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‘नफ़रती चिंटूओं’ की बदौलत मेरा नाम ज़िंदा है-स्वरा भास्कर

ब्रज पत्रिका। अपने विवादित बयानों को लेकर अकसर चर्चा में बनी हुई स्वरा भास्कर इन दिनों अपनी वेब सीरीज ‘रसभरी’ को लेकर सुर्ख़ियों में हैं। जिस तरीके से सोशल मीडिया पर लोग उनकी सीरीज को ट्रोल कर रहे हैं, उस पर स्वरा का कहना है कि जो लोग शो की निंदा कर रहे हैं, उन्होने शो देखा ही नही है। न्यूज़-18 इंडिया से इंटरव्यू में उन्होने कहा कि लोग शो के द्वारा उनकी निंदा करना चाहते हैं। “सांकेतिक और उत्तेजित करने वाली चीज़ें तो हम कब से देख रहे हैं। इस शो में कोई न्यूड सीन नही है। क्या ‘चोली के पीछे’ गाना सांकेतिक नही था? वो तो 94 में आया था। इससे ज़्यादा उत्तेजित करने वाले सीन्स के साथ सेंसर बोर्ड ने फिल्में पास की हैं। ये बनावटी कॉंट्रोवर्सी है।”

ट्रोल्स को जवाब देते हुए उन्होने कहा कि ये ‘नफ़रती चिंटू’ उनका नाम मीडिया में ज़िंदा रखते हैं. “इन नफ़रती चिंटूओं की बदौलत मेरा नाम और मेरी पहचान फिल्मों पर निर्भर नहीं है। मैं फिल्म करूँ या ना करू, न्यूज़ में रहती हूँ। रसभरी की पब्लिसिटी जितनी इन लोगों ने करी है, मुझे नही लगता खुद हमने करी है, ”उन्होने कहा हाल ही में सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की खबर से फिल्म इंडस्ट्री सकते में हैं। उनकी आत्महत्या की वजह को लेकर रोज़ नए बयान आ रहे हैं और साथ ही कई कयास लगाए जा रहे हैं।

स्वरा के मुताबिक दुख को दूसरों के एजेंडे के लिए इस्तेमाल नही होने देना चाहिए। “किसी शो में किसने कोई बेकार सा जवाब दे दिया ठिठोली में या किसी व्यर्थ सी पार्टी में नही बुलाया, मुझे नहीं लगता सुशांत ऐसा इंसान था, जो इन चीज़ों को लेकर ऐसे दुख में जाता। करण जौहर चाहे लाख बुरे हों, मुझे नहीं पता, लेकिन उन पर कत्ल का इल्ज़ाम लगाना थोड़ा ज़्यादा है। ऐसे लोगों को डिप्रेशन की समझ नही है, और वो सुशांत का स्तर गिरा रहे हैं।” उन्होने कहा कि सुशांत संघर्षशील नहीं थे, न ही असफल थे।“ वो बहुत बड़ी कामयाबी की कहानी है, हमें ये याद रखना चाहिए, हमें उसे सेलीब्रेट करना चाहिए।”

एक्ट्रेस कंगना रनौत के चापलूसी वाले बयान पर स्वरा ने कहा, “चापलूसी तो उनकी होती है जो लोग सत्ता में होते हैं, हमें पता है चापलूसी कौन कर रहा है।” नेपोटिज़म पर चल रहे विवाद के बारे में स्वरा का कहना है कि नेपोटिज़म हर जगह होता है, लेकिन सबको अवसर मिलना चाहिए। “मेरा मानना है कि फिल्म इंडस्ट्री नेपोटिस्टिक नहीं है, सामंतवादी है।” उनके मुताबिक एक अभिनेता को स्टार, दर्शक ही बनाते हैं। “मैं जनता से पूछना चाहती हूँ, नवाज़ (नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी) की फिल्म ‘मोती चूर का लड्डू’ का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन बताइए, सुशांत की ‘सोन चिरैया’ का बताइए, राजकुमार की ‘ट्रॅप्ड’ का बताइए, दूसरी तरफ ‘धड़क’ का बताइए, ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ का बताइए, अगर आपको इतनी दिक्कत है स्टार चिल्ड्रेन से, तो क्यों उनको और बड़ा स्टार बना रहे हो? क्यों जा रहे हो उनकी फिल्में देखने?”

हाल ही में स्वरा मुंबई से दिल्ली अपने घर पहुँची। इसके बाद उन्होने प्रवासी मज़दूरों की मदद भी की है। उन्होने कहा कि जब वो घर जा रही थीं तो उन्हें दिखा इस लॉकडाउन के दौरान घर पहुँचना कितना मुश्किल है। “मैं अपनी गाड़ी में आराम से घर आ गयी, लेकिन घर जाना सबके लिए आसान नही था!

2020 में भी घर जाना जैसा काम मुश्किल है लोगों के लिए! इसलिए मुझे लगा कि हमें मदद करनी चाहिए।” उन्होंने सरकारी महकमों और पुलिस की मदद से बहुत से प्रवासी मज़दूरों को अपने घर पहुँचाया। उन्होने कहा, “अगर नियत हो तो सिस्टम काम कर सकता है।”

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