नाटक कबीरा खड़ा बाज़ार में सूरसदन में मंचित
आगरा। सूरसदन में रंगलोक सांस्कृतिक संस्थान द्वारा प्रस्तुत और डिंपी मिश्रा द्वारा निर्देशित भीष्म साहनी लिखित नाटक “कबीरा खड़ा बाज़ार में” का मंचन आगरा के युवा कलाकारों ने प्रभावशाली ढंग से किया। कबीर दास जी के निराले व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित करते नाटक में जाति और धर्म के नाम पर समाज में व्याप्त पाखंड पर चोट की गयी है। तत्कालीन बादशाहत तक से इंसानियत के उसूलों की खातिर भिड़ जाने वाले कबीर दास के चुम्बकीय व्यक्तित्व के हर पहलू को बखूबी मुखर किया गया है। निर्देशक डिम्पी मिश्रा की अगुवाई में कलाकारों ने कबीर दास जी के कवित्त को कर्णप्रिय स्वरों और अंतरात्मा को स्पर्श करने वाले संगीत संग प्रस्तुत कर इस नाट्य मंचन को यादगार बना दिया।
मोको कहाँ ढूंढे रे बन्दे, मैं तो तेरे पास में
ना तीरथ में ना मूरत में, ना एकांत निवास में
ना मन्दिर में ना मस्जिद में, ना काबे कैलास में
मैं तो तेरे पास में बन्दे, मैं तो तेरे पास में
ना मैं जप मैं ना मैं तप में, ना मैं बरत उपास में
ना में क्रिया करम में रहता, नहिं जोग सन्यास में
नहिं पिंड में नहिं अंड में, ना ब्रहमांड आकाश में
ना मैं प्रकटी भंवर गुफा में, सब स्वांसों की स्वांस में
खोजी होए तुंरत मिल जाऊ, इक पल की तलाश में
कहत कबीर सुनो भई साधो, मैं तो हूँ विश्वास में…!