फागुन मेरी बाँहों में आ, मादक पलाश सा दहक गया…
संरचना सोशल फाउंडेशन के होली मिलन समारोह में बही काव्य रसधार।
ब्रज पत्रिका, आगरा। संरचना सोशल फाउंडेशन द्वारा गुरुवार शाम आगरा कैंट स्थित ग्रांड होटल में होली मिलन समारोह आयोजित किया गया। समारोह में एक ओर होली गीतों ने समाँ बाँधा, वहीं दूसरी ओर काव्य की रसधार ने सब को भावविभोर कर दिया।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मधु भारद्वाज ने होली की खुमारी का अहसास कुछ यूँ व्यक्त किया-
“फागुन मेरी बाँहों में आ, मादक पलाश सा बहक गया। बंधन लाजों के टूट गए, मन बहक गया तन दहक गया।”
पम्मी सडाना ने निराश मन में इन पंक्तियों से उम्मीद जगाई-
“मुस्कुरा, वो परिंदा उड़ा है
सुमन के खिलने का मौसम है
मुस्कुरा कि ये दरख़्त खड़ा है।”
दीक्षा रिसाल ने होली के रंग में मोहब्बत का रंग कुछ इस तरह घोला-
“दिल की हर बात निगाहों में उतर जाने दे। अबकी होली में मुझे हद से गुजर जाने दे। मेरे चेहरे पर कोई दूसरा न रंग चढ़े। रंगत-ए-इश्क से तू मुझको निखर जाने दे।”
हास्य कवि पवन आगरी ने उत्तराखंड सीएम के बयान पर कुछ इस तरह व्यंग्य कसा-
“फटी जींस और टूटी गिटार
‘तीरथ’ यात्रा हो गयी बेकार”
डॉ. नीतू चौधरी और श्रुति सिन्हा की कविताएँ भी बेहद सराही गईं। आरंभ में डॉ. मधु त्रिवेदी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। काव्य पाठ के सत्र का संचालन वरिष्ठ कवि रमेश पंडित ने किया।
संस्था के उपाध्यक्ष अवनीश अरोड़ा ने होली गीत सुनाकर सबको झूमने पर मजबूर कर दिया। वहीं उन्होंने होली का संदेश देते हुए कहा कि,
“हर इंसान का अपना एक अलहदा रंग होता है। जब सारे रंग इकट्ठे होते हैं तो हिंदुस्तान बनता है।”
श्री अरोड़ा ने संस्था का परिचय देते हुए बताया कि,
“संरचना सोशल फाउंडेशन विभिन्न विधाओं में प्रतिभाशाली बच्चों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और विमेन इक्वलिटी का अभियान चला रही है।”
समारोह की अध्यक्षता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रानी सरोज गौरिहार ने की। एसपी सिटी की धर्मपत्नी श्रुति वार्ष्णेय बोत्रे मुख्य अतिथि रहीं। सचिव प्रतीक्षा शर्मा और रोहित कत्याल ने सभी का स्वागत किया। विजय भदौरिया और अरविंद सिंह भी मौजूद रहे।