कलाकारों की मनभावन प्रस्तुतियों संग हुआ मल्हार श्रृंगार समारोह का सुरम्य आयोजन
नारायण विहार स्थित सुर सभागृह में पं. रघुनाथ तलेगाँवकर फ़ाउंडेशन ट्रस्ट एवं संगीत कला केन्द्र आगरा द्वारा आयोजित किया गया।
नगर के प्रतिष्ठित संगीतज्ञों ने शास्त्रीय, सुगम गायन एवं वादन से समां बांधा।
ब्रज पत्रिका, आगरा। पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर एवं पं. विष्णु नारायण भातखण्डे जी की जन्म जयन्ती, गुरूवर्य उस्ताद लल्लू सिंह तथा रानी सरोज गौरिहार जी की पुण्यतिथि एवं विदुषी मंजू नंदन मेहता जी (सुविख्यात सितार वादिका एवं सह-संस्थापक सप्तक, अहमदाबाद) को समर्पित कार्यक्रम मल्हार श्रृंगार का शुभारम्भ ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा मूर्धन्य संगीतज्ञों को माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलन करके किया गया।
तत्पश्चात् श्लोक के माध्यम से प्रतिभा तलेगाँवकर ने गुरु स्मरण किया। संस्था की नन्ही छात्राएँ निहि सिंह एवं शनायरा लाल ने कृष्ण भजन “आजा रे आजा नंदलाल रे” का गायन कर जन्माष्टमी पर्व का शुभारंभ किया। इसके बाद रिचा श्रीवास्तव, आर्या भाटी एवं महक जादौन ने सावन की कजरी “घिर घिर आई रे बदरिया” की प्रस्तुति की।
तत्पश्चात् आर्ची, ईशा एवं अभिलाषा शुक्ला ने कृष्ण भजन “नाचे नंदलाल नचावे प्यारी सखियाँ” एवं राग देस में निबद्ध रचना “सावन आये घिर घिर” की प्रस्तुति दी। गायक कलाकारों के साथ ढोलक पर उस्ताद सलीम खाँ एवं संवादिनी पर गुरु माँ प्रतिभा केशव तलेगाँवकर ने संगत की।
इसके बाद संस्था के उभरते साधक गोपाल मिश्र एवं जतिन नागरानी ने मियाँ मल्हार में पं. रघुनाथ जी द्वारा रचित दो बंदिशें “बूंदन बरसे जिया हुलसे” एवं द्रुत बंदिश “गरज गरज घन” की दमदार प्रस्तुति कर सभागार को सावन के रंग में सराबोर कर दिया। इस कार्यक्रम को श्रोताओं का भरपूर स्नेह मिला।
कार्यक्रम के अगले चरण में सुविख्यात तबला वादक हरिओम का एकल तबला वादन हुआ, जिसमें उन्होंने दिल्ली अंग की उठान, बाँट चक्रदार परन तथा स्पष्ट बोलों के रेलों से सुर सभागृह में उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ लहरा संगति गोपाल मिश्र ने की।
कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति के रूप में आगरा की सुविख्यात गायिका डॉ. सुजाता अग्रवाल ने दो कृष्ण भजन “कुंजन से दोऊ आवत” एवं “सूना मधुबन देख के कान्हा” प्रस्तुत कर सभागार को भक्ति रस से भर दिया। उनके साथ तबले पर संगत हरिओम माहौर एवं संवादिनी पर गोपाल मिश्र ने की।
समापन प्रस्तुति के रूप में नगर की वरिष्ठ संगीतज्ञ विजयलक्ष्मी शर्मा ने सावन की पारम्परिक कजरी गायन कर लोक संगीत के रंग से श्रोताओं को रसाबोर कर दिया। उनके साथ ढोलक पर उस्ताद सलीम खाँ एवं संवादिनी पर गोपाल मिश्र ने संगत की।
कलाकारों को उपवस्त्र देकर स्वागत किया गया। नगर के सभी गणमान्य संगीत रसिकों एवं जिज्ञासुओं में धनवंत्री पाराशर, योगेश शर्मा, अशोक करमरकर, दीपक प्रह्लाद, प्रो. लवली शर्मा, डॉ. मनीषा, डॉ. मंगला मठकर, मुक्ता तलेगाँवकर, डॉ. अनिल गौतम, शशि गौतम, गिरधारी लाल, डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव, तापोश गिरी, संदीप अरोड़ा, मीनू सेन आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का सुंदर संचालन आकाशवाणी के कार्यक्रम अधीक्षक श्रीकृष्ण ने किया। अध्यक्ष विजयपाल सिंह चौहान, अनिल वर्मा ने कलाकारों का स्वागत किया। प्रबंध न्यासी प्रतिभा केशव तलेगाँवकर ने श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।