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शतरंज़ के खिलाड़ी पर साहित्यप्रेमियों ने की चर्चा

आगरा। आगरा बुक क्लब की मार्च माह की एक शानदार बैठक होटल क्लार्क्स शीराज़ में शुक्रवार की शाम 1924 में लिखित मुंशी प्रेमचंद की कहानी “शतरंज़ के खिलाड़ी” और इसी पर सत्यजीत रे की 1977 में रिलीज़ फ़िल्म पर चर्चा के साथ संपन्न हुई। मुख्य अतिथि थे लखनऊ से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ रंगकर्मी और बॉलीवुड फिल्म एक्टर श्री अतुल तिवारी जी जो मुम्बई से आये थे। विशिष्ट अतिथि थे साहित्य-संस्कृतिप्रेमी श्री अरुण डंग जी। श्री अतुल तिवारी जी ने अवध के नवाब वाज़िद अली शाह के जीवन के कई अनछुए पहलुओं पर चर्चा करते हुए अवध की संस्कृति की खूबियों से वाकिफ कराया। उन्होंने फिल्मकार सत्यजीत रे द्वारा इस फ़िल्म के निर्माण के दौरान के किशोरावस्था के अपने अनुभवों को साझा किया। वहीं श्री अरुण डंग जी ने शतरंज के खिलाड़ी उपन्यास और फ़िल्म का संदर्भ लेते हुए अवधी संस्कृति के इंद्रधनुषी रंगों और लखनवी तहज़ीब से बावस्ता कराया। सामंतवादी युग के पतन की कहानी कहती इन मशहूर कृतियों पर आगरा बुक क्लब से जुड़े साहित्यप्रेमियों ने विभिन्न दृष्टिकोणों से चर्चा की जिसमें खास ये भी कि जिस दौर में एक तरफ कंधे पर बच्चे को बांधकर रानी झांसी ब्रिटिश फौज से मुकाबला कर रही थीं और क्रांतिकारी मंगल पांडे ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ गदर का आगाज़ करने जा रहे थे उसी दौर में 1856 में लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह ब्रिटिश हुकूमत के आगे बेबस और कायर साबित होते हैं वजह साफ थी उस दौर का लखनऊ विलासिता में डूबे समाज और शाशन तंत्र की नुमाइंदगी कर रहा था। मिर्ज़ा और मीर सरीखे जागीरदारों के सहारे तत्कालीन समाज के उच्च वर्ग की विलासिता से समाज को हुए नुकसान की तरफ इशारा किया गया है। दोनों जागीरदार शतरंज की बाजियों के अंत में विवाद पर तलवार निकाल कर एक दूसरे की जान तो ले लेते हैं मगर जब वाजिद अली शाह को अंग्रेजों द्वारा कैद किया जा रहा था उस वक़्त वे अपना बहुमूल्य वक़्त अपने सैन्य धर्म के लिए न देकर शतरंज की बाजियों में गुजारते दिखते हैं। शतरंज के प्रति पागलपन में उनका परिवार खासतौर पर मिर्ज़ा की बीमार बीवी भी उपेक्षित हो जाती हैं। सत्यजीत रे की नवाबी दौर को जीवंत करती और कई अवार्ड प्राप्त बहुचर्चित फिल्म में खालिश उर्दू ज़बान का इस्तेमाल करते हुए कलाकारों में मुख्य पात्र वाज़िद अली शाह के किरदार को अमजद खान ने निभाया है, मिर्ज़ा के पात्र को संजीव कुमार और मीर के पात्र को सईद जाफरी ने। मिर्ज़ा की बेगम के पात्र को शबाना आज़मी और मीर की बेग़म के पात्र को फरीदा जलाल ने निभाया है। ब्रिटिश अफसर जेम्स के किरदार में रिचर्ड एटनबरो हैं तो अकील के किरदार में फारूख शेख हैं। संस्थापक डॉ. शिवानी चतुर्वेदी की अध्यक्षता में सम्पन्न इस एबीसी की बैठक में पुस्तक का परिचय अंजली कौशल ने दिया। लोकप्रिय लेखक मुंशी प्रेमचंद का परिचय पल्लवी ने दिया। उपन्यास व फ़िल्म दोनों के प्रस्तुतिकरण सहित साहित्यिक और कलात्मक पहलुओं पर प्रोफेसर वशिनी शर्मा ने चर्चा की। बैठक में बतौर पैनलिस्ट शामिल थीं वशिनी, नेहा, पल्लवी,अपेक्षा, डॉ. अंजली, मोनिका, कृति। बैठक की मॉडरेटर नेहा और पल्लवी थीं। अंत में स्वप्ना गुप्ता ने धन्यवाद दिया।

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