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आगरा के धर्मपाल ठाकुर ने कलमबद्ध किया है ‘तेरा क्या होगा आलिया’

आगरा। डॉ. महेश चंद्र धाकड़
लेखन और निर्देशन की दुनिया में आगरा का एक नौजवान धर्मपाल ठाकुर खूब नाम कमा रहा है। मौजूदा वक्त में टीवी सीरियल ‘तेरा क्या होगा आलिया’ के चलते धर्मपाल चर्चा में है। हाल ही में इस सीरियल की शूटिंग पूरी करके गए धर्मपाल ने ‘ब्रज पत्रिका’ के साथ अपने शहर आगरा में कामकाज के दौरान के अनुभव साझा किए। बकौल धर्मपाल आगरा में शूटिंग बहुत ही शांति से हुई किसी ने डिस्टर्ब नहीं किया। आगरा में लाइन प्रोड्यूसर सत्य प्रकाश शुक्ला और उनकी टीम ने हमें भरपूर सहयोग दिया। बार-बार अपने शहर आना चाहूँगा। आगरा  के कुंडॉल गांव में गोपाल ठाकुर और किरन देवी ठाकुर के परिवार में पैदा हुए धर्मपाल बताते हैं कि आज भी गांव में हमारी खेतीबाड़ी है, मंदिर स्थापित है। हमारे पुरखे गांव के जमींदार रहे हैं। हमारे पिता कामकाज के सिलसिले में सपरिवार मुम्बई आ गए थे। मुम्बई में पिता का खदानों का कारोबार था। माता-पिता नहीं रहे, बड़े भाई तेजेन्द्र ठाकुर अब इस कारोबार को संभाल रहे हैं। मैं शुरू से क्रिएटिव फील्ड में अपना करियर बनाने की जुगत में रहा हूँ। थिएटर की शुरुआत से लेकर आज करीब 30 साल हो गए लेखन करते हुए। शुरुआत में कॉलेज टाइम में थिएटर किया करते थे। इसके बाद मुम्बई में ही आयोजित थिएटर फेस्टिवल में हिस्सा लिया। एक्टिंग के इस जुनून ने ही मुझे एक्टिंग की दुनिया की तरफ मोड़ दिया। ‘ओम नमः शिवाय’ सहित टीवी सीरियलों के 500 से अधिक एपिसोड में अभिनय किया। इसके बाद लेखन और डायरेक्शन के क्षेत्र में कदम रखा। कॉमेडी सर्कस और कपिल के शो के लिए भी काम किया। आज ‘तेरा क्या होगा आलिया’ शो में क्रिएटिव प्रोड्यूसर हूँ। आगरा के कुंडॉल गांव में ही डीएवी स्कूल में पढ़ा हूँ। वो भी क्या दिन थे, जब पेड़ के नीचे बैठकर हम पढ़ा करते थे। उसके बाद जब मुम्बई आ गए, तो राजस्थानी सेवा संघ कॉलेज से बी. कॉम किया। पढ़ाई के दरमियान थिएटर और स्पोर्ट्स में ज्यादा रुचि थी। ‘चाणक्य’ फेम डॉ. चंद्रपाल और सगीर अहमद साहब मेरे थिएटर में गुरू रहे। अपनी लेखन की जंदगी में कामयाबी के सवाल पर वे कहते हैं, कॉलोनी के दोस्तों के साथ जो मस्ती की, जो ह्यूमर पैदा हुआ, वही काम आ गया। आज करीब एक दर्जन लेखकों की मेरी टीम है, पूरा शो क्रिएट करने लगा हूँ। ‘तेरा क्या होगा आलिया’ सीरियल का आइडिया कुछ यूँ आया, मैं देखता था कि जब शादी के बाद अपने शरीर पर ध्यान नहीं देने वाली महिलायें मोटी हो जाती हैं, तो वे पति के प्रति शक्की मिजाज की हो जाती हैं, उन्हें लगता है कोई भी खूबसूरत दिखने वाली लड़की उसके पति पर डोरे डाल रही है। इस चक्कर में वे बड़ी ही अजीबो-गरीब हरकतें करने लगती हैं। इस सीरियल में भी यही होता है, आलिया का शक और पक्का हो जाता है, जब उसे मालूम चलता है उसके पति की कुंडली में दो शादियों का योग है। एक संदेश भी दिया गया है, शक से जिंदगी नरक बन सकती है, इसलिए सचेत रहो, अपने दिल की मानो, अंधविश्वास मत करो। ईश्वर पर भरोसा करो। कास्टिंग का भी अनूठा किस्सा है, आलिया के पात्र के लिए जब हमारी तलाश जारी थी, एक लड़की सोनी सब टीवी के दफ्तर में लिफ्ट से नीचे उतर रही थी। मुझे लगा यही है वो लड़की, जिसकी हमें तलाश थी, स्क्रीन टेस्ट लिया तो पूरी टीम को वो पसंद नहीं आयी, मगर मैंने भरोसा किया उस पर। उसने भी एक्टिंग में रुचि दिखाई, और उसको कास्ट कर लिया गया। उसकी आँखें बोलती हैं, स्माइल करती है तो अच्छी लगती है, वो भले पति पर शक करती है, उसके चलते कुछ अटपटी हरकतें भी करती है, मगर किसी भी सीन में नेगेटिव नहीं लगती। सीरियल के कुछ एपिसोड में लग रहे अश्लीलता के आरोपों के बावत वे कहते हैं इसमें पति-पत्नी के बीच की बातचीत हैं, जो अमूमन वे आम जिंदगी में करते हैं और कुछ नहीं। इस सीरियल में आगरा की स्थानीय बोलचाल के अलावा ब्रज भाषा का भी प्रयोग किया है। आलिया आगरा की ही लड़की बनी है। ब्रज के सिनेमा को भी हम जिंदा करेंगे। बदलाव के सवाल पर कहा, वेब मीडिया लोगों को लुभा रहा है, मगर ये टीवी और फिल्मों की जगह नहीं ले सकता। वेब सीरीज बोल्ड सब्जेक्ट्स पर आ रही हैं, जिनको युवा एकांत में देख रहे हैं, टीवी और फ़िल्म परिवार के साथ देखे जाते हैं, इसलिए उनके विषय अलग हैं। एक भेड़चाल सी चल पड़ी है। जहाँ तक फिल्मों में गाली-गलौज के प्रयोग का सवाल है, वो कहानी की जरूरत के हिसाब से डाला जा रहा है, जो समाज में हो रहा है, वही लेखक फ़िल्म के लिए लिख रहे हैं। ये तभी रुकेगा, जब दर्शक देखना बंद कर दें। राज कपूर, धर्मेंद्र, मिथुन, नसीर और ओमपुरी सबका अपना-अपना, अलग-अलग अंदाज़ वाला सिनेमा रहा है। हाल ही में रानू मंडल के चर्चा में आने के सवाल पर उन्होंने कहा बड़े-बड़े सिंगर पड़े हैं, उनको किसी ने चांस नहीं दिया, बस पब्लिसिटी के लिए रानू मंडल को गवा रहे हैं। जबकि लता जी ने एक बार कहा था, कि कोई सिंगर किसी की नकल करके बड़ा सिंगर नहीं बन सकता। टीवी सीरियल और शो में भी बच्चों की दुःखद कहानियों को भुनाया जाता है, बच्चों का बचपन इन टैलेंट हंट ने छीन लिया है।

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