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पीर साहब के उर्से-चालीसवाँ के मौके पर कोरोना महामारी से निजात के लिए दुआ की गई

ब्रज पत्रिका, आगरा। हज़रत ख्वाजा शैख सैय्यद फतिहउद्दीन बल्ख़ी अलमारूफ़ ताराशाह चिश्ती साबरी कम्पाउंड आगरा क्लब आगरा के सज्जादानशीं पीर-ए-तरीकत आले पंजतनी पीर अलहाज रमज़ान अली शाह चिश्ती साबरी अकबराबादी का उर्से-चालीसवाँ ईदगाह कब्रिस्तान स्थित मज़ार-ए-मुबारक पर अर्क़े गुलाब जल से ग़ुस्ल साहबज़ादे गान, मुरीदीन ने कराया। उसके बाद सन्दल, इत्र, चादरपोशी करके फातिहा ख़्वानी की गई। इस मौके पर मुल्क में अमन चैन, कोरोना महामारी के खात्मे और मुरीदीन के फलाह और बहबूदी के लिए खास दुआ की गई।

दुआ के बाद दरगाह मरकज़ साबरी के महासचिव विजय कुमार जैन ने कहा कि पीर साहब ने अपनी सारी ज़िन्दगी मानवीय एकता के कार्यों को करने में लगाई। बुज़ुर्गों की रूहानी तालीम के साथ पीर साहब हर धर्म और मज़हब के हिसाब से ही सबको तालीम दिया करते थे। आपने सभी धर्मों के धर्मगुरुओं को एक मंच पर लाकर एकता, मुहब्बत और भाईचारे का पैग़ाम दिया । पीर साहब की कोशिश होती थी कि लोगों में आपसी भाईचारा कायम हो और इस काम में बहुत हद तक कामयाबी भी हासिल की। पीर साहब के मुरीदों में हर धर्म, मज़हब व सम्प्रदाय के लोग हैं जो अपने पीर की बात को सर्वोपरि रखकर एकता, मुहब्बत व भाईचारे को कायम करते है। बुज़ुर्गों के उर्स के मौके पर रूहानी फरिश्ते भी नाज़िल होते हैं जो अल्लाह की बारगाह तक हाजरीन और मुरीदीन की दिली दुआओं को बारगाहे रब तक पहुंचा कर मांगने वालों की झोलियों में आता करते हैं।

सोशल डिस्टेंसिग का खास खयाल रखा और सभी मुरीदीन को ऑनलाइन हाजरी व दुआ में शामिल कर उनकी दिली तमन्ना को पूरा किया गया। बाहर के मुरीदीन ने लॉक डाउन होने की वजह से अपने-अपने शहरों में फातिहा का एहतमाम किया जिसमें मुख्य रूप से मुम्बई के कलाकार शिष्यों ने नैनीताल, मैनपुरी, घिरोर, कलियर शरीफ, कटक उडीसा, दिल्ली, फ़िरोज़ाबाद आदि जगहों पर खुसूसी फातिहा दुआ का एहतमाम करके लंगर तकसीम किया गया।

फातिहा ख़्वानी और ग़ुस्ल के मौके पर बुन्दू खान चिश्ती साबरी, पीरजादा हाजी इमरान अली, पीरज़ादा हाजी कासिम अली, हाफिज इस्लाम खान कादरी, सैय्यद तनवीर निज़ामी, अनीस अली, आरिफ अली, तरुण साबरी, राकेश चन्देल, उमेश चंदेल, रमज़ान खान साबरी, करुण साबरी, रफीक साबरी, पंडित जगदीश प्रसाद, सरदार रविन्द्र सिंह, ज़ैनुल आबेदीन रमज़ानवी, जयसिंह साबरी, पुरषोत्तम साबरी, इरफान साबरी आदि मौजूद रहे।

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