UA-204538979-1

हिंदी सिनेमा के मशहूर गीतकार योगेश गौड़ ने दुनिया को कहा अलविदा, हमेशा गुनगुनाये जायेंगे उनके प्यारे गीत

ब्रज पत्रिका, आगरा। हिंदी सिनेमा के महान गीतकार योगेश गौड़ को इस जहाँ में हमेशा याद किया जाएगा। योगेश गौड़ का 77 वर्ष की आयु में 29 मई 2020 को निधन हो गया। उन्हें जिन गीतों के लिए खासतौर पर याद किया जाएगा उनमें 1971 में आयी फ़िल्म आनंद का गीत ‘कहीं दूर जब दीन ढल जाय’ और ‘जिंदगी कैसी है पहेली’ भी शामिल हैं। योगेश गौड़ ने खुद कभी कहा था कि वो क्या है जो उनको लिखने को प्रेरित करता है- “जो दिखा था, जो जेठा था, वो ही है (यानि कि मैंने जो देखा और जिया वो ही लिखा है)।” कहने का मतलब ये था कि उन्होंने हमेशा अपने आस-पास के लोगों के बारे में लिखा। योगेश गौड़ का जन्म 19 मार्च 1943 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ। काम की तलाश में 16 साल की उम्र में मुम्बई (बम्बई) चले गए और अपने चचेरे भाई योगेंद्र गौड़ से खुद को भी काम दिलाने के लिए सहयोग मांगा, जो एक खुद पटकथा लेखक थे। उनको पहला काम वर्ष 1962 में मिला, जब उन्होंने फिल्म सखी रॉबिन के लिए छह गीत लिखे, इनमें ‘तुम जो आओ तो प्यार आ जाये जिंदगी में बहार आ जाये’ सरीखा बेहद लोकप्रिय हुआ गीत भी शामिल था। जिसे मन्ना डे ने गाया था। गीत ने बॉलीवुड में उनके करियर की शुरुआत करा दी। इसके बाद तो उन्होंने बेहतरीन निर्देशकों के साथ काम किया। इनमें हृषिकेश मुखर्जी और बसु चटर्जी सरीखे निर्देशक भी शामिल थे। उमके लिखे हुए कुछ लोकप्रिय नग़मों में रिमझिम गिरे सावन के अलावा रजनीगंधा फ़िल्म से कई बार’, बातों-बातों में फ़िल्म से ‘मेरा मन नहीं कहो’। टेलीविजन धारावाहिकों के लिए भी लिखा। गीतकार के रूप में हिंदी सिनेमा और टेलीविजन के लिए अतुलनीय योगदान हेतु उन्हें दादा साहेब फाल्के अवार्ड और यश भारती पुरस्कार सहित तमाम पुरस्कार भी मिल चुके हैं। उन्होंने तमाम फिल्मों के गीत लिखे जिनमें फ़िल्म मिली (1975), मंज़िल (1979),  छोटी सी बात (1975), रजनीगंधा (1974) भी शामिल हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!