गुप्त नवरात्र में साधक मां दुर्गा की कठिन भक्ति-तपस्या करते हैं, और शक्ति-सिद्धियां प्राप्त करते हैं
डॉ. शोनू मेहरोत्रा
(ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ)
दयालबाग, आगरा।
ब्रज पत्रिका, आगरा। माघ और आषाढ़ मास में आने वाले गुप्त नवरात्र तंत्र विद्या में विश्वास रखने वाले तांत्रिकों के लिये खास माने जाते हैं। गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों तक साधक मां दुर्गा की कठिन भक्ति और तपस्या करते हैं और शक्ति और सिद्धियां प्राप्त करते हैं। इस दौरान मंत्र सिद्ध हो जाते हैं।इन गुप्त नवरात्रों में कार्य सिद्धि के लिये अनुष्ठान भी किये जाते हैं।
सूर्य ग्रहण के अगले दिन 22 जून सोमवार से आषाढ़ गुप्त नवरात्र शुरू होंगे और इनका समापन 30 जून को होगा। देवी दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इनकी अराधना के लिए साल में दो बार बड़े स्तर पर नवरात्रि पर्व मनाया जाता है। जिसमें देवी मां के अलम-अलग नौ रूपों की उपासना की जाती है। इस नवरात्र को चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। लेकिन साल में दो बार नवरात्र ऐसे भी आते हैं जब मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। मान्यता है कि इस भक्ति और सेवा से मां प्रसन्न होकर साधकों को अतुल्य शक्ति देती हैं। साथ ही उनके सभी मनोरथ सिद्ध करती हैं।
*पूजन विधि*
गुप्त नवरात्र की पूजा अन्य नवरात्र की तरह ही की जाती है। नौ दिनों तक व्रत का संकल्प लेते हुए साधक नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना करते हैं। प्रतिदिन सुबह शाम मां दुर्गा की पूजा की जाती है। फिर अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं के पूजन के साथ व्रत का उद्यापन किया जाता है। वहीं तंत्र साधना वाले साधक इन नौ दिनों में माता के नवरूपों की बजाय दस महाविद्याओं की साधना करते हैं। ये दस महाविद्याएं हैं- मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी।
*पौराणिक कथा*
एक बार ऋषि श्रंगी भक्तों को प्रवचन दे रहे थे। इसी दौरान भीड़ से एक स्त्री हाथ जोड़कर ऋषि के सामने आई और अपनी समस्या बताने लगी। स्त्री ने कहा कि उनके पति दुर्व्यसनों से घिरे हैं और इसलिए वह किसी भी प्रकार का व्रत, धार्मिक अनुष्ठान आदि नहीं कर पाती। स्त्री ने साथ ही कहा कि वह मां दुर्गा के शरण में जाना चाहती है लेकिन पति के पापाचार के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है। यह सुन ऋषि ने बताया कि शारदीय और चैत्र नवरात्र में तो हर कोई मां दुर्गा की पूजा करता है, और इससे सब परिचित भी हैं, लेकिन इसके अलावा भी दो और नवरात्र हैं। ऋषि ने बताया कि दो गुप्त नवरात्र में नौ देवियों की बजाय 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है। ऋषि ने स्त्री से कहा कि इसे करने से सभी प्रकार के दुख दूर होंगे और जीवन खुशियों से भर जाएगा। ऐसा सुनकर स्त्री ने गुप्त नवरात्र में गुप्त रूप से ऋषि के अनुसार मां दुर्गा की कठोर साधना की। मां दुर्गा इस श्रद्धा और भक्ति से हुईं और इसका असर ये हुआ कि कुमार्ग पर चलने वाला उसका पति सुमार्ग की ओर अग्रसर हुआ। साथ ही स्त्री का घर भी खुशियों से भर गया। नवरात्रों के दौरान तामसी भोजन, लहसुन और प्याज का उपयोग न करें। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। गुरुजन एवं माता पिता का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए। साधना मंत्र जाप किसी अभ्यासी या गुरु के सानिध्य में करना चाहिए।