‘लार्ड्स ऑफ गिर’ कॉफी टेबल बुक में आगरा के शेरदिल वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर हरविजय सिंह बाहिया ने कैमरे से बयां की है बब्बर शेरों की गज़ब दुनिया
स्पोर्ट्सपर्सन, वरिष्ठ उद्यमी, समाजसेवी, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर हरविजय सिंह बाहिया ने 75 वर्ष की उम्र में भी थकने का कोई काम नहीं, अनवरत जुटे हैं पैशन में!
100 पन्नों में समेटे 106 अद्वितीय फोटोग्राफ्स के जरिए जंगल के राजा के विविध मूड्स और दुर्लभ एक्टिविटीज को बयां कर रही है कॉफी टेबल बुक ‘लॉर्ड्स ऑफ़ गिर’।

ब्रज पत्रिका, आगरा। जंगल सिर्फ पेड़-पौधों और जानवरों का समूह भर नहीं, बल्कि सांस लेने वालों की जीवंत दुनिया है। यही महसूस हुआ 26 अक्टूबर (रविवार) को होटल क्लार्क शिराज में संपन्न हुए कॉफी टेबल बुक ‘लार्ड्स ऑफ गिर’ के विमोचन समारोह में। इस कॉफी टेबल बुक में आगरा के 75 वर्षीय स्पोर्ट्सपर्सन, वरिष्ठ उद्यमी, समाजसेवी, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर हरविजय सिंह बाहिया ने गिर के घने जंगलों में जीवंत रहने वाली शेरों की दुनिया को फोटोग्राफ्स के माध्यम से पेश किया।


श्री बाहिया ने इस पुस्तक को अपनी दिवंगत पत्नी इंदु को समर्पित किया है, जिनको वह अपनी जिंदगी की शेरनी मानते थे। उनकी इस खूबसूरत सी पुस्तक में 100 पृष्ठों में 106 अद्वितीय फोटोग्राफ हैं, जिनमें कि बब्बर शेर और शेरनी के जीवन के विविध रंग और उनके शावको की मासूमियत संग खेल-कूद के क्षण भी खूबसूरती से कैद किए गए हैं।
होटल में दो सत्रों में यह पुस्तक विमोचन समारोह संपन्न हुआ। प्रथम सत्र का संचालन करते हुए अंशु खन्ना ने विशिष्ट अतिथि वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिव्यभानु सिंह चावड़ा और वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में अहम योगदान देने वाले डॉ. एम. के. रंजीत सिंह झाला से उनके अनुभवों पर चर्चा की। इसके बाद सुधा कपूर से लॉर्ड्स ऑफ़ गिर की शुरुआत से लेकर पूर्ण होने तक के अनुभव लेखक हरविजय सिंह बाहिया ने साझा किए।


परिचर्चा सत्र में अंशु खन्ना के प्रश्नों का उत्तर देते हुए डॉ. एमके रंजीत सिंह झाला ने कहा कि,
“एशियाई सिंह केवल गिर के जंगलों का राजा नहीं, बल्कि भारतीय वन्यजीव इतिहास का गौरव हैं। उनकी उपस्थिति हमें यह एहसास कराती है कि शक्ति और शालीनता एक साथ कैसे चल सकती हैं। गिर का हर वृक्ष, हर सूखी पगडंडी और हर झरना सिंहों की कहानी कहता है, यह कहानी संघर्ष, पुनर्जागरण और सह-अस्तित्व की भी है। एक समय था जब भारत में केवल कुछ दर्जन ही सिंह शेष रह गए थे, लेकिन सामूहिक प्रयासों, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और संवेदनशील प्रशासनिक नीतियों ने इनकी दुनिया को एक बार फिर से जंगल में जीवित कर दिया है। हरिविजय सिंह वाहिया की ‘लॉर्ड्स ऑफ गिर’ इस यात्रा को कैमरे की नज़र से बखूबी चित्रित करती है, यह केवल फोटोग्राफी भर नहीं है, बल्कि एक भावनात्मक दस्तावेज भी है जो कि बताता है कि जब मनुष्य प्रकृति के साथ चलना सीखता है, तो विलुप्ति भी पुनर्जन्म बन जाती है।”
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिव्यभानु सिंह चावड़ा ने कहा कि,
“आगरा के जाने माने वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर हरविजय सिंह बहिया ने शेर पर अपनी पुस्तक ‘लॉर्ड्स ऑफ गिर’ के द्वारा जूनागढ़, गुजरात के गिर को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर ला खड़ा किया है। वन्यजीव फोटोग्राफी अविश्वसनीय रूप से लोकप्रिय शगल है, जो आपको बाहर और प्राकृतिक दुनिया के बीच ले जाता है। फोटोग्राफी की सबसे कठिन शैलियों में से एक है वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी। वन्यजीव फोटोग्राफी का एक व्यापक स्पेक्ट्रम है। कोई भी चीज़ जो कि प्राकृतिक दुनिया व उसके सामने आने वाली चुनौतियों का दस्तावेजीकरण करती चलती है, इस शैली में आती है।”

