“मेरे सपनों का हो भारत, हसरत ऐसी पाली थी। इसीलिए तो हंस-हंसकर सीने पर गोली खा ली थी…!”
चमरौला कांड का स्मारक आज भी युवाओं को राष्ट्रभक्ति के लिए कर रहा प्रेरित।
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशन में सीएआरडीसी द्वारा संस्कार भारती के सहयोग से स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायकों के भावपूर्ण स्मरण की श्रृंखला ‘क्रांति तीर्थ’ हुई शुरू।
चमरौला कांड के बलिदानियों को किया याद, कवियों ने अपनी कविताओं से जगाई देशभक्ति।
शहीदों के गांव की मिट्टी कलश में लेकर आए उनके वारिस, शहीदों के गांव की मिट्टी से किया गया जन समुदाय के माथे पर तिलक, शहीदों के 12 गौरवशाली परिवारों का किया गया सम्मान।
ब्रज पत्रिका, आगरा। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशन में सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च ऑन डेवलपमेंट एंड चेंज (सीएआरडीसी) द्वारा संस्कार भारती के सहयोग से स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायकों, संगठनों और स्थलों के भावपूर्ण स्मरण की श्रंखला “क्रांति तीर्थ” का शुभारंभ रविवार शाम जलेसर रोड पर झरना नाला स्थित जीएस रिसोर्ट में किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि विधायक डॉक्टर धर्मपाल सिंह, समारोह के अध्यक्ष डॉक्टर बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय में इतिहास एवं संस्कृति विभाग के आचार्य प्रोफ़ेसर सुगम आनंद, विशिष्ट अतिथि संस्कार भारती के अखिल भारतीय संरक्षक बांकेलाल गौड़, मुख्य वक्ता एडवोकेट विश्वेंद्र सिंह चौहान और कार्यक्रम समन्वयक वरिष्ठ साहित्यकार राज बहादुर सिंह राज ने संयुक्त रूप से मां भारती की तस्वीर के समक्ष दीप जलाकर क्रांति तीर्थ श्रृंखला का विधिवत शुभारंभ किया।
शहादत की मिट्टी से किया तिलक
हृदय में देशभक्ति का ज्वार और आंखों में शहीदों के लिए सम्मान के आंसुओं की धार के बीच पहला कार्यक्रम चमरौला कांड के बलिदानियों को समर्पित रहा। क्या ही अद्भुत नजारा था। शहीदों के परिजन शहीदों के गांव की मिट्टी कलश में भरकर लाए थे। चंदन और जल मिलाकर शहादत की उसी मिट्टी से समारोह में उपस्थित जन समुदाय के माथे पर जब तिलक किया गया तो सबका चेहरा स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रही मां भारती की आभा से चमक उठा।
इन शहीदों को किया नमन
चमरौला कांड से जुड़े आंवलखेड़ा के पं. श्रीराम शर्मा और उसांयनी गांव के ठाकुर उल्फत सिंह चौहान के साथ 12 शहीद किसानों- साहब सिंह, किताब सिंह, डूंगर सिंह, बाबूराम यादव, राम अमीर, जुगल किशोर, किशनलाल, सीता राम गर्ग, तुलाराम, गजाधर सिंह, किशोर सिंह और बहोरी सिंह के बलिदान को नमन करते हुए उनसे जुड़े 12 गौरवशाली परिवारों को समारोह में सम्मानित किया गया।
शहीदों के परिजनों में नगला बजरिया (एत्मादपुर तहसील) से भीकम सिंह और वीरेंद्र सिंह, बरबार गांव से जमना प्रसाद, नगला धौकल से ब्रह्मदत्त, खांडा गांव से राजेंद्र सिंह बंटू, जयकरन, भगवान स्वरूप वर्मा, नवीन शर्मा और रंजीत सिंह तथा गढ़ी सहजा से संजय सिंह, उदयवीर सिंह और अभिन्न कुमार प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
राष्ट्र जागरण का पर्व है क्रांति तीर्थ
सीएडीआरसी की तरफ से क्रांति तीर्थ श्रंखला की संकल्पना को सामने रखते हुए लक्ष्मीबाई महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका डॉ. अमृता शिल्पी ने कहा कि,
“क्रांति तीर्थ राष्ट्र जागरण का पर्व है। यह उन बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने का अभियान है जिन्होंने स्वतंत्रता हेतु सर्वस्व न्यौछावर कर दिया फिर भी वे इतिहास के पृष्ठों में अनाम रह गए। क्रांति तीर्थ इस क्रांतिधरा के उन सभी अनाम और अज्ञात बलिदानियों को कृतज्ञ भारतवासियों की ओर से वंदना की श्रंखला है।”
