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डॉ. मधु भारद्वाज के कहानी संग्रह ‘दरकते रिश्ते, ढहती दीवारें’ और काव्य-संग्रह ‘भावों की टोकरी’ का नागरी प्रचारिणी सभा में हुआ विमोचन

साहित्य जगत की हो तुम मधु ऋतु, नवचेतन की धड़कन नूतन : डॉ. कुसुम चतुर्वेदी डॉ. मधु की रचनाधर्मिता है

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‘मल्हार उत्सव’ में बरसे कलाकारों के सुमधुर सुर, वर्षा ऋतु के विशेष राग-रागनियों से बांधा समां

भारतीय संगीतालय द्वारा यूथ हॉस्टल में आयोजित सुरमयी ‘मल्हार उत्सव’ में आगरा के संगीतज्ञों सहित संगीत रसिकों ने की शिरकत।

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इतिहास अपने आप हासिल नहीं होता, उसे अर्जित करना पड़ता है। जब-जब हमने इतिहास को बांचने की कोशिश की है, निराशा ही हाथ लगी है-प्रो. जगदीश्वर चतुर्वेदी

‘ग्रांड होटल’ के सभागार में राज गोपाल सिंह वर्मा की किताब ‘चिनहट 1857’ का विमोचन ब्रज पत्रिका, आगरा। “इतिहास अपने

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संत कबीर जयंती पर उनकी वाणी को दिए गायकों ने अपने सुमधुर स्वर

डॉ. प्रभा गुप्ता की पुस्तकों का हुआ विमोचन, दिव्यांग स्पोर्ट्समैन यश कुमार का हुआ सम्मान। ब्रज पत्रिका, आगरा। चेतना इंडिया

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“अरे तेरे दो नैना कजरारे, भौजी कर गए वारे-न्यारे”

श्याम स्मृति वर्तिका ट्रस्ट ने वरिष्ठ साहित्यकार रमा वर्मा ‘श्याम’ की साहित्यिक कृति ‘जीवन के रंग, लोकगीतों के संग’ का

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“मेरे सपनों का हो भारत, हसरत ऐसी पाली थी। इसीलिए तो हंस-हंसकर सीने पर गोली खा ली थी…!”

चमरौला कांड का स्मारक आज भी युवाओं को राष्ट्रभक्ति के लिए कर रहा प्रेरित। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशन

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द्वितीय पुण्य तिथि पर साहित्यसेवी सर्वज्ञ शेखर को साहित्यकारों ने किया याद

ब्रज पत्रिका, आगरा। साहित्यसेवा के क्षेत्र में सर्वज्ञ शेखर जैसे समर्पित साहित्यसेवी विरले ही पैदा होते हैं, जिनकी कलम ने

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मानवीय और सामाजिक सरोकारों की प्रतिध्वनि हैं राजीव खंडेलवाल की कविताएं – शोभा दिवाकर

आगरा के सुप्रसिद्ध अंग्रेजी कवि राजीव खंडेलवाल के काव्य-संग्रह “ड्वैलिंग विद डिनायल” पर जबलपुर की शोभा दिवाकर ने लिखी समीक्षात्मक

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जैसे भी हो इसे बचा लो हिंदी वालो उर्दू वालो

आगरा राइटर्स एसोसिएशन ने होटल वान्या पैलेस में भरत दीप माथुर के ग़ज़ल संग्रह ‘कहाँ चले आए’ का किया लोकार्पण।

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‘आगरा की समृद्ध विरासत’ पुस्तक द्वारा आगरा के गौरवशाली अतीत को सहेजने एवं वर्तमान को आगे बढ़ाने का प्रयास स्तुत्य: प्रो. एसपी सिंह बघेल

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मधु भारद्वाज की पुस्तक ‘आगरा की समृद्ध विरासत’ पर चर्चा। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मधु भारद्वाज की पुस्तक

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“ओ नदी! इतना बता दो, रेत क्यों होने लगीं? क्यों भरापन देह का तुम, इस तरह खोने लगीं?”

रचनात्मक पवित्रता को बचाए हुए हैं डॉ. त्रिमोहन ‘तरल’-प्रोफेसर रामवीर सिंह आगरा राइटर्स एसोसिएशन ने वरिष्ठ कवि डॉ. त्रिमोहन ‘तरल’

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