दूसरे सत्र में सुधा कपूर से बातचीत के सेशन में हरविजय सिंह बाहिया ने कहा कि,
“गिर का जंगल केवल शेरों का घर नहीं है, बल्कि जीवन की एक जटिल और अद्भुत व्यवस्था है। शावकों की खेल-खिलवाड़, शेरनी की शिकारी रणनीति और बब्बर शेर की गरिमा—हर क्षण अपने आप में कहानी कहता हैं। शेरनी की आंखों में सुरक्षा की चमक, शावकों के खेल के बीच। बब्बर शेर का सन्नाटा भंग करते हुए जंगल में कदम। जैसे पलों को कैमरे की हर क्लिक पर कैद करने की कोशिश की गई है।”
उल्लेखनीय है कि लॉर्ड्स ऑफ़ गिर के 100 पृष्ठों में 106 अद्वितीय फोटोग्राफ जो शेरों के जीवन के रोमांचक क्षणों को कैद करते हैं। शावकों की मासूमियत, शेरों की ताकत और जंगल की विविधता को बारीकी से प्रस्तुत किया गया है। शेर दिन में 20 घंटे सोते हैं और केवल रात को शिकार करते हैं; इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में भी श्री बाहिया ने जंगल के हर पहलू को कैमरे में कैद किया है। पुस्तक का उद्देश्य केवल वन्य जीवन की सुंदरता दिखाना नहीं बल्कि लोगों में जंगल एवं वन्य जीवन के प्रति जागरूकता फैलाना भी है।
हरविजय बाहिया ने पुस्तक विमोचन के अवसर पर अपने कई अनुभव साझा किए, मसलन गिर में शेरों के साथ में उनका करीबी सामना। शावकों की खेल-खिलवाड़ और शिकारी रणनीति का अवलोकन। साथ ही वन्य जीवन के संरक्षण के लिए उनके कुछ निजी प्रयास और अनुभव भी।
हर विजय बाहिया ने बताया कि,
“जंगल केवल पेड़-पौधों और जानवरों का संसार नहीं है, यह हमारी संस्कृति, विरासत और अस्तित्व का आईना है। यह पुस्तक मेरी दिवंगत पत्नी इंदु को समर्पित है, जिन्हें मैं अपनी जिंदगी की शेरनी मानता था। आने वाली पीढ़ियों को वन्य जीवन और संरक्षण की महत्ता के प्रति जागरूक करना मेरा उद्देश्य है।”
हरविजय सिंह बाहिया बाघ और चीतों पर भी नई कॉफी टेबल बुक्स पर काम कर रहे हैं। यदि वह सफल हुए तो वह भारत के पहले फोटोग्राफर होंगे जिन्होंने तेंदूए, शेर, बाघ, चीतों पर अलग-अलग पुस्तकें प्रकाशित की होंगी। इससे पूर्व वे विगत वर्ष ‘रॉकस्टार ऑफ बेरा’ कॉफी टेबल बुक भी लॉन्च कर चुके हैं, जिसमें कि बहुत ही करीब से तेंदुए के जीवन को चित्रित एवं वर्णित किया गया था।
हरविजय बाहिया के आगरा को अविस्मरणीय योगदान
पुस्तक के विमोचन बाद लेखक और अतिथियों के बीच जंगल की दुनिया पर जीवंत परिचर्चा हुई। हरविजय बाहिया की चुनौतियों पर विजय पाने की ललक और जिंदादिली उम्र के इस पड़ाव पर भी भारी है। 1980 से कार रैलियों में भाग ले रहे बाहिया हिमालयन कार रैली, डेजर्ट स्टॉर्म रैली समेत कई रैलियों में भागीदारी कर चुके हैं। आगरा को पौधारोपण का अभियान चलाकर हरित आगरा में बदल चुके हैं। इसके अलावा तीन बार आयोजित हुए ताज लिटरेचर फेस्टिवल के माध्यम से बेशक उन्होंने आगरा को साहित्य जगत में एक अलहदा पहचान दी है।
बेमिसाल है ‘लॉर्ड्स ऑफ़ गिर’
इसी बीच उद्यमी और समाजसेवी राम मोहन कपूर ने श्री बाहिया का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए हरविजय सिंह बाहिया की जिंदादिली के कई किस्से भी साझा किए। उन्होंने कहा कि,
“हरविजय सिंह बाहिया की ‘लार्ड्स ऑफ गिर’ केवल वन्य जीवन की सुंदरता ही नहीं दिखाती, बल्कि शेरों की गरिमा, शेरनी के संरक्षण की छवि और शावकों की मासूमियत को भी जीवंत करती है। यह पुस्तक आने वाली पीढ़ियों को जंगल और वन्य जीवन के संरक्षण की प्रेरणा देगी और गिर के जंगलों की शाही दुनिया की आत्मा से रू-ब-रू कराएगी।”
इस मौके पर टिम्मी कपूर और नीलिमा डालमिया ने इंदु बाहिया और हरविजय बाहिया के साथ के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि बाहिया दंपति की प्रेम कहानी बिल्कुल रोमांटिक फिल्मों की कहानी सरीखी ही रही है।
नातिन बोली, सुपर स्टार हैं विजय पापा
हरविजय बाहिया की नातिन तारिणी ने अपने नाना को सुपरस्टार की उपाधि दी। उसने कहा कि,
“मेरी इंदु मॉम मेरी संरक्षक थीं। वह वाकई में शेरनी थीं।”
वहीं पुत्री मानसी चंद्रा, पुत्र हरशिव बाहिया, पुत्रवधू देविका बाहिया ने अपने परिवार के मुखिया की इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त किया।

