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कृति चर्चा-परिचर्चा गोष्ठी संपन्न, काव्यगोष्ठी में बही काव्य सरिता

ब्रज पत्रिका, आगरा। नगर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार कन्हैयालाल अग्रवाल ‘आदाब’ के निवास पर एक गोष्ठी ‘कृति चर्चा परिचर्चा’ का आयोजन डॉक्टर राजेंद्र मिलन की अध्यक्षता में हुआ। गोष्ठी का शुभारंभ सुशील सरित की सरस्वती वंदना से हुआ। गोष्ठी में डॉ. रमेश आनंद की कृति ‘बच्चों की दुनिया’ और डॉ. असीम आनंद की कृति ‘मानस मन के’ एवं ‘सत्यम शुभम् सुंदरम्’ पर चर्चा-परिचर्चा की गई।

परिचर्चा का प्रारंभ करते हुए डॉक्टर राजेन्द्र मिलन ने कहा,

“डॉक्टर रमेश आनंद की कृति की कवितायें सभी उम्र के बच्चों का मनोरंजन और ज्ञानवर्धन करती हैं।”

डॉ. अशोक अश्रु ने कहा,

“डॉ. असीम आनंद ‘मानस मन के’ के सृजन के लिए बधाई के पात्र हैं क्योंकि उन्होंने एक महाकाव्य जैसे सागर को एक छोटी सी गागर में समेट कर रख दिया है।”

कवि परमानंद शर्मा ने असीमानंद की कृति ‘सत्यम शुभम् सुंदरम्’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि,

“बड़ों की अपेक्षा छोटे बच्चों के लिए लिखना बड़ा जटिल कार्य है जिसे डॉ. असीम ने बखूबी निभाया है।”

सुशील सरित ने कहा कि,

“बाल साहित्य पर समय-समय पर कार्यशाला आयोजित होती रहनी चाहिए ताकि बाल साहित्यकारों का उत्साहवर्धन हो और साहित्यकारों को बच्चों के लिए अच्छी कहानियां, कविताएं, नाटक आदि लिखने की ऊर्जा प्राप्त हो सके।”

कन्हैया लाल ने कहा,

“मूल रूप से मैं ग़ज़लकार हूँ, लेकिन मुझे बच्चों का साहित्य बहुत अच्छा लगता है अभी-अभी मुझे रमेश आनंद की बच्चों की दुनिया प्राप्त हुई उसमें मुझे उनकी गुब्बारे वाले, मां, पापा, लहर, प्यासा, कौवा आदि रचनाओं ने बहुत प्रभावित किया। डॉ. असीम की कृति ‘सत्यम शुभम् सुंदरम्’ में सभी रचनाएं मनमोहक हैं जिसके लिए वह बधाई के पात्र हैं।”

दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया

काव्य गोष्ठी का शुभारंभ सुशील सरित की पंक्तियों “जिंदगी ना मिलेगी दोबारा, कहता है जोगी का इकतारा, साज यह सुरीला इसे छेड़ो हौले हौले, जैसे छेड़ता हो कोई बंजारा…” से हुआ। परमानंद शर्मा के शब्द थे-“मिला बहुत थोड़ा लेकिन काफी ज्यादा छूट गया…”, डॉ. शैल बाला ने भी इसी संदर्भ को आगे बढ़ाते हुए कहा-“बचपन की गुड़िया छूटी/ दुवारा बचपन को जब पाया जब मेरी गोद में मेरी गुड़िया आई…”, कन्हैयालाल अग्रवाल ‘आदाब’ ने कहा- “बहुत दिनों से कोई ग़ज़ल गाई नहीं है…” डॉक्टर अशोक अश्रु के स्वर थे-“बनो तुम भारत के वीर जवान…” डॉ. असीम आनंद की कविता को भी सराहा गया। धन्यवाद डॉ. शैल बाला अग्रवाल ने दिया।

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