उन्होंने कहा कि,
“अलगाव, अविश्वास, विषमता एवं विद्वेष को हटाकर राष्ट्र की एकात्मता, अखंडता, सुरक्षा, सुव्यवस्था, समृद्धि तथा शांति की ओर अग्रसर होना ही सही मायनों में बलिदानियों को श्रद्धांजलि होगी। यह कार्यक्रम इसी दिशा में एक पहल है।”
चमरौला कांड का स्मारक है राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा
मुख्य वक्ता एडवोकेट विश्वेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि,
“भारत में अंग्रेजों की क्रूर सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए गांधी जी ने देश के युवाओं को करो या मरो का आह्वान करते हुए अगस्त क्रांति की शुरुआत की थी। इसी की परिणति में हुए चमरौला कांड का स्मारक आज भी युवाओं को राष्ट्रभक्ति के लिए प्रेरित करता है।”
क्रांतिकारियों के पुण्य स्मरण से मिलेगी राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा
अध्यक्षता करते हुए डॉ. बीआर अंबेडकर वि.वि. में इतिहास एवं संस्कृति विभाग के आचार्य प्रोफेसर सुगम आनंद ने कहा कि,
“क्रांतिकारियों का पुण्य स्मरण आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्र निर्माण में हुए बलिदानों के प्रति कृतज्ञ बनाएगा और प्रेरणा पुंज का कार्य करेगा।”
उन्होंने चमरौला कांड पर प्रकाश डालते हुए बताया कि,
“क्रांतितीर्थ चमरौला 1942 के जनविप्लव का जीवंत दस्तावेज़ है। ठाकुर उल्फत सिंह के नेतृत्व में लगभग 500 क्रान्तिकारी अत्याचारी ब्रिटिश सरकार के प्रतीक चमरौला रेलवे स्टेशन के संचार साधनों को नष्ट करने पहुँचे थे। पुलिस की गोलीबारी में पाँच लोग शहीद हुए और पैंतीस लोग गंभीर रूप से घायल हुए। देश भर में हुई ऐसी घटनाओं ने औपनिवेशिक शासकों को समझा दिया कि अब भारत को स्वतन्त्र करना ही होगा।”
समारोह में ये शख्शियत रहीं मौजूद
इस दौरान डॉ. अमृता शिल्पी, प्रदीप डबराल, डॉ. गंभीर सिंह सिकरवार, डॉ. रामवीर शर्मा रवि, अर्पित चित्रांश, हरिमोहन सिंह कोठिया, राम अवतार यादव, डॉ. तरुण शर्मा, ब्लाक प्रमुख आशीष शर्मा, यतेंद्र सोलंकी, प्रखर अवस्थी और ताहिर सिद्दीकी प्रमुख रूप से मौजूद रहे। समारोह का संचालन कार्यक्रम समन्वयक राज बहादुर सिंह राज ने किया। कवि कुमार ललित मीडिया समन्वयक रहे।
कवि सम्मेलन ने जगाया देशभक्ति का जज्बा
समारोह में आयोजित कवि सम्मेलन ने देशभक्ति का जज्बा जगाया। वरिष्ठ कवि राज बहादुर सिंह राज की इन पंक्तियों ने देशभक्ति का जज्बा जगाया-
“मरा नहीं आँखों का पानी, मैंने बेची नहीं जवानी। मेरे देश! मैं तेरी खातिर, कर दूँगा सौ सौ कुर्बानी…!”
डॉ. राघवेंद्र शर्मा की इन पंक्तियों ने सभी का दिल छू लिया-
“जो अपनी देश माटी के लिए बलिदान होते हैं। वही तो देश का गौरव वही सम्मान होते हैं। कोई सानी नहीं होता है ऐसे शूरवीरों का। वही तो वीरता की वास्तविक पहचान होते हैं…!”
डॉ. रामवीर शर्मा ‘रवि’ ने शहीदों की शहादत को इस तरह याद किया-
“मेरे सपनों का हो भारत, हसरत ऐसी पाली थी। इसीलिए तो हंस-हंसकर सीने पर गोली खा ली थी…!”
पदम गौतम की इस कविता ने जोश भर दिया-
“संस्कृति रक्षण से बढ़कर, कर्म नहीं हो सकता है। अब के लहजा सख्त है मेरा नर्म नहीं हो सकता है। लाल गुलाबी पीला नीला, चाहे जो भी रंग पहनो। भगवा रंग केसरिया है, बे शर्म नहीं हो सकता है…!”
राकेश निर्मल ने भी इन पंक्तियों से समां बांध दिया-
“हम पे इतनी कृपा करना भगवन। देश के काम आये ये तन मन। विश्व के हम गुरु थे, रहेंगे। देश माटी बने जग का चंदन…!”
डॉ. केशव शर्मा, एलेश अवस्थी, संजीव वशिष्ठ, मोहित सक्सेना और रविकांत ने भी अपने काव्य पाठ से सबको भावविभोर कर दिया।