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डिजीटल माध्यमों पर भी लागू हो सेंसरशिप, ये अश्लीलता और हिंसा परोस रहे हैं धड़ल्ले से

आगरा। सिनेमा पर तो सेंसर अंकुश लगाये हुए है मगर इंटरनेट माध्यम पर कोई सेंसरशिप नहीं है। इसीलिये इस वक़्त डिजीटल माध्यमों से खुलेआम अश्लीलता और हिंसा भरी फिल्में और वेब सीरीज़ दिखाई जा रही हैं जो सहज ही सबकी पहुंच में भी हैं। इस अश्लीलता और हिंसा प्रधान कंटेंट से बच्चों और किशोर किशोरियों को कैसे बचाया जाए, इस पर चिंता जताते हुए जुटे शहर के फ़िल्मकार और सिनेप्रेमी। सिनेमा और सेंसर विषय पर ये विचार गोष्ठी ब्रज फ़िल्म सोसाइटी और आगरा टॉकीज़ के संयुक्त तत्वावधान में ब्लू सफायर होटल के इंडियन बाई नेचर रेस्त्रां में सम्पन्न हुई। गोष्ठी के बाद सूरज तिवारी की अवार्ड विनिंग फ़ीचर फिल्म ‘आईएम ज़ीरो’ के प्रोमो, अर्पित शुक्ल व अर्जित शुक्ल की अवार्ड विनिंग शॉर्ट फिल्म ‘जल’, अमित गर्ग की फ़िल्म ‘स्नूकर’ के प्रोमो, देव शर्मा व आशीष बिंदुसार के म्यूजिक वीडियो की स्क्रीनिंग की गई। उनका अतिथियों द्वारा उनके बेहतरीन प्रोडक्शन्स के लिए सम्मान भी किया गया। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता फ़िल्मकार रंजीत सामा ने की। मुख्य अतिथि मशहूर गीतकार और फ़िल्म-टीवी सीरियल लेखक रामेंद्र मोहन त्रिपाठी थे। विशिष्ट अतिथि फ़िल्मकार विनय सिंह और सेंसर बोर्ड के पूर्व सदस्य संजय गोयल थे। गोष्ठी का विषय प्रवर्तन युवा फ़िल्म निर्देशक सूरज तिवारी ने किया। संचालन डॉ. महेश चंद्र धाकड़ ने करते हुए शुरू में कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
गोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए सूरज तिवारी ने सेंसर बोर्ड के अस्तित्व में आने से लेकर उसकी कार्यप्रणाली, उसके योगदान और उसकी डिजिटल युग में सीमित हुई उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस वक़्त डिजीटल माध्यमों द्वारा परोसी जा रही अश्लीलता और हिंसा के दुष्प्रभावों का जिक्र करते हुए उसके पीछे के व्यापारिक कुचक्रों का खुलासा किया। पूरी दुनिया को अपने आगोश में ले रहे इस डिजीटल माध्यम पर सेंसरशिप की वक़ालत करते हुए इसको भारतीय समाज के लिए बेहद घातक करार दिया। मुख्य अतिथि रामेंद्र मोहन त्रिपाठी ने अपने संबोधन में कहा हमारे बच्चों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। उन्होंने कहा सेंसरशिप डिजीटल माध्यमों के लिए भी लागू होनी चाहिए। सेल्फ सेंसरशिप नाम की कोई चीज नहीं होती है। आज भी राजश्री प्रोडक्शन जैसे कुछ प्रोडक्शन हाउस हैं जो कि अपने उसूलों से समझौता नहीं करते और समाज की जरूरत के हिसाब से सार्थक सिनेमा दे रहे हैं। उन्होंने वेब सीरीजों में परोसी जा रही अश्लीलता को सेंसर करने की जरूरत बताई। अध्यक्षीय संबोधन में फ़िल्मकार रंजीत सामा ने कहा कि डिजीटल माध्यमों से जो कंटेंट परोसा जा रहा है उसने फिल्मकारों के लिए मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। सेंसरबोर्ड की हिमायत करते हुए उन्होंने डिजीटल माध्यमों पर भी अंकुश लगाने की जरूरत बतायी। विशिष्ट अतिथि फ़िल्मकार विनय सिंह ने कहा हमारे पास जब सार्थक विषयों की जब कोई कमी नहीं तो फिर हम क्यूँ अश्लीलता से भरपूर वेब सीरीज़ और फिल्में इंटरनेट के जरिये दिखाने की छूट दिए हुए हैं। उन्होंने ब्रज के सिनेमा को जिंदा करने की फिल्मकारों से अपील की। लाइन प्रोड्यूसर सत्य प्रकाश शुक्ला ने कहा हम समाज को दिशा देने वाली फिल्मों को ही दिखाने की अनुमति इंटरनेट से दें। डायरेक्टर देवब्रत मिश्रा टूली ने कहा सेंसरबोर्ड की उपयोगिता को कमतर करके नहीं आंका जा सकता। एंकर और एक्टर शिवेंद्र मेहरोत्रा और प्रोड्यूसर मंगल सिंह धाकड़ ने सेंसरशिप खत्म करने की वक़ालत करते हुए कहा इसने क्रिएटिविटी और अभिव्यक्ति की आज़ादी को खत्म कर दिया है। मंचासीन अतिथियों का स्वागत फ़िल्म-टीवी एक्टर सत्यब्रत मुदगल, फ़िल्म डायरेक्टर सूरज तिवारी, फ़िल्म एडीटर अमित गर्ग, एक्टर शिवेंद्र मेहरोत्रा और लाइन प्रोड्यूसर सत्यप्रकाश शुक्ल ने किया। इस मौके पर फ़िल्म-टीवी एक्टर ललित कुमार, लाइन प्रोड्यूसर प्रमोद राना, रंगकर्मी चंद्रशेखर व राहतजहां ख़ानम आदि मौजूद थीं।

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