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बॉलीवुड डांस कोरियोग्राफर सरोज खान ने लंबे समय तक फिल्मी सितारों को डांस में चमकाया

ब्रज पत्रिका, आगरा। बॉलीवुड की मशहूर डांस कोरियोग्राफर सरोज खान का 72 वर्ष की आयु में तीन जुलाई को निधन हो गया। उनका जन्म 22 नवंबर 1948 में मुम्बई में हुआ। हिंदी सिनेमा में उन्हें सम्मान बतौर मदर ऑफ डांस कोरियोग्राफी भी पुकारा जाता है। बताया जाता है कि कुछ दिन पूर्व 17 जून को उन्हें गुरु नानक हॉस्पिटल बांद्रा, मुम्बई में सांस लेन में शिकायत के बाद भर्ती कराया था, वहीं शुक्रवार देर रात 1.52 बजे कार्डियक अरेस्ट की वजह से उनकी मृत्यु हो गयी। कुछ दिन पूर्व उनका कोरोना टेस्ट भी हुआ, लेकिन नेगेटिव आया।

सरोज खान का आगरा से भी गहरा जुड़ाव रहा था, आगरा उनका कई बार आना हुआ था। उनके आगरा में आगमन के दौरान ही तीन बार उनसे मिलने का मुझे सुअवसर मिला था। एक बार वह इस्माईल दरबार, किशन महाराज के साथ आयीं। यहाँ उन्होंने अपने इंस्टीट्यूट की फ्रैंचाइज़ी दी थी, उसके ही सिलसिले में यहाँ प्रशिक्षण के लिए रुकी भी थीं। एक बार वह ग्लैमर लाइव इवेंट्स द्वारा आयोजित एक डांस वर्कशॉप में वह बतौर सेलेब्रिटी प्रशिक्षक और जज ग्रैंड फिनाले में पधारीं थीं।

डांस कोरियोग्राफर सरोज खान ने बॉलीवुड के कई कलाकारों को डांस सिखाया। इनमें माधुरी दीक्षित व श्रीदेवी सहित कई बड़ी हीरोइनें शामिल थीं। श्रीदेवी को मिस्टर इंडिया, नागिन और चाँदनी फ़िल्म में नृत्य के स्टेप्स सिखाये, जिसके चलते श्रीदेवी सिनेमा में छा गयीं। माधुरी दीक्षित को तेज़ाब, थानेदार और बेटा फ़िल्म में नृत्य के स्टेप्स सिखाये इसके चलते माधुरी दीक्षित ने लंबे समय तक दर्शकों के दिल-ओ-दिमाग पर राज किया था। बाद में 2014 में फ़िल्म गुलाब गैंग में भी माधुरी को डांस में सरताज़ बनाया। सरोज खान ने करियर में करीबन 2000 से भी ज्यादा फिल्मी गानों की कोरियोग्राफी की थी।

सरोज खान का असल में नाम तो निर्मला नागपाल था। पिता का नाम किशनचंद सद्धू सिंह और मां का नोनी सद्धू सिंह। विभाजन बाद सरोज खान का परिवार पाकिस्तान से भारत आया। सरोज ने मात्र 3 साल की उम्र में बतौर बाल कलाकार फिल्मों मेें काम करना शुरू कर दिया। पहली फिल्म नजराना थी इसमें श्यामा नामक बच्ची का किरदार निभाया। हालांकि 50 के दशक में सरोज ने बतौर बैकग्राउंड डांसर नृत्य करना शुरू किया। उन्होंने मशहूर कोरियोग्राफर बी.सोहनलाल के साथ डांस की ट्रेनिंग ली थी, जिनसे महज़ 13 साल की उम्र में ही आगे चलकर शादी कर ली। सोहनलाल उस वक़्त 43 साल के थे।

सन 1974 में रिलीज फिल्म ‘गीता मेरा नाम’ से सरोज खान स्वतंत्र कोरियोग्राफर बनीं, हालांकि उनके काम को लंबे वक्त बाद पहचान मिली। बॉलीवुड फिल्मों के अलावा उन्होंने टेलीविजन पर भी अपनी धमक कायम रखी थी। रियलिटी शो नच बलिए में वह बतौर जज आयीं। इसके बाद में उस्तादों के उस्ताद, नच ले वे, वूगी वूगी और झलक दिखला जा में दिखीं। सरोज खान ने सन 1989 से 1991 तक तीन साल लगातार फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड पाकर हेटट्रिक लगाई, उन्होंने आठ फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड हासिल किए। ये अवार्ड उनको फ़िल्म गुरु, देवदास, हम दिल दे चुके सनम, खलनायक, बेटा, सैलाब, चालबाज़, तेज़ाब के गानों की कोरियोग्राफी के लिए मिले थे। 2002 में उनको आउट स्टैंडिंग अचीवमेंट इन फीचर फिल्म लगान:वन्स अपॉन आ टाइम इन इंडिया के लिए मिला था।

 

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