साहित्य

इतिहासकार डॉ. अपर्णा पोद्दार की पुस्तक ‘राष्ट्रीय आंदोलन और उत्तर प्रदेश की महिलाएं’ का विमोचन होटल होली डे इन में हुआ

ब्रज पत्रिका, आगरा। स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है, लेकिन इतिहास में उनकी भूमिका को अपेक्षित रुप से रेखांकित नहीं किया गया है। वर्तमान पीढ़ी को अपने सही, तथ्यात्मक एवं प्रेरक इतिहास से अवगत कराने के लिए इतिहास के पुनर्लेखन की आवश्यकता है।

यह विचार वक्ताओं ने अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति (ब्रज प्रांत) की होटल होली-डे इन में आयोजित एक संगोष्ठी में व्यक्त किए। संगोष्ठी का विषय था, ‘राष्ट्रीय आंदोलन एवं उत्तर प्रदेश की महिलाएं’, आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में इतिहासविद डा.अपर्णा पोद्दार की अंग्रेजी में लिखी पुस्तक “नेशनल मूवमेंट एंड वूमेन आफ उत्तर प्रदेश- 1920-47” का लोकार्पण भी किया गया। पुस्तक की भूमिका इतिहासकार प्रो.सुगम आनंद ने लिखी है।

सौ पेज की इस पुस्तक में उन महिलाओं का जिक्र है, जो महात्मा गांधी की आवाज से घरों से निकल कर स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़ी थीं। सत्याग्रह के साथ-साथ क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल महिलाओं का भी पुस्तक में हेतु उल्लेख किया गया है। ये महिलाएं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से भी थीं और उच्च वर्ग से भी। ऐसी बहुत सी महिलाओं की चर्चा इस पुस्तक में है, जो इतिहास में कहीं दर्ज नहीं हैं। इसके लिए डा.अपर्णा ने उन महिलाओं व उनके परिजनों के साक्षात्कार लेकर जानकारी एकत्र की है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत सरकार के कानून एवं न्याय राज्य मंत्री प्रो.एसपी सिंह बघेल थे। उन्होंने कहा कि,

“आजादी के अमृत महोत्सव में इतिहास के विकृत रूप को संवारने का काम कराया जा रहा है। तभी नई पीढ़ी वास्तविक इतिहास से अवगत हो सकेगी। विचारों के युद्ध में पुस्तक अस्त्र का काम करेंगी। महिलाओं ने कंधे से कंधा मिला कर पुरुषों के साथ स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी की। इतिहास को बहुत ईमानदारी के साथ प्रकाशित किया जाना चाहिए। स्वतंत्रता के पश्चात परिस्थितियों में आए बदलाव को देख लगता है कि भारत में महिला सशक्तिकरण दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा अच्छा हुआ है।”

अध्यक्षता करते हुए इतिहासकार प्रो. सुगम आनंद ने कहा कि,

“देश में इतिहासकारों ने स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं के योगदान को आलेखित नहीं किया। अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति द्वारा इतिहास के अल्प ज्ञात और अज्ञात पहलुओं को प्रकाश में लाया जा रहा है जिससे स्वाधीनता आंदोलन के सेनानियों की समुचित जानकारी से नई पीढ़ी प्रेरणा ले सकें।”

मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (भारत सरकार) के सदस्य सचिव प्रो.कुमार रत्नम ने इतिहास के अनुसंधान पर विस्तृत चर्चा की। प्रो.कुमार रत्नम ने कहा कि,

“इतिहास को कुछ लेखकों ने अपने वाद और अपनी व्यक्तिगत विचारधारा से प्रभावित किया।”

उन्होंने स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद द्वारा आयोजित की जा रही शोध संगोष्ठीयों और प्रकाशनों की जानकारी देते हुए उपस्थित इतिहासकारों से स्थानीय इतिहास पर आधारित लेखों को आमंत्रित किया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए भारतीय इतिहास संकलन समिति के ब्रज प्रांत महामंत्री डा.तरुण शर्मा ने स्वाधीनता आंदोलन में आगरा की महिलाओं के ऐतिहासिक प्रसंगों की चर्चा की। प्रारंभ में इतिहासकार और लेखिका डा.अपर्णा पौद्दार ने सभी का स्वागत किया। डा.रुचि अग्रवाल ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत की। प्रतिष्ठित फिजीशियन व आकांक्षा समिति की अध्यक्ष डा. प्रीति गुप्ता और आकांक्षा समिति की उपाध्यक्ष स्मिता सिंह ने भी विचार व्यक्त किए। जेएनयू, नई दिल्ली की प्रो.मीता नारायन ने भी स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में स्वाधीनता सेनानी सरोज गौरिहार, विनीत नारायन (वृंदावन), वरिष्ठ फिजीशियन डा.एमसी गुप्ता, पूर्व विधायक सतीशचंद गुप्ता, अरुण डंग, इतिहासकार प्रो. विशन बहादुर (अलीगढ़) को सम्मानित किया गया। स्वागत करने वालों में अरविंद पोद्दार, आदर्श नंदन गुप्त, विनायक पोद्दार, कार्तिकेय, आरती मेहरोत्रा, डा.मनोज परिहार, सुनील सिंह, भूपेंद्र राघव, शारदा गुप्ता, श्वेता आदि शामिल थे। इस अवसर पर डा.रंजना बंसल, रेणुका डंग, डा.मुनीश्वर गुप्ता, डा.संदीप अग्रवाल, मुकेश जैन, प्रेमचंद जैन, डा.गिरधर शर्मा, डा.विनोद माहेश्वरी, डा.रेखा पतसारिया, डॉ.महेश धाकड़, पवन आगरी आदि उपस्थित रहे।

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