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ब्रज के लोक गीत-संगीत की मिठास किसी के भी दिल को झंकृत कर सकती है-सुनीता धाकड़

ब्रज पत्रिका, आगरा। ब्रज के लोकगीत-संगीत अपने आप में ज़ुदा एहसास देता है। ब्रज के गीत-संगीत को सहेजने वाले अब कुछ ही कलाकार दिखायी देते हैं। इन्हीं कलाकारों की जमात में शामिल हैं आगरा की युवा गायिका सुनीता धाकड़। लोक संगीत के चार म्यूजिक एल्बम दे चुकीं सुनीता धाकड़ पिछले करीब दो दशक से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। प्रस्तुत है ‘ब्रज पत्रिका’ की सुनीता धाकड़ से साक्षात्कार के संपादित अंश-

ब्रज पत्रिका-आप लोकगीत-संगीत के क्षेत्र में कब से हैं और किस तरह आपकी रुचि इसमें जाग्रत हुई?
सुनीता-मैं इस क्षेत्र में करीब दो दशक से हूँ, मेरी माँ कंचन देवी मेरी पहली गुरू रही हैं उनकी ही प्रेरणा और मार्गदर्शन में मैंने ब्रज और राजस्थान के लोकगीत-संगीत के क्षेत्र में गायन-वादन की शुरुआत की।

ब्रज पत्रिका-अपनी माँ से मिले लोकगीत-संगीत के इस गुरु ज्ञान को आपने किस तरह से निखारा?
सुनीता-मैंने करीब दो दशक पहले इप्टा के बच्चों के लिए लगाए जाने वाले लिटिल इप्टा शिविर में जाना शुरू किया, वहाँ नाट्य पितामह स्व. राजेन्द्र रघुवंशी जी और स्व. जितेंद्र रघुवंशी जी ने मुझे और मेरी बहनों को प्रोत्साहन देकर इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में मदद की।

ब्रज पत्रिका-आपने कामयाबी का सफर किस तरह तय किया, और इसके लिए आप किसको श्रेय देंगी?
सुनीता-मेरी कामयाबी का सफर मेरी माँ से मिली लोकगीत-संगीत की अनमोल विरासत के बूते और ब्रज भूमि में पैदाइश की वजह से लोकगीत-संगीत के लिए नैसर्गिक मेरी आवाज़ ने मुझमें आत्मविश्वास भर दिया था, जिसके बूते मैंने बड़े-बड़े मंचों पर अपनी प्रस्तुतियाँ दीं, इस अनवरत जारी रहे सिलसिले ने मुझे कामयाब बनाया।

ब्रज पत्रिका-आपने लोकगीत-संगीत के इतर कभी अन्य तरह के संगीत में कभी कुछ क्यों नहीं गाया?
सुनीता-अमूमन गायक यही गलती करते हैं। उनको जो गाना चाहिए वो गाते हैं जो वो अच्छी तरह से गा ही नहीं सकते। जब मेरी आवाज़ ही फोक के लिए सूटेबल है तो मैं बेवज़ह उस संगीत में प्रयास क्यों करूँ?

ब्रज पत्रिका-आपकी एल्बम ‘लोक मंदाकिनी’ हेमा मालिनी ने लॉन्च की, कैसा लगा आपको?
सुनीता-हेमा मालिनी से मिलना मानो एक सपना सच होने जैसा ही था। उनसे बात करने का भी बेशक़ एक यादगार अनुभव रहा मेरे लिए, उन्होंने मुझसे पूछा कि इस एल्बम में लोक वाद्ययंत्रों का प्रयोग किया या नहीं, क्योंकि लोक वाद्ययंत्रों के कलाकार इस वक़्त सबसे मुश्किल दौर में हैं, उनको प्रोत्साहन और संरक्षण की जरूरत है। हमने तो अपनी एल्बम में उनका साथ लिया था, तो उन्हें बहुत खुशी हुई यह जानकर और उन्होंने मुझे आशीर्वाद भी दिया।

ब्रज पत्रिका-आपकी एल्बम ‘लोक कालिंदी’ फ़िल्म ‘ब्रजभूमि’ की हीरोइन अलका नूपुर ने लॉन्च की थी, कैसा अनुभव रहा?
सुनीता-अलका नूपुर जी ने ब्रजभाषायी फ़िल्म ब्रजभूमि में अभिनय किया है लिहाज़ा उनसे पहले से ही खास लगाव था, जब उनसे मिली तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने एल्बम की लॉन्चिंग के बाद जो वक़्त मुझे दिया वो आज भी याद है, उन्होंने एक शास्त्रीय नृत्य का प्रशिक्षण केंद्र खोला है उसके विषय में तो बताया ही साथ ही उन्होंने वहीं नृत्य कला की बारीकियों से भी हमें परिचित करवाया था।

