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तूने ओ रंगीले कैसा जादू किया, पिया पिया बोले मतवाला जिया…

‘एक शाम लता जी के नाम’ कार्यक्रम में गायकों ने उनके गाये गीतों को अपनी आवाज़ में पेश किया।

पार्श्व गायिका लता मंगेशकर के जन्म दिवस की पूर्व संध्या में उन्हें समर्पित “एक शाम लता जी के नाम” कार्यक्रम संपन्न।

ब्रज पत्रिका, आगरा। साहित्य संगीत संगम और भारतीय बैंकर्स क्लब के संयुक्त तत्वावधान में विश्व की सर्वप्रिय श्रेष्ठतम पार्श्व गायिका लता मंगेशकर के जन्म दिवस की पूर्व संध्या में उन्हें समर्पित “एक शाम लता जी के नाम” कार्यक्रम संपन्न हुआ। शुभारंभ लखनऊ से उदिता ने लता मंगेशकर की गाई हुई सरस्वती वंदना पर नृत्य कर एवं साहित्य संगीत संगम के चेयरमैन डॉ. राजेंद्र मिलन ने सभी कलाकारों का स्वागत कर किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध गायिका शोभी माथुर ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा,

“निसंदेह लता जी इस धरती पर स्वर का अवतार हैं। ऐसी स्वर साधिकायें युगों में पैदा होती हैं। संस्था ने उनके जन्मदिवस पर उनके ही गाए हुए गीतों द्वारा उन्हें शुभकामनाएं दी हैं, इसके लिए संस्था साधुवाद की पात्र है।”

आयोजन में लखनऊ से सोनी दलेला ने प्रस्तुत किया “किसी राह में किसी मोड़ पर कहीं चल ना देना तू छोड़कर”,  डॉ. असीम आनंद ने प्रस्तुत किया “हे मां तू कितनी अच्छी है तू कितनी भोली है”, अरुषिका श्रीवास्तव ने फिल्म शोर का नगमा “एक प्यार का नगमा है मौजों की रवानी है” प्रस्तुत किया। “रुके रुके से कदम “को पेश किया अंशु शर्मा ऩे।बिलासपुर से श्रेया पांडे ने “जिंदगी प्यार का गीत है इसे हर दिल को गाना पड़ेगा”, सुशील सरित ने सरस्वतीचंद्र फ़िल्म का गीत “चंदन सा बदन चंचल चितवन” प्रस्तुत किया।

शिवानी सक्सेना और आरना शर्मा ने “अजीब दास्तां है यह गीत प्रस्तुत किया। सुजाता ने “तूने ओ रंगीले कैसा जादू किया” प्रस्तुत  किया। डा. प्रदीप श्रीवास्तव ने गजल पेश की।संजय गुप्ता ने फिल्म ‘दो आंखें बारह हाथ’ फ़िल्म का गीत “ऐ मालिक तेरे बंदे हम” प्रस्तुत किया तो नीता दानी ने “रात और दिन दिया जले” की प्रस्तुति दी।

एक और खूबसूरत ग़ज़ल “हमने देखी है इन आंखों की महकती खुशबू” जसपाल सिंह और राकेश नागर ने पेश की। ओम मिलन ने प्रस्तुत किया “ए मेरे दिले नादां तू गम से न घबराना”, सिमरन ने गाया “मेरे ख्वाबों में जो आए”, फिल्म पाकीजा का गीत “मौसम है आशिकाना” को पूजा तोमर ने तो शिल्पी शर्मा ने “आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे” प्रस्तुत किया।

धनवाद से अमिताभ चरण सिन्हा ने गाया “उनको यह शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते”, निमिशा स्वरूप ने गाया “लग जा गले से फिर ये हंसी रात हो ना हो”,  गौहर इस्लाम ने पेश किया “ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना”, शिल्पी शर्मा ने “आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे” प्रस्तुत किया।

संचालन सुशील सरित ने किया। धन्यवाद सुधीर शर्मा ने ज्ञापित किया। तकनीकी सहयोग दिया राहुल सिंह ने दिया।

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