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अब जाने किस ओर मिले नैहर सी ठंडी छाँव…

देश की लोकप्रिय कवयित्री डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा की दो साहित्यिक कृतियाँ लोकार्पित, रचनाधर्मिता को मिली सराहना, बही काव्य-धारा।

स्वाति नक्षत्र की अमृत बूँद जैसे हैं ज्योत्स्ना जी के गीत- बाबू घायल

गीत-गंगा में डुबकी लगाने को विवश करेंगी ‘बाबुल तेरा गाँव’ की रचनाएँ- डॉ. युवराज सिंह

ब्रज पत्रिका, आगरा। आरबीएस कॉलेज की हिंदी प्रवक्ता और देश की जानी-मानी कवयित्री डॉक्टर ज्योत्स्ना शर्मा के गीत-कविता संग्रह ‘बाबुल तेरा गाँव’ और समीक्षात्मक शोध-प्रबंध ‘लक्ष्मी नारायण मिश्र के नाटकों में युग चेतना’ का संयुक्त रुप से लोकार्पण रविवार को होटल भावना क्लार्क्स-इन में आगरा और देश के जाने-माने साहित्यकारों द्वारा किया गया। इस अवसर पर आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में बही काव्यधारा ने साहित्य-रसिकों को भाव-विभोर कर दिया।


संग्रह के शीर्षक गीत को जब डॉ. ज्योत्स्ना ने अपना मीठा स्वर प्रदान किया तो उसकी मार्मिक संवेदना ने स्त्रियाँ ही नहीं, पुरुषों की भी आँखें नम कर दीं। बोल थे-

“जाने कितनी दूर छूट गया बाबुल तेरा गाँव। अब जाने किस ओर मिले नैहर सी ठंडी छाँव। अब क्या सोचे खड़ी खड़ी, क्या हाथ तेरे है शेष। सोचूँ बंद पलक में रह गए, यादों के अवशेष।”

संग्रह की समीक्षा करते हुए आरबीएस कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. युवराज सिंह ने कहा कि,

“इस संग्रह के अधिकांश गीत प्रेम, सौंदर्य, आशा, निराशा, हर्ष, विषाद, करुणा, ममता, दया, भक्ति आदि मनोभावों को मानवतावादी दृष्टिकोण के रूप में उद्घाटित करते हैं। संग्रह की रचनाएँ गीत गंगा में डुबकी लगाने को विवश करेंगी।”

सुप्रसिद्ध कवि गीतेश्वर बाबू भाई घायल (आष्टा, मध्य प्रदेश) ने कहा कि,

“ज्योत्स्ना जी के गीत स्वाति नक्षत्र की अमृत बूँद जैसे हैं। उनकी हर रचना स्वर्ण सीप में रखे अनमोल मोती जैसी है।”

देश के जाने-माने वरिष्ठ कवि गिरीश विद्रोही (नाथद्वारा, राजस्थान) ने डॉ. ज्योत्स्ना की रचनाधर्मिता को कुछ इस तरह आशीर्वाद दिया-

“तम और रोशनी के मध्य खाइयाँ जो पाटता है। सुनहरे दिनों के लिए जो रात को भी जागता है। वर्तमान, भूत और भविष्य उसे करता है नमन। जो अँधेरों से लड़े और उजाला बाँटता है।”

लोकार्पित कृति की कविताओं में छुपे दर्द को अपने शब्दों में युवा कवि योगी सूर्यनाथ ने कुछ यूँ रेखांकित किया-

“दुख जनित तुम निराशा को पढ़ ना सके। प्रेम परिणय पिपासा को पढ़ ना सके। तुमने पुस्तक बहुत सी पढ़ी हैं मगर। मेरे नैनों की भाषा को पढ़ ना सके।”

इससे पूर्व, समारोह के मुख्य अतिथि आरबीएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विजय श्रीवास्तव और समारोह के अध्यक्ष श्रीमन:कामेश्वर पीठ के महंत योगेश पुरी ने माँ शारदे के समक्ष दीप जलाकर समारोह का विधिवत शुभारंभ किया। कार्यक्रम का संचालन कवि कुमार ललित ने किया। सेंट जॉन्स कॉलेज के गणित विभागाध्यक्ष डॉ. डी.एस. शर्मा ने आभार व्यक्त किया। रिटायर्ड इनकम टैक्स कमिश्नर उमेश चंद्र दुबे, विजय कुमार शर्मा, डॉ. दीपक छोंकर, भारती दुबे और वंदना शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया।


इस दौरान श्रीराम चंद्र दुबे, पूर्व प्राचार्य डॉ. सुषमा सिंह, डॉ. श्री भगवान शर्मा, डॉ. रंजीत सिंह भदौरिया, संजय गोयल, डॉ. संजय मिश्रा, डॉ. सुधीर कुमार, आगरा आकाशवाणी के नीरज जैन, श्री कृष्ण, प्रतिभा जिंदल प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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