संस्कृति

वर्तमान समय में ब्रज की लोक गीत और संगीत की विरासत को बचाने की महती आवश्यकता है

ब्रज पत्रिका, आगरा। संकेत लोक मंच के तत्वाधान में “आधुनिक परिवेश में ब्रज गीतों की विलुप्त होती जा रहीं स्वर लहरियां” विषय पर एक परिचर्चा तथा लोकगीतों की मधुरिम प्रस्तुति की गई। राजीव शर्मा ‘निस्पृह’ के संयोजन में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की कुलपति प्रो. आशु रानी और विशिष्ट अतिथि केंद्रीय हिंदी संस्थान की पूर्व निदेशक प्रो. बीना शर्मा थीं। सभापति डॉ. राजेंद्र मिलन थे।

अन्य अतिथियों में आरबीएस कॉलेज की पूर्व प्राचार्या प्रो. सुषमा सिंह, अरुण डंग, राज बहादुर राज, डॉ. शशि तिवारी, डॉ. बृज बिहारी ‘बिरजू’, आदर्श नंदन गुप्त शामिल थे। सभी मंचासीन अतिथियों ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके एवं माल्यार्पण करके उद्घाटन किया। तत्पश्चात सभी अतिथियों ने लोक कला विषय पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान समय में ब्रज की लोक गीत संगीत की विरासत को बचाने की महती आवश्यकता है। संचालन निशिराज द्वारा किया गया।

सुधा वर्मा, बबीता पाठक, रमा वर्मा ‘श्याम’ आदि ने मधुर गीत प्रस्तुत किए। समारोह में शरद गुप्त, संजय गुप्त, अनिल जैन, उमाशंकर मिश्र, नंद नंदन गर्ग, ओम स्वरूप गर्ग, अजय चतुर्वेदी, मनोज सिंह, व्यंजना शर्मा, यशोधरा, विनय बंसल, राम अवतार शर्मा, प्रकाश बेबाक, डॉ.महेश धाकड़ आदि की उपस्थिति रही।

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