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मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत हैं भूमिका की कविताएं-सोम ठाकुर

ब्रज पत्रिका, आगरा। भूमिका जैन ‘भूमि’ की प्रथम कृति ‘उन्वान तुम्हीं दे देना’ (समग्र संग्रह) का विमोचन प्रख्यात कवि और गीतकार प्रोफेसर सोम ठाकुर के कर कमलों द्वारा उनके निवास पर मंगलवार को संपन्न हुआ। इस अवसर पर कवि एवं साहित्यकार नंदू भदौरिया मदहोश (इटावा), साहित्यकार एवं संपादक (मासिक पत्रिका, हिचकी) डॉ. अमी आधार ‘निडर’, कवि एवं गीतकार कुमार ललित, सोम जी की पुत्री नीरांजना एवं दामाद, उनकी धर्मपत्नी सुमन लता, त्रिशला जैन, अतिन जैन, स्वस्ति जैन, स्वास्तिक जैन, ज़ुबैर अली उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन मे मशहूर कवि-गीतकार प्रो. सोम ठाकुर ने कहा कि,

“भूमिका जैन ‘भूमि’ की प्रारंभ से लेकर अंत तक की समूची काव्ययात्रा के साक्षी हूँ। उनकी इस पुस्तक मे जीवन और मानवीय संवेदनाओं सहित मूल्यों के लगभग सभी रंग देखने को मिलते हैं। हिंदी पद्य साहित्य की कई विधायें एक साथ अपने अंदर समेटे यह पुस्तक, निश्चित ही हिंदी साहित्य में एक मील का पत्थर साबित होगी।”

इस अवसर पर प्रो. सोम ठाकुर ने भगवान महावीर के संदेशों से प्रेरित एक गीत का वाचन भी किया, तथा भूमिका जैन ‘भूमि’ को उनके उज्ज्वल साहित्यिक भविष्य के लिए अनेकानेक शुभकामनाएं व आशीर्वाद दिया।

‘उन्वान तुम्हीं दे देना’ पर प्रकाश डालते हुये नंदू भदौरिया मदहोश ने कहा कि,

“बेशक़ ‘उन्वान तुम्हीं दे देना’ एक ऐसी गंगा है जो आज सोम ठाकुर जी जैसे भागीरथ के आशीष से, उन्हीं के निवास से बहकर साहित्य की धरती को और उर्वर करने के लिये बह निकली है। ये कृति निश्चित रूप से अपने आप मे एक मिसाल है, मशाल है।”

कृति के विषय में अपने विचार व्यक्त करते हुये कुमार ललित ने कहा कि,

“पांच वर्ष के अल्प समय मे आगरा के इतिहास में ये 368 पृष्ठों का काव्य संग्रह अपने आप मे पहला ऐसा संकलन है जिसमें काव्य की कई विधायें एक साथ समाहित हैं।”

‘उन्वान तुम्हीं दे देना’ में प्रकाशित रचना, ‘मैं स्त्री हूं’ से अत्यंत प्रभावित होते हुये अपनी शुभकामनाओं में डॉ. अमी आधार ‘निडर’ ने कहा कि,

“हिंदी साहित्य जगत भूमिका जैन ‘भूमि’ से मनचाही उम्मीदें लगा सकता है। वे हिंदी साहित्य की आगामी पीढ़ी में मौजूद रचनाकारों में भूमिका जैन ‘भूमि’ को हिंदी साहित्य की धरोहर को सहेजने और उसे पोषित करने के दृष्टिकोण से, सबसे आगे और सबसे सशक्त, प्रबल और मजबूत उत्तराधिकारी मानते हैं।”

‘उन्वान तुम्हीं दे देना’ की रचनाकार भूमिका जैन भूमि ने अपने वक्तव्य मे सिर्फ इतना कहा कि,

“मेरी ये पहली कृति न तो कोई मंज़िल है, न ही कोई पड़ाव, ये एक शुरुआत है। शुरुआत उस संकल्प की जो उन्हें हिंदी साहित्य की सेवा के लिए निरंतर प्रेरित करता है, और करेगा। वे कोई कवयित्री नही हैं। सिर्फ वो लिखा, जो मां वाणी ने लिखवाया है।”

त्रिशला जैन (सासू मां, भूमिका जैन) ने अपना आशीर्वाद अपनी पुत्रवधू को दिया। भूमिका जैन भूमि की सुपुत्री स्वस्ति जैन ने कहा कि उन्हें गर्व है कि वो भूमिका जैन की सुपुत्री हैं। अंत मे भूमिका जैन के पति अतिन जैन ने सबको धन्यवाद और आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन कवि कुमार ललित ने किया।

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