…एक तुम्हारे जाने से सब गीत, अगीत हुए !
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से सम्मानित वरिष्ठ कवि-गीतकार डॉ. श्यामलाल यादव “राजेश” नहीं रहे।
साहित्य जगत में छाई शोक की लहर, सोशल मीडिया पर लगा श्रद्धांजलि का तांता।
ब्रज पत्रिका, आगरा। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से सम्मानित वरिष्ठ कवि-गीतकार डॉ. श्यामलाल यादव “राजेश” नहीं रहे हैं। उनके निधन के बाद साहित्य जगत में शोक की लहर छा गयी है, सोशल मीडिया पर भी उनको श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा हुआ है।
उनकी रचनाएं इस मौके पर लोगों को बरबस ही याद हो आयी हैं।
“जन्म से साथी रहे हो, जानता हूं,
दर्द मेरे मैं तुम्हें पहचानता हूं।”
ऐसी ही एक रचना है,
“वह ख़त जो कुछ ही दिन पहले मैंने तुम्हें लिखा है,
वह ख़त मैं लिखता, लिख पाता, मैंने नहीं लिखा है।”
उनकी ही एक और ये रचना है,
“शून्य गगन के जो भीतर है, बाहर तारांकित है,
कवि का उदासीन अंतर्मन तुमसे रेखांकित है।”
ऐसे अनेक अद्भुत गीत लिखने वाले और कई अमर गीत-कृतियों के रचयिता, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से सम्मानित वरिष्ठ कवि- गीतकार डॉ. श्यामलाल यादव ‘राजेश’ का आठ दिसंबर की रात को देहांत हो गया। डॉ. यादव कोरोना ग्रसित हो गए थे। बुधवार नौ दिसंबर की दोपहर ताजगंज स्थित विद्युत शवदाह गृह में उनके पुत्र प्रतीक और विभोर यादव ने उनका अंतिम संस्कार किया।
वरिष्ठ कवि- गीतकार डॉ. श्यामलाल यादव के गीत संग्रह ‘तुमसे रेखांकित है’ पर लघु शोध करने वाले उनके प्रिय शिष्य कुमार ललित ने जब उनके निधन का दुख भरा समाचार सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, तो साहित्य जगत में यह समाचार सुनकर शोक की लहर दौड़ गई।
देश के जाने-माने गीतकार रामेंद्र मोहन त्रिपाठी, डॉ. सीता सागर, डॉ. विष्णु सक्सेना, डॉ. राजीव राज, अशोक रावत, डॉ. त्रिमोहन तरल, डॉ. सुषमा सिंह, डॉ. कुसुम चतुर्वेदी, गोपाल विनोदी, डॉक्टर युवराज सिंह, डॉक्टर ज्योत्स्ना शर्मा, डॉक्टर नीलम भटनागर, डॉ. मधुरिमा शर्मा, सुरेश सिंह यादव, मनमोहन भारद्वाज, अमीर अहमद जाफरी, अनिल शर्मा, संजीव गौतम, पूनम भार्गव ‘जाकिर’, नूतन अग्रवाल सहित तमाम कवियों-साहित्यकारों ने उनके व्यक्तित्व-कृतित्व को याद करते हुए उन्हें अपनी भावभीनी और अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की है।
उनके प्रिय शिष्य कवि कुमार ललित ने भी अपने गुरुदेव को इन पंक्तियों के साथ में काव्यांजलि अर्पित की है।
“अब क्या लिक्खूं-गाऊं मैं, गुरुदेव तुम्हारे बिन
एक तुम्हारे जाने से, सब गीत अगीत हुए…!”
ग़ज़लकार अशोक रावत ने फेसबुक पर अपनी एक पोस्ट के जरिये उनको इन शब्दों में श्रद्धांजलि दी है,
“कोविड से डॉ. श्याम लाल यादव राजेश जी के निधन का समाचार जान कर जी बहुत बेचैन है। वे एक सरल व्यक्ति और बेहतरीन साहित्यकार थे। उनकी 9 प्रकाशित कृतियों की जानकारी तो मुझे है। उनके गीत संग्रह मेरे पास हैं। वे समाजवादी आंदोलन से प्रभावित रहे और मुलायम सिंह यादव जी के व्यक्तित्व को लेकर एक खंड काव्य भी उन्होंने लिखा है। साल भर पहले ही की तो बात है, पत्नी के सेवानिवृत्त होने के बाद उनका बच्चों के पास रहने का विचार था। आगरा में लंबा समय गुजारने के बाद नई जगह पर एडजस्ट होने के विषय को लेकर उनके मन कोई दुविधा नहीं थी। मैंने उनसे काफी आग्रह किया कि कुछ समय आगरा को और दें, अपनी रचनात्मकता से मित्रों को और लाभान्वित होने का अवसर दें। अगर आगरा में जी न लगे तो भले ही चले जाएँ। मैं हमेशा उनके गीतों का प्रशंसक रहा। काव्य गोष्ठियों में भी वे बड़े संकोच के साथ जाते थे। इधर कोविड के कारण मिलना तो कम हुआ लेकिन उनसे संवाद निरंतर बना रहा। उनके साथ बैठना उठना और बातचीत करना बहुत सुखद और ऊर्जा देनेवाला होता था। दयालबाग़ क्षेत्र में फ्लेट में जब शिफ्ट हुए तो वहाँ थोड़ा अकेलापन महसूस कर रहे थे। मैं भी मिलने गया। कुमार ललित, अनिल शर्मा जी और डॉ. सुषमा जी से भी मैंने ही कहा कि उनसे मिलते रहा करें, उनका निवास भी दयालबाग एरिया में ही हैं, ईश्वर से प्रार्थना है, उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे!”