‘आगरा छावनी’ पुस्तक एक महत्वपूर्ण इतिहास को समेटे है, कई नई जानकारियों से परिपूर्ण भी है यह पुस्तक
होटल ग्रांड में संस्कृतिप्रेमी अरुण डंग की पुस्तक ‘आगरा छावनी’ पर हुई चर्चा।
स्वरांजलि कार्यक्रम में मशहूर कवियों की रचनाओं की संगीतबद्ध प्रस्तुति हुई।
ब्रज पत्रिका, आगरा। “पुस्तक ‘आगरा छावनी अंग्रेजों से पहले और अंग्रेजों के बाद’ गागर में सागर की तरह इस विषय पर पहली पुस्तक है, और इतनी सूचनापरक है कि आश्चर्य होता है कि किसी अन्य रचनाकार का इससे पहले इस ओर ध्यान क्यों नहीं गया है।”
यह उदगार कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अंडमान निकोबार से पधारे इलियास अहमद खान ने इस पुस्तक के विषय में व्यक्त किये।
प्रमुख वक्ता नीरज जैन ने कहा कि,
“लालकुर्ती का इतिहास पहली बार इस पुस्तक में मिला, लेखक इसके लिए बधाई के पात्र हैं।”
डॉ. राजेंद्र मिलन ने कहा,
“अरुण डंग एक समर्थ लेखक हैं और वह जो भी लिखते हैं, वह एक शोधकार्य होता है।”
विशिष्ट अतिथि राजीव पाल ने कहा,
“पुस्तक की भाषा इतनी सहज और सरल है कि पाठक एक बैठक में इसे खत्म कर देगा।”
रचनाकार अरुण डंग ने कहा कि,
“यह एक कर्ज था मेरी इस जन्मभूमि का, जिसको मैंने इस प्रकार उतारा है।”
‘स्वरांजलि’ में कवियों की रचनाओं की मनोहारी संगीतबद्ध प्रस्तुति
‘स्वरांजलि’ कार्यक्रम में दिवंगत कवियों की रचनाओं की संगीतबद्ध प्रस्तुति हुई। समय की सरित में लिए नाव अपनी…द्वारका प्रसाद माहेश्वरी के गीत को डॉ. आन्श्वना सक्सेना ने प्रस्तुत किया। रीते उर छलके कहां, मन गागर सो रंग, भारी नेह सो सहज ही हिलुर भीजे अंग…रानी सरोज गौरिहार एवं चौधरी सुखराम सिंह के गीत “चलते-चलते पथ से मुझको आवाज न दो…को प्रेरणा केशव तालेगांवकर ने प्रस्तुत किया। उनका साथ दिया शुभ्रा तलेगांवकर ने। जगत प्रकाश चतुर्वेदी के गीत “जब-जब देखा ताज किसी की सुधियां घिर आईं…लवेश अग्रवाल ने प्रस्तुत किया। सुशील सरित एवं पूजा तोमर ने भी कई रचनाकारों के गीतों की संगीतबद्ध प्रस्तुति दीं। उन्होंने निखिल सन्यासी का गीत “दिन बहुत ही हो गए गीत गाए हुए…! डॉ. बीडी राजोरिया की गजल “तकदीर बदल जाएगी तदवीर तो करो…! प्रताप दिक्षित का गीत “तुम मुझको पहले मिल जाते…!” पुरुषोत्तम अग्रवाल का गीत “राधिका झूला झूले…प्रस्तुत किया। तबले पर संगत की राज मैसी ने की।
शुरुआत में इस कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित करके अरुण डंग, रामकुमार अग्रवाल और शशि शिरोमणि ने किया। अतिथियों का स्वागत दुर्ग विजय सिंह दीप, गायत्री ने किया। सरस्वती वंदना डॉ.आन्शवना सक्सेना ने प्रस्तुत की। इस अवसर पर चंद्रशेखर शर्मा, डॉ. रमेश आनंद, डॉ. असीम आनंद, रुचि शर्मा, पूजा सक्सेना, प्रेम राजावत, शीलेंद्र वशिष्ठ, लोचन चौधरी, राजेश दीक्षित, विनय बंसल, योगेश शर्मा, रवि शिरोमणि, विजया तिवारी, डॉ. सुषमा सिंह, रमा वर्मा, अशोक अश्रु, सुधाकर रजनी सिंह, नीतू. संजय गुप्ता, शरद गुप्ता, डॉ.महेश धाकड़ आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। धन्यवाद ज्ञापित किया अशोक अश्रु ने और मंच संचालन सुशील सरित ने किया।