जीती-जागती माँ की कदर नहीं तो, तुझे कैसे सुख का गुलिस्तान मिलेगा?
आगरा राइटर्स एसोसिएशन ने आगरा क्लब में पूजा आहूजा कालरा के दो काव्य-संग्रह ‘उम्रदराज खिड़कियाँ’ और ‘तमाशबीन’ किए लोकार्पित।
कविताओं से मानवीय सरोकारों और सामाजिक संदेशों की अभिव्यक्ति सराहनीय : मधु बघेल
पाठकों के हृदय तक पहुँचने वाली हैं मन की ये सहज-सरल अनुभूतियाँ : रमेश पंडित
ब्रज पत्रिका, आगरा। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था आगरा राइटर्स एसोसिएशन द्वारा शनिवार को आगरा क्लब में पूजा आहूजा कालरा के बोधि प्रकाशन, जयपुर से प्रकाशित दो काव्य संग्रहों- ‘उम्रदराज खिड़कियाँ’ और ‘तमाशबीन’ का आगरा के गणमान्य साहित्यकारों द्वारा एक साथ लोकार्पण किया गया।
समारोह की मुख्य अतिथि समाजसेविका मधु बघेल ने इस अवसर पर कविताओं द्वारा मानवीय सरोकारों और सामाजिक संदेश दिए जाने की सराहना की।
अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आरएस तिवारी ‘शिखरेश’ ने कहा कि,
“जीवन की समग्रता को अपने आँचल में समेटे इन रचनाओं में एक सचेत, सजग एवं यथार्थवादी रचनाकार ध्वनित है। रचनाकार ने भावुकता में भी संयम की डोर थामी है। बिम्ब प्रधानता एवं भाव प्रवणता अनूठी है।”
लोकार्पित कृतियों की समीक्षा करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार रमेश पंडित ने कहा कि,
“इन कविताओं में भाषा की लाग-लपेट नहीं है। मन की अनुभूतियों की यह सहज-सरल कहन अपनी संपूर्ण अभिव्यक्ति के साथ पाठकों के हृदय तक पहुँचने वाली है। ये कविताएँ अपनी समस्त संवेदनाओं के साथ अंतस तक गहरे पैठने की क्षमता रखती हैं।”
रीता शर्मा ने तमाशबीन की समीक्षा करते हुए कहा कि,
“यह संग्रह भावनाओं, संवेदनाओं, प्रकृति की सुकुमारता, सामाजिक कुरीतियों, विद्रूपताओं, बनते-बिगड़ते मानवीय रिश्तों के साथ नारी की गरिमा, अस्तित्व और सशक्तीकरण का जीवंत दस्तावेज है।”
विशिष्ट अतिथि पारुल महाजन, वरिष्ठ साहित्यकार साधना वैद, डॉ. त्रिमोहन तरल और सुरेंद्र वर्मा ‘सजग’ ने भी पूजा आहूजा कालरा की रचनाधर्मिता को सराहते हुए शुभकामनाएं दीं।
रचनाकार पूजा आहूजा कालरा ने काव्य कृतियों के प्रकाशन में बेटे समर्थ कालरा के योगदान की सराहना करते हुए इस अवसर पर अपनी शीर्षक रचनाओं के काव्य पाठ से सबकी चेतना के तारों को झंकृत कर दिया-
“इंसानियत घोंट चुकी जब गला ख़ुद का, तुझे इंसां में कहां भगवान मिलेगा। जीती- जागती मां की कदर नहीं तो, तुझे कैसे सुख का गुलिस्तान मिलेगा?”
पूजा आहूजा कालरा द्वारा प्रस्तुत ‘नाच’ कविता की इन पंक्तियों पर भी सब वाह वाह कर उठे-
“नृत्यांगना बन नाचती और नचाती है। ज़िंदगी तू अपना जलवा खूब दिखाती है!”
अलका अग्रवाल और पूनम भार्गव जाकिर ने लोकार्पित कृतियों से चुनिंदा कविताओं का पाठ कर सबको भाव विभोर कर दिया। संगीता अग्रवाल ने सुमधुर शारदे वंदना प्रस्तुत की। संचालन वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अनिल उपाध्याय ने किया। सुखदेव लाल कालरा, देवेंद्र कालरा, किशन कालरा, चंदन, समिधा, समर्थ, सेजल, जिविषा और अयांश कालरा ने व्यवस्थाएँ संभालीं। डॉ. सुषमा सिंह, रमा वर्मा, डॉ. शशि गोयल, भरतदीप माथुर, नाहर सिंह शाक्य, रेखा कक्कड़, सुनीता चौहान, रोहित कत्याल, रेखा गौतम, आभा चतुर्वेदी, प्रेम लता मिश्रा सहित शहर के बहुत से गणमान्य साहित्यकार उपस्थित रहे।