‘लॉर्ड्स ऑफ गिर’ पुस्तक का लेखक हरविजय सिंह बाहिया के साथ अतिथियों और परिवार के सदस्यों एवं करीबी पारिवारिक मित्रों ने विमोचन किया। विमोचन करने वालों में सविता जैन, जयदीप भंडारी, सिमरन भंडारी, मानसी चंद्रा, तारिणी, सिंधु, देविका बाहिया, हरशिव बाहिया, रवानी, जिनीशा, कबीर, हरकृष भी शामिल रहे। विमोचन समारोह में जो प्रमुख शख्शियतें उपस्थित थीं।
गिर के जंगल: शेरों की शाही दुनिया और वन्य जीवन का रोमांच
गिर के जंगल केवल भारत में रहने वाले बब्बर शेरों का अनमोल प्राकृतिक आवास नहीं, बल्कि एक जैव विविधता का अद्वितीय केन्द्र हैं। घने वृक्षों, घास के पठारों, घाटियों और नदियों के संगम से बने इस जंगल में शेर, शेरनी और उनके शावक पूरी स्वतंत्रता और स्वाभाविकता के साथ जीवन जीते हैं। यहाँ केवल शेर ही नहीं, बल्कि बारहसिंगा, चीतल, नीलगाय, लकड़बग्घा और विविध पक्षी प्रजातियाँ भी निवास करती हैं, जो कि इस पूरे पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित बनाते हैं। गिर की भौगोलिक संरचना सख्त गर्मी, मानसून और पठारी ढलान शेरों की शिकार रणनीति और उनके पारिवारिक बंधन को भी प्रभावित करती हैं। वन्य जीवन के संरक्षण के प्रतीक इस जंगल ने साबित किया है कि मनुष्य और प्रकृति का संतुलन संभव है और यही कारण है कि गिर के जंगल की सुंदरता, रोमांच और जैव विविधता विश्वभर में मशहूर है।
फ़ोटो साभार : असलम सलीमी


“गिर का जंगल केवल शेरों का घर नहीं है, बल्कि जीवन की एक जटिल और अद्भुत व्यवस्था है। शावकों की खेल-खिलवाड़, शेरनी की शिकारी रणनीति और बब्बर शेर की गरिमा—हर क्षण अपने आप में कहानी कहता हैं। शेरनी की आंखों में सुरक्षा की चमक, शावकों के खेल के बीच। बब्बर शेर का सन्नाटा भंग करते हुए जंगल में कदम। जैसे पलों को कैमरे की हर क्लिक पर कैद करने की कोशिश की गई है।”