गुलाबो सपेरा ने दुनिया में कालबेलिया लोकनृत्य कला से हिंदुस्तानी संस्कृति की छटा बिखेरी
ब्रज पत्रिका, आगरा। ये हैं विश्वविख्यात कालबेलिया नृत्यांगना पद्मश्री गुलाबो सपेरा, गुलाबो से मेरी यादगार मुलाकात होटल मुग़ल में एक कार्यक्रम के दौरान हुई थी। राजस्थान की गुलाबो के लोकनृत्य कालबेलिया के दीवाने हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि विदेशों तक में हैं। खुद गुलाबो ने इंटरव्यू के दौरान मुझे रोचक बात बताई वो यह कि कई देशों में उनकी शिष्याओं की लंबी फेहरिश्त है, जो अपने नाम के आगे गुलाबो के सरनेम सपेरा को गुरू के प्रति श्रद्धा और प्रेम जो जताने के लिए लगाते हैं।
पिता चल बसे थे मगर नृत्य से भारत की शान बढ़ाई-
1986 में ‘फेस्िटवल ऑफ इंडिया’ यानि भारत महोत्सव नाम के कार्यक्रम का आयोजन वाशिंगटन में किया गया था। वहीं पहली बार गुलाबो ने विदेश में कालबेलिया नृत्य प्रस्तुत करने का मौका मिला था। कार्यक्रम में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी अपनी धर्मपत्नी सोनिया गांधी जी सहित मौजूद थे। यह वह समय था जब गुलाबो सपेरा के जीवन में दुखद घटना हुई थी। शो से एक दिन पूर्व गुलाबो सपेरा के पिता का निधन हो गया, इसके बावजूद प्रस्तुति देकर भारत की शान बढ़ाई।
गुलामी, बँटवारा फ़िल्म सहित बिग बॉस में भी दिखीं-
बिग बॉस सीजन-5 में गुलाबो सपेरा ने भाग लिया जहां टीवी और बॉलीवुड सेलिबिटी भी गुलाबो के कालबेलिया नृत्य की मुरीद हो गयीं थीं। डायरेक्टर जेपी दत्ता ने उन्हें ‘गुलामी’ और ‘बंटवारा’ जैसी हिट फिल्मों में नृत्य करने का मौका दिया था।
सपेरा समुदाय संजोए है राजस्थानी कालबेलिया नृत्य-
कालबेलिया राजस्थान का एक समुदाय है जो संपेरे होते हैं. गुलाबो के पिता यही काम करते थे और गुलाबो उनके साथ बाहर जाती थीं। गुलाबो के पिता बीन बजाते थे और गुलाबो सांपों के साथ नाचती थीं। कालबेलिया नृत्य सिर्फ महिलाएं करती हैं जो सांप की मानिंद लहराती-बलखती थिरकती हैं।
पैदा होते ही गुलाबो को जमीन में गाड़ दिया गया था-
गुलाबो की जो हस्ती है वो आज सबके लिए गर्व करने लायक है। लेकिन सच तो ये है कि ईश्वर की असीम कृपा रही गुलाबो पर वरना दुनिया में ही नहीं होती। राजस्थान के कई हिस्सों में सदियों से बेटी के पैदा होते ही मार देने की कुप्रथा थी, समाज के इन्हीं दकियानूसी रिवाजों के चलते गुलाबो सपेरा को पैदा होते ही घरवालों ने जिंदा दफना दिया था। मगर मौसी ने उसे जमीन से खोदकर बाहर निकाल लिया और नवजीवन दिया।
गुलाबो का बचपन गरीबी के चलते मुश्किलों भरा रहा। बड़ी होते ही कालबेलिया नृत्य करना शुरू कर दिया ताकि पेट भर सकें। धीरे-धीरे उनके काम को पहचान मिलने लगी और शो करने लगी। आज गुलाबो देश-दुनिया का जाना माना नाम हैं। ये नाम गुलाबी रंगत की होने के कारण उसके पिता ने दिया।