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निनाद का हुआ रंगारंग समापन, अतिथि और स्थानीय कलाकारों ने सुर और ताल से सुसज्जित संध्या में भरे मनमोहक रंग

द्विदिवसीय 59वें निनाद महोत्सव का आस्था गोडबोले कार्लेकर के कत्थक नृत्य एवं डॉ. विपुल कुमार रॉय के संतूर वादन की उच्चस्तरीय प्रस्तुतियों और प्रमुख शख्शियतों को प्रदत्त विभिन्न सम्मानों के साथ हुआ समापन।

ब्रज पत्रिका, आगरा। नगर की प्रमुख संस्था पं. रघुनाथ तलेगांवकर फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा आयोजित द्विदिवसीय निनाद महोत्सव के द्वितीय दिन सांयकालीन संगीत सभा प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ के सहयोग से गुरु एम. एल. कौसर की स्मृति में आयोजित की गई।

समापन सभा का उद्घाटन हाथरस विधानसभा क्षेत्र की विधायक अंजुला माहौर ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन करके किया। अपने संबोधन में विधायक अंजुला माहौर ने संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की, और कहा कि संगीत कला में पारंगत वही व्यक्ति हो पाता है जिस पर कि ईश्वर की विशेष कृपा होती है।

कार्यक्रम का प्रारंभ संगीत कला केंद्र के बाल संगीत साधकों द्वारा ग्वालियर घराने की पारंपरिक रचना “गुरु बिन कैसे गुण गावे…!” गुरु वंदना से हुआ, जिसको प्रतिभा तलेगांवकर के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया। इसमें अर्पित मोदी, दर्शित राज सोनी ने भाग लिया।

तदोपरांत, संस्था द्वारा प्रदत्त उपाधियों का अलंकरण समारोह हुआ, जिसमें डॉ. सुशीला त्यागी को ‘संगीतसेवी सम्मान’, समाजसेवी उद्यमी अंबरीश पटेल एवं उनकी धर्मपत्नी सोनल पटेल को ‘संगीत कलानुरागी’, डॉ. दुष्यंत त्रिपाठी को ‘आदर्श संगीत प्रसारक’, संस्कृतिप्रेमी पर्यटन उद्यमी अरूण डंग को ‘कला संरक्षक’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। सम्मान संस्था के अध्यक्ष विजय पाल सिंह चौहान, न्यासी प्रतिभा तलेगांवकर, डॉ. शशिबाला यादव, डॉ. मंगला मठकर एवं अरविंद कपूर ने प्रदान किया।

कार्यक्रम की प्रथम प्रस्तुति के रूप में पद्मश्री पंडित भजन सोपोरी के सुयोग्य शिष्य डॉ. विपुल कुमार रॉय ने संतूर वादन में राग भूपाली में विलंबित गत ताल झपताल में, मध्यलय गत ताल तीनताल में, द्रुतगत तीनताल में प्रस्तुत की। तत्पश्चात एक धुन प्रस्तुत करके कार्यक्रम का समापन किया। राग का विस्तारीकरण, तानों की स्पष्ट तैयारी आपके संतूर वादन में विशेष रूप से परिलक्षित हो रही थी। तबले पर सूझ-बूझभरी संगत जयपुर से पधारे युवा तबला वादक पीयूष कुमार राव ने की।

कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रुप में विदुषी सविता गोडबोले की सुयोग्य शिष्या एवं सुपुत्री आस्था गोडबोले कार्लेकर का कत्थक नृत्य रहा। आपने अपनी प्रस्तुति लखनऊ घराने की पारंपरिक नृत्य शैली में की। तबले पर आपके साथ संगत अक्षय शेवडे, पखावज पर संजय आगले, गायन पर डॉ. मेघा तलेगांवकर राव और संवादिनि पर पंडित रविन्द्र तलेगांवकर ने साथ देकर नृत्य प्रस्तुति को अनंत ऊंचाइयों पर पहुंचाया। आपने अपनी प्रस्तुति का प्रारंभ शिव स्तुति से किया, तदोपरांत लखनऊ घराने की पारंपरिक बंदिशों को प्रस्तुत करके श्रोताओं का मन मोह लिया।

कार्यक्रम के अंतिम चरण में संगीत कला केंद्र के संगीत साधकों द्वारा पं. विष्णु दिगंबर द्वारा रचित आरती “जय जगदीश हरे…!” तथा पंडित जी की प्रिय धुन “रघुपति राघव राजा राम…!” का संगीतमयी प्रस्तुतिकरण करके निनाद महोत्सव को अनहद नाद की अनंत ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

इससे पूर्व नाद साधना प्रातः कालीन सभा का उद्घाटन एस. सी. पोखरियाल, संस्थापक, हिलमैन पब्लिक स्कूल आगरा ने दीप प्रज्जवलन करके किया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में केंद्र के साधकों ने पंडित रघुनाथ तलेगांवकर द्वारा राग वसंत मुखारी में स्वरचित सरस्वती वंदना एवं संगीत नक्षत्र पं. केशव तलेगांवकर द्वारा स्वरचित नाद वंदना “नाद की साधना स्वर की आराधना…!” का प्रस्तुतिकरण करके संगीतमयी वातावरण उत्पन्न किया।

कार्यक्रम के प्रथम चरण में वाराणसी से पधारे युवा गायक पूर्णेश भागवत ने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति में राग मियां की तोड़ी प्रस्तुत किया, जिसमे विलंबित रचना ताल झूमरा में एवं मध्यलय की रचना ताल तीनताल में प्रस्तुत की। कार्यक्रम का समापन आपने अपने पिता द्वारा रचित राग परमेश्वरी में निबद्ध अभंग से किया। तबले पर आपके लघु भ्राता पुष्कर भागवत और संवादिनी पर पं. रविन्द्र तलेगांवकर ने लाजवाब संगति करके श्रोताओं से वाहवाही लूटी।

कार्यक्रम के अंतिम चरण में मुंबई से पधारे बनारस घराने के सुविख्यात तबला वादक पंडित कालीनाथ मिश्रा ने तबला वादन की प्रस्तुति की। आपने अपने तबला वादन की शुरुआत ताल तीनताल से की, तदोपरांत आपने बनारस घराने की पारंपरिक रचनाओं को प्रस्तुत कर श्रोताओं को आनंदित किया। पखावज पर हेमंत तावटे एवं संवादिनी पर पंडित रविन्द्र तलेगांवकर ने कुशल संगति की। यह सभा बनारस घराने के सुविख्यात तबला वादक पंडित पुंडलिक भागवत को समर्पित की गई।

कार्यक्रम की प्रथम सभा में डॉ. मेघा तलेगांवकर राव (पुणे) एवं समापन सभा का संचालन श्रीकृष्ण ने किया। कार्यक्रम के अंत में अध्यक्ष विजयपाल सिंह चौहान एवं सचिव प्रतिभा तलेगांवकर ने सभी का आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन किया।

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