UA-204538979-1

मीराबाई के  जन्म दिवस की पूर्व बेला में सजी सांस्कृतिक संध्या, मीरा एक उपन्यास का हुआ विमोचन

ब्रज पत्रिका, आगरा। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा  के कम्युनिटी रेडियो 90.4 एमएसडब्ल्यू एवं साहित्य संगीत संगम आगरा के संयुक्त तत्वाधान में 30 अक्टूबर को भक्त कवियत्री मीराबाई के  जन्म दिवस की पूर्व बेला में एक आयोजन जेपी सभागार खंदारी में संपन्न हुआ। आयोजन का शुभारंभ माँ वाणी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कुलपति प्रो. अशोक मित्तल, एसएस यादव, श्रीकृष्ण, डॉ. राजेंद्र मिलन, लेफ्टिनेंट कर्नल राजेश चौहान ने संयुक्त रूप से किया।

स्वागत करते हुए प्रो. लवकुश मिश्रा ने कहा कि,

“उत्तर प्रदेश में प्रथम बार मीराबाई के जन्म दिवस पर कोई कार्यक्रम  आयोजित करना हम सबके लिए सौभाग्य की बात है।”

कुलपति प्रो. अशोक मित्तल ने कहा,

“यद्यपि बचपन से ही मीरा को पढ़ते रहे हैं, सुनते रहे हैं किंतु उनका जन्मदिन शरद पूर्णिमा पर होता है, इसका उन्हें भान नहीं था।”

कुलपति ने सुशील सरित की नवीनतम कृति ‘मीरा एक उपन्यास’ का विमोचन भी किया और कहा कि,

“इस कृति से मीरा के संबंध में बहुत सारे तथ्य और सत्य  सामने आएंगे।”

इसके उपरांत आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘मीरा के प्रभु गिरिधर नागर’ का शुभारंभ मां सरस्वती की वंदना पर नृत्य प्रस्तुत कर आरती ने किया। इसके उपरांत पदों का गायन प्रारंभ हुआ।

जेपी सभागार में मीरा के पदों की प्रस्तुति देते हुए सुशील सरित, पूजा तोमर, आरती, सुभाष सक्सेना, परमानंद शर्मा।

कार्यक्रम आयोजक सुशील सरित ने आली माह्ने लागे वृंदावन नीको…। मीई री मैंने लिए गोविंदा मोर…। मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई…पद प्रस्तुत किए। सुभाष सक्सेना ने दरस बिन तरसत नैन हमारे…। गली तो चारों बंद हो गई मैं पी से मिलूं कैसे जाय…। पूजा तोमर ने जो तुम तोड़ो पिया मैं नहीं तोड़ूं…। पायो जी मैंने राम रतन धन पायो…प्रस्तुत किए। उसके उपरांत एक समूह गीत “कैसी जादू डारी” – सुशील सरित, सुभाष सक्सेना, पूजा तोमर, आरती ने प्रस्तुत किया। तबले पर संगत परमानंद शर्मा ने की।

कार्यक्रम का संचालन प्रो. लवकुश मिश्रा ने किया, सहयोग दिया तरुण श्रीवास्तव ने। धन्यवाद ओम प्रकाश धाकड़ उर्फ ‘लार्ड साहब’ ने दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!