नाटक ‘बकरी’ के हास्यपूर्ण मंचन से किया अंधविश्वास और गंदी राजनीति पर तीखा प्रहार
आगरा। देश के महान लेखक और पत्रकार श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी लिखित नाटक “बकरी” का कु.गरिमा मिश्रा के निर्देशन और श्री डिंपी मिश्र के संयोजन में सूरसदन में 28 जून की शाम प्रभावशाली मंचन किया गया। इस नाटक में मुम्बई से आये मशहूर रंगकर्मी और टीवी फ़िल्म एक्टर श्री सलीम आरिफ साहब के निर्देशन और संरक्षण में सूरसदन तलघर में रंगलोक सांस्कृतिक संस्थान द्वारा आयोजित नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला के प्रशिक्षुओं ने अभिनय किया। नाटक राजनीतिज्ञों के ऐसे चरित्र को उजागर करता है जिसमें वे भोली भाली जनता को उनमें व्याप्त अंधविश्वास के चलते उल्लू बनाकर अपना हित साधने में कामयाब हो जाते हैं। एक गरीब महिला की बकरी को गाँधी जी की बकरी करार देकर लोगों को मूर्ख बनाते हैं। और अंत में जब अपने स्वार्थ सिद्ध हो जाते हैं तो उस बकरी का भी अंत कर देते हैं। नाटक के मध्य एक युवक जनता को राजनेताओं के मंसूबों को भांपकर समझाने की कोशिश करता है मगर जनता के ऊपर अंधविश्वास हावी रहता है और वे नेताओं के हाथों की कठपुतली बने रहते हैं। नेता अपने मुखर विरोधियों को झूंठे आरोपों में जेल भिजवाकर उनकी आवाज़ को दबाते रहते हैं और जनता को उल्लू बनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते जाते हैं। नाटक के अंत में जब युवक के समझाने पर जनता जागरूक होती है तो नेताओं को लाठियाकर भगा देती है। इसी दौरान नाटक के अंतिम दृश्यों में एक भिश्ती बेहद मार्मिक पंक्तियाँ गाकर संदेश देता है कि बेचारी बकरी को तो एक दिन मसक के ही काम आना है। बकरी के किरदार में शानदार अभिनय करके कु.नव्या अग्निहोत्री ने दर्शकों को खूब हंसाया। खासकर बकरी के मिमियाने की आवाज़ हूबहू बकरी जैसी निकाल कर सबको हतप्रभ कर दिया। इस नाट्य प्रस्तुति में प्रकाश परिकल्पना श्री रजत कुमार की रही। पार्श्व संगीत श्री रोहन सिंह और श्री मोहन श्याम ने दिया। मुख सज्जा श्री राज नारायण शर्मा ने की। मुख्य अतिथि संस्कार भारती के राष्ट्रीय महामंत्री श्री अमीर चंद्र जी और विशिष्ट अतिथि भाजपा के ब्रज क्षेत्र संगठन मंत्री श्री भवानी सिंह जी थे। इस अवसर पर ब्रज की विरासत लोक नाट्य “भगत” के लिए समर्पित लोक कला मर्मज्ञ श्री गोकुल चंद्र “गोकुलेश” जी का सम्मान किया गया। नाट्य गतिविधियों के प्रोत्साहन में जुटे डॉ. संदीप अग्रवाल आदि मंचासीन रहे।