राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ शिक्षाविद् और साहित्यकार डॉ. अरुणा गुप्ता के चार काव्य संग्रह एक साथ लोकार्पित
लोक गीतों में कवयित्री का भावुक और संस्कृति प्रेमी मन हुआ मुखर: डॉ. कमलेश नागर
विविध विषयों की सरस एवं हृदय ग्राही अभिव्यक्ति है ‘उद्गार’-डॉ. शैलबाला अग्रवाल
‘मन वीणा के स्वर’ देते हैं सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा- डॉ. मधु भारद्वाज
हृदय की जागृत तंत्रिकाओं से निसृत ‘अंतर्ध्वनि’ ही है हमारा सृजन-डॉ. अरुणा गुप्ता
ब्रज पत्रिका, आगरा। सर्वश्रेष्ठ प्रधानाचार्य के लिए राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ शिक्षाविद् और साहित्यकार डॉ. अरुणा गुप्ता की अब तक 14 साहित्यिक कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें से हाल ही में प्रकाशित होकर आए चार कविता संग्रह- ‘अंतर्ध्वनि’, ‘उद्गार’, ‘मन वीणा के स्वर’ और ‘हमारी सांस्कृतिक धरोहर लोकगीत’ का लोकार्पण एक साथ रविवार को सिकंदरा स्थित होटल के.एस. रॉयल में ताजनगरी के गणमान्य साहित्यकारों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर लोकार्पित कृतियों की समीक्षा करते हुए डॉ. कमलेश नागर ने कहा कि,
“लोकगीत हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। इनको सहेजने में कवयित्री का भावुक और संस्कृति प्रेमी मन मुखर हुआ है।”
डॉ. शैलबाला अग्रवाल ने कहा कि,
“कवयित्री ने विविध विषयों की सरस एवं हृदय ग्राही अभिव्यक्ति की है। उनका चिंतन पक्ष अत्यंत स्पष्ट है।”
डॉ. मधु भारद्वाज ने कहा कि,
“काव्य संग्रह ‘मन वीणा के स्वर’ की कविताएँ संस्कार और पौराणिकता को स्पर्श करती हुई वैज्ञानिकता के तर्क पर खरी उतरती हैं। यह कविताएँ सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा देती हैं।”
कुँवर अनुराग की अनुपस्थिति में उनकी समीक्षा को डॉ. शैलबाला अग्रवाल ने प्रस्तुत करते हुए कहा कि,
“अरुणा जी की प्रत्येक रचना पाठक को नया व शोधपरक दृष्टिकोण प्रदान करती है और पाठक अनायास ही उनकी रचना से जुड़ जाता है।”
डॉ. कुसुम चतुर्वेदी के शुभाशीष को कुमार ललित ने पढ़कर सुनाया,
“अरुणा! अरुण समान जिया है तुमने निज जीवन। कर पाई हो इसीलिए सच! इतना प्रेरक सृजन।”
मन की बात करते हुए डॉ. अरुणा गुप्ता ने कहा कि,
“कविता मन के विभिन्न भावों को प्रकट करने का सशक्त माध्यम है। हृदय की जागृत तंत्रिकाओं से निसृत अंतर्ध्वनि ही हमारा सृजन होता है।”
समारोह की अध्यक्ष स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व नागरी प्रचारिणी सभा की सभापति रानी सरोज गौरिहार, मुख्य अतिथि मधु बघेल (केंद्रीय राज्य मंत्री प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल की धर्मपत्नी) और अंतर्राष्ट्रीय गीतकार सोम ठाकुर ने अरुणा जी के सार्थक और उद्देश्यपरक साहित्य सृजन की मुक्त कंठ से सराहना करते हुए उनको साधुवाद दिया।
शुरू में मां शारदे की सुमधुर वंदना और अंत में आभार व्यक्त करने की भूमिका का सुंदर निर्वाह युवा चिकित्सक डॉ. शुभांजलि सेन ने किया। कवि कुमार ललित ने संचालन किया।
कार्यक्रम संयोजक डॉ. संजय सेन और डॉ. अलका सेन के साथ डॉ. अंशुमन रॉय ने अतिथियों का स्वागत किया। इस दौरान वरिष्ठ साहित्यकार और पूर्व जिला जज स्वर्गीय एसएस यादव का भी भावपूर्ण स्मरण किया गया।
समारोह में हिंदुस्तानी अकादमी के सदस्य राज बहादुर सिंह ‘राज’, डॉ. शांति नागर, डॉ. राजकुमारी चौहान, हरिमोहन सिंह कोठिया, आदर्श नंदन गुप्त, परमानंद शर्मा, डॉ. रेखा कक्कड़, अशोक अश्रु और निखिल पब्लिशर्स के मोहन मुरारी शर्मा सहित कई गणमान्य साहित्यकार मौजूद रहे।