविरों में फिटनेस सेशन से शुरुआत करते हैं, जिसमें उनको हम एक्सरसाइज़ भी करवाते हैं।”

आधुनिक तकनीक के इस दौर में युवाओं के लिए उसके विकास की महत्ता को रेखांकित करते हुए स्वर क्रांति ने कहा,

“हमने युवक बिरादरी के इस शिविर में तकनीक को भी एक विषय के रूप में शामिल किया है, जिसमें हमने उनको बताया है कि इस तकनीक से डरना नहीं है, बल्कि तकनीक हमारी सहयोगी है। अपना रिश्ता अपने साथ और दूसरे के साथ विषय पर भी एक सेशन था।”

‘युवक बिरादरी’ के संस्थापक और मार्गदर्शक क्रांति शाह से मिली इस विरासत को और समृद्ध तथा बहुआयामी बनाने की दिशा में क्या कर रही हैं, इस सवाल पर स्वर क्रांति ने कहा,

“मेरा मानना है कि किसी भी संस्था को हर लीडरशिप कुछ न कुछ नया देती है। हमने इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस युग में अपनी संस्था को मजबूती से उसका स्थान दिलाया है। हमारे मूल्य एक ही हैं, हर युवक के दिल और दिमाग तक पहुंचने के लिए कई रास्ते अख्तियार करते हैं, कुछ रोल मॉडल पेश करते हैं जिससे युवा अपने मूल्यों को भी समझें और तकनीक को भी अपने जीवन में स्थान दें।”

युवक बिरादरी का विशेष कार्यक्रम ‘एक सुर एक ताल’ अपने मूल उद्देश्यों में कहाँ तक सफल रहा है, इस सवाल पर स्वर क्रांति ने कहा,

“युवक बिरादरी ने अभी तक करीब साढ़े अट्ठाइस लाख युवाओं को आठ भाषाओं में समवेत स्वरों में गान के जरिये एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया है। एक सुर एक ताल कार्यक्रम के जरिये यह सिलसिला अनवरत रूप से राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए जारी है। युवा इसको गाते हुए अनेकता में एकता को महसूस करते हैं। एक तरह से हृदय परिवर्तन करने जैसी कवायद है यह कार्यक्रम। इसीलिए सरकारों ने इसे युवाओं के विकास और उनमें राष्ट्रीय एकता सहित सदभाव के विकास के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपनाया है।”

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