सुनीता धाकड़
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लोक गायिका- बी-ग्रेड-आकाशवाणी आगरा केंद्र।
लोक संगीत प्रशिक्षिका-संभावना ट्रस्ट संचालित विद्यालय।
सुपुत्री-स्व. श्री भूरी सिंह धाकड़
धर्मपत्नी-श्री मुकेश कुमार धाकड़
पता-धाकरान, नाई की मंडी, आगरा।
सांस्कृतिक उपलब्धियाँ-
भारतीय लोक संगीत पर चार म्यूजिक एल्बम लोकार्पित हुए
-‘लोक मंदाकिनी’ म्यूजिक एल्बम सिने तारिका श्रीमती हेमा मालिनी जी, केंद्रीय हिंदी संस्थान के कुलसचिव डॉ. चंद्रकांत त्रिपाठी और सीनियर जर्नलिस्ट श्री बृज खंडेलवाल जी द्वारा लोकार्पित।
-‘लोक कालिंदी’ म्यूजिक एल्बम ब्रजभूमि फ़िल्म फेम सिने तारिका श्रीमती अलका नूपुर जी, टॉम डिक हेयरी फ़िल्म फेम बॉलीवुड फिल्म प्रोड्यूसर श्री सुरेंद्र भाटिया जी और जय करौली माँ फ़िल्म फेम प्रोड्यूसर श्री रंजीत सामा जी द्वारा लोकार्पित।
-‘लोक मल्हार’ म्यूजिक एल्बम बॉलीवुड साउंड इंजीनियर श्री सतीश गुप्ता जी, बॉलीवुड लिरिक्स राइटर श्री सुरेंद्र साथी जी और एक्स फैक्टर फेम सीनियर सिंगर श्री करतार सिंह जी द्वारा सयुंक्त रूप से लोकार्पित।
-‘ब्रज होली बौछार’ म्यूजिक एल्बम मेरे भैया फ़िल्म फेम लिरिक्स राइटर और कवि प्रो. सोम ठाकुर जी, गज़ल गायक श्री सुधीर नारायण जी, शारदा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स की डायरेक्टर श्रीमती भावना गुप्ता जी द्वारा लोकार्पित।
प्रमुख पुरस्कार-
‘ब्रज लोक रत्न अवार्ड’-उत्तर प्रदेश की पूर्व पर्यटन मंत्री श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी जी द्वारा दीन दयाल धाम फरह में आयोजित जन्म शताब्दी समारोह में प्रदत्त।
‘संगीत मनीषी श्री कृष्ण तिवारी अवार्ड’-संस्कार भारती नाट्य केंद्र द्वारा मिल्टन पब्लिक स्कूल में सम्पन्न रंगोदय में प्रदत्त।
‘शैलेन्द्र रघुवंशी अवार्ड’-इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) द्वारा लिटिल इप्टा के सांस्कृतिक समारोह में प्रदत्त।
निर्णायक की भूमिका-
लोक संगीत प्रतियोगिता-निर्णायक-स्वदेशी मेला-कोठी मीना बाज़ार में स्वदेशी जागरण मंच, आगरा द्वारा आयोजित।
लोक संगीत प्रतियोगिता-जेपी सभागार में डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा द्वारा आयोजित।
प्रमुख मंचीय सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ-
ताज महोत्सव-शिल्पग्राम, आगरा।
सैफई महोत्सव-सैफई, एटा।
मित्र महोत्सव-केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा।
पृथ्वी दिवस महोत्सव-मित्र सोसाइटी, आगरा।
मैनपुरी महोत्सव-मैनपुरी ग्राउंड।
ब्रज होली महोत्सव-सरस्वती विद्या मंदिर, आगरा।
स्वागत महोत्सव-सेंट जॉन्स कॉलेज, आगरा।
इप्टा हीरक जयंती महोत्सव-सूरसदन, आगरा।
हिंदी काव्य संगीत उत्सव-केंद्रीय हिंदी संस्थान।
इप्टा राज्य नाट्य महोत्सव-मेरठ स्थित सभागार।
श्री कृष्ण जन्माष्ठमी महोत्सव-जुबली हॉल, आरोही संस्था।
सावन महोत्सव-होटल टेम्पटेशन, आकाशगंगा संस्था आगरा।
रंगरसिया महोत्सव-हरियाली वाटिका हॉल, फ्रेंड्स थिएटर।
नज़ीर बसंत महोत्सव-नज़ीर मजार, बज़्मे नज़ीर, आगरा।

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