लोकेश की शहनाई के सुरों से फ़िज़ां हुई मदमस्त, आस्था के सुरों ने रोशन की ‘निनाद’ महोत्सव की सुरमयी एक शाम
द्वि-दिवसीय 58वें निनाद महोत्सव में पं. लोकेश आनंद की अत्यंत सुरीली शहनाई एवं आस्था गोस्वामी ने विलक्षण गायन से जादू बिखेरा।
ब्रज पत्रिका, आगरा। पं. रघुनाथ तलेगांवकर फाउंडेशन ट्रस्ट, आगरा एवं ललित कला संस्थान ( डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा) के संयुक्त तत्वावधान में संगीत कला केंद्र, आगरा एवं प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ के सहयोग से अमृत महोत्सव के अंतर्गत अखिल भारतीय महर्षि पं. विष्णु दिगंबर संगीत सम्मेलन का आयोजन जे. पी. सभागार, आगरा में किया गया। यह समारोह संस्थान की अध्यक्ष रहीं स्व. रानी सरोज गौरीहार को समर्पित किया गया है।
द्विदिवसीय 58वें ‘निनाद’ संगीत महोत्सव का उद्घाटन प्रो. आशु रानी (कुलपति, डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा) ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पं. रघुनाथ जी, स्व. सुलभा जी, संगीत नक्षत्र पं. केशव रघुनाथ तलेगांवकर जी एवं संगीत महर्षि पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर जी के चित्र पर माल्यार्पण करके किया।
कार्यक्रम का प्रारंभ संगीत कला केंद्र के संगीत साधकों ने सरस्वती वंदना, पं. रघुनाथ तलेगांवकर द्वारा रचित विष्णु स्तवन “विष्णु दिगंबर भूलोक गंधर्व” एवं संगीत नक्षत्र पं. केशव तलेगांवकर जी द्वारा रचित निनाद वंदना “सुरमई निनाद आया” का सुमधुर गायन प्रतिभा तलेगांवकर एवं शुभ्रा तलेगांवकर के कुशल निर्देशन में किया। इस कार्यक्रम में आर्ची, कल्पना ठाकुर, नीपा साहा, मिथलेश शाक्य, ईशा सेठ, सौम्य, नैना तलेगाँवकर, हर्षित आर्य, जतिन नागरानी, गोपाल मिश्र, पवन कुमार, आश्वनि कुमार ने भाग लिया। संवादिनी पर पं. रविन्द्र तलेगांवकर एवं तबले पर डॉ. लोकेंद्र तलेगांवकर ने कुशलतापूर्वक संगत की। तदोपरांत ललित कला संस्थान, आगरा के छात्र-छात्राओं ने देवाशीष गांगुली के निर्देशन में नाद वंदना एवं तराना की प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. आशु रानी का ट्रस्ट की प्रबंध न्यासी प्रतिभा तलेगांवकर ने शॉल ओढ़ाकर, संस्था के अध्यक्ष विजयपाल सिंह चौहान ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर संस्थान की स्मारिका ‘स्मृति’ का विमोचन किया गया। पं. रघुनाथ जी द्वारा लिखी ‘सुलभ बाल संगीत’ पुस्तक का भी लोकार्पण किया।
‘सबरस’ संगीत संध्या का शुभारंभ मंगल वाद्य शहनाई वादन से प्रारंभ हुआ। दिल्ली के मशहूर शहनाई वादक लोकेश आनंद ने राग हेमंत में विलंबित एकताल, मध्यलय तीनताल एवं द्रुत लय में बंदिश प्रस्तुत की तथा तदोपरांत पारंपरिक धुन प्रस्तुत कर वातावरण को संगीतमय बना दिया। उनके साथ तबले पर श्रुतिशील उद्धव ने विशेष तैयारी के साथ संगत की। पं. केशव तलेगांवकर की स्मृति में स्थापित ‘संगीत नक्षत्र’ के सम्मान से भी लोकेश आनंद को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के अंत में पद्म विभूषण गिरिजा देवी की सुयोग्य शिष्या आस्था गोस्वामी ने शास्त्रीय गायन में राग केदार विलंबित एवं मध्यलय एवं तराना, राग देस में ठुमरी और पद्म विभूषण गिरिजा देवी जी की प्रसिद्ध रचना “केसा जादू डाला” की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ तबले पर कुशलतापूर्वक संगत अजराड़ा घराने के उस्ताद अख्तर हसन ने करके कार्यक्रम को ऊँचाइयों तक पहुँचाया। निनाद संगीत महोत्सव में नारायण राव अत्रे जी की स्मृति में स्थापित ‘संस्कृति संवाहक’ के मानद सम्मान से शास्त्रीय संगीत गायिका आस्था गोस्वामी को सम्मानित किया गया। समारोह में वरिष्ठ पत्रकार आदर्श नंदन गुप्त, डॉ. महेश धाकड़, मधुकर चतुर्वेदी, अम्बरीष पटेल, पूजा सक्सेना, मनोज कुमार, गजेंद्र सिंह चौहान, अरविंद कपूर, योगेश शर्मा, वत्सला प्रभाकर, प्रो. लवली शर्मा, डॉ. रेखा कक्कड़, प्रो.रवि भटनागर आदि मौजूद थे।
निनाद संगीत महोत्सव के द्वितीय दिवस के कार्यक्रम
आगरा। रविवार 11 दिसंबर की प्रातः कालीन नाद साधना सभा में इंदौर की चित्रांगदा अग्ले रेशवाल पखावज वादन, डॉ. संतोष नाहर वायलिन वादन तथा सांयकालीन गुरु एम. एल. कौसर स्मृति सभा में दिल्ली के डॉ. अविनाश कुमार गायन, पद्म विभूषण पं. बिरजू महाराज जी की शिष्या डॉ. गरिमा आर्य कथक नृत्य प्रस्तुत करेंगी।