जन्माष्टमी पर ब्रज में कान्हा की भक्ति में डूबा जन-जन, मंदिरों में लगे मेले, नगर उत्सव जैसे दिखे शहरों में नज़ारे
आगरा। ब्रज में जन्माष्टमी के मौके पर मनोहारी दृश्य दिखाई दिए। कान्हा की भक्ति में डूबा दिखायी दिया जन-जन। फूल बंगला सहित आकर्षक विद्युत साज-सज्जा से दमकते हुए विभिन्न मंदिरों में बिल्कुल मेले जैसा वातावरण दिखाई दिया। श्री कृष्ण जन्मस्थान मथुरा में तो अदभुत नज़ारा दिखाई दिया। मथुरा में रामलीला मैदान में कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर भव्य सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया था। जहाँ देशभर से मशहूर कलाकार प्रस्तुतियाँ देने आए थे। पर्यटन विभाग के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उदघाटन करना था मगर पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के निधन के चलते मुख्यमंत्री आगरा में खेरिया हवाई अड्डे से ही मथुरा जाने का कार्यक्रम रद्द करके दिल्ली में अरुण जेटली को श्रद्धांजलि देने चले गए। श्री कृष्ण जन्मभूमि के अलावा बिहारी जी मंदिर, इस्कॉन मंदिर, प्रेम मंदिर सहित सभी मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उल्लास छाया हुआ था। सभी प्रमुख मंदिरों में इस मौके पर कृष्ण भक्तों का जन सैलाब देखते ही बनता था। मथुरा, वृन्दावन के अलावा आगरा, फिरोजाबाद, भरतपुर, अलीगढ़ सहित ब्रज क्षेत्र में पढ़ने वाले सभी शहर नगर उत्सव सरीखे उल्लास में डूबे हुए दिखाई दिए। आगरा में भी नेहरू नगर, विजय नगर के राधा कृष्ण मंदिर, छीपीटोला के श्याम जी मंदिर, रावतपाड़ा के श्री मनकामेश्वर मंदिर, श्री बिट्ठलनाथ जी मंदिर, धाकरान स्थित चामुंडा मंदिर, शीतला रोड स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर यमुना किनारे स्थित श्री मथुरेश जी मंदिर और कमलानगर स्थित इस्कॉन मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती दिखी।
ब्रज के ज्यादातर मंदिरों में भजन मंडलियां भक्ति संगीत की स्वर लहरियों से वातावरण को भक्तिमयी बनाये हुए थीं। श्री कृष्ण भक्ति में सराबोर कलाकार संगीत और नृत्य की मनोहारी प्रस्तुतियों द्वारा भी भक्तों का मनोरंजन करने के साथ साथ उनको कृष्ण भगवान की भक्ति में सराबोर करने का काम कर रही थीं। भादों मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मध्यरात्रि भगवान श्री कृष्ण के जन्म की वेला आते ही मंदिरों में घंटे घड़ियाल बज उठे, भक्त बाल गोपाल के जन्म की खुशी में भाव विभोर हो उठे। कृष्ण के जयकारों से मंदिरों के प्रांगण गुंजायमान हो उठे। जब भगवान द्वापर युग में जन्मे थे तो भगवान के अपनी माँ देवकी की कोख से कंस की जेल में जन्म लेते ही जेल के ताले खुल गए थे, इसी क्रम में जन्माष्टमी के मौके पर भगवान के बाल बाल स्वरूप के दर्शन के लिए मंदिरों के पट खोल दिए गए। अभिषेक का सिलसिला शुरू हो गया। भगवान का माखन मिश्री से भोग लगाकर उनकी आरती उतारी गयीं। मंदिरों में इस खुशी में पंजीरी, पंचामृत और मिष्ठान का प्रसाद वितरित किया गया। मध्यरात्रि के बाद तक शहर के मंदिर गुलज़ार रहे। भक्तों की टोलियां सड़कों पर आती जाती दिखीं जिससे नगर उत्सव का सा दृश्य सृजित हो गया। अपने-अपने घरों में भी भगवान को भोग लगाकर और आरती उतार कर अपनी-अपनी श्रद्धा व्यक्त की।