तुम से कुव्वत लेकर अब मैं तुमको राह दिखाऊंगा, तुम परचम लहराना साथी, मैं पर्बत पर गाऊंगा!
आगरा के यूथ हॉस्टल में आयोजित हुआ साहिर लुधियानवी जन्म शताब्दी समारोह।
ब्रज पत्रिका, आगरा। साहिर लुधियानवी केवल एक शायर नहीं बल्कि एक ऐसे नग़मानिगार थे जो जवां दिलों में आतिश की तरह जोश और ज़ुनून भरते थे और मौजूदा व्यवस्था से सवाल करने की हिम्मत रखते थे-
“दुनिया ने तज़रबातों की शक्ल में
जो कुछ मुझे दिया वो लौटा रहा हूँ मै!”
शायर साहिर लुधियानवी की जन्म शताब्दी वर्ष में प्रगतिशील लेखक संघ आगरा द्वारा एक शानदार कार्यक्रम यूथ हॉस्टल आगरा में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर डॉ. नसरीन बेगम ने कहा कि,
“साहिर ने अपने वालिद से अलग होकर अपनी अम्मी के साथ रहने का निर्णय छोटी सी उम्र में किया, वैसे भी बाग़ी निर्णय सिर्फ छोटी सी उम्र में ही करते हैं और उनका यह तेवर उम्र भर साथ रहता है और यही उनकी शायरी की पहचान है।”
डॉ. ज्योत्स्ना रघुवंशी ने शायर की ज़िंदगी और उनके किरदार को उनके गीतों की भावना से व्यक्त किया और बताया कि,
“साहिर अपने काम को लेकर उतने ही समर्पित थे, जितने वो अपने रिश्ते को लेकर थे।”
अरुण डंग ने साहिर के अमृता व अन्य रिश्तों पर रोशनी डाली और कहा कि,
“बेशक साहिर ने खुद को पल दो पल का शायर कहा हो पर वो सदियों में एक बार पैदा होने वाले शायर थे।”
प्रोफेसर राजेंद्र शर्मा ने उनके राजनैतिक निष्ठा को नमन करते हुए कहा कि,
“आज फिर से साहित्य और नाटक के जरिए आवाज़ उठाने की ज़रूरत है।”
ताहिर अहमद ने साहिर की ग़ज़ल और गीति की भावना को आज पॉपुलर मीडिया की ज़रूरत कहा।
फ़ैज़ अली शाह ने कहा,
“साहिर की शायरी अपने दौर की हक़परस्त शायरी व आवाज़ उठाने वाली बेहतरीन शायरी थी।”
कार्यक्रम में प्रेरणा चौहान और अनिल चौहान ने साहिर के गीतों की प्रस्तुति की। वैभव प्रताप ने ‘परछाईंयां’ रचना का पाठ किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर रामवीर सिंह ने करते हुए साहिर की शायरी को वक़्त की जरूरत कहा। कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य ग़ज़लकार अशोक रावत ने दिया। कार्यकम में मंच संचालन डॉ. विजय शर्मा ने किया। इस कार्यक्रम में आगरा शहर के विभिन्न लेखक, संस्कृतिकर्मी और साहिर के गज़ल और गीतों को मोहब्बत करने वाले लोग मौजूद रहे।
छाया चित्र-असलम सलीमी