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बच्चों को दादी-नानी से मिलता है जीवन का अमूल्य ज्ञान

ब्रज पत्रिका। मशहूर शायर राहत इंदौरी का एक शेर है, बुज़ुर्ग कहते थे एक वक़्त आएगा जिस दिन, जहाँ पे डूबेगा सूरज वहीं से निकलेगा…बात गहरी है, क्योंकि एक परिवार, पीढ़ियों दर पीढ़ी आगे बढ़ता है। घर के बुजुर्गों से लेकर नवजात बच्चे तक, हम सभी रिश्तों की एक ऐसी डोर में बंधे होते हैं, जिसका धागा खुद ऊपरवाला ही बनाकर भेजता है। और फिर घर में बड़े बुजुर्गों का साथ भी किस्मत से ही नसीब होता है। आज जब पूरा विश्व कोरोना महामारी के प्रकोप से जूझ रहा है। तब बुजुर्गो का एक अलग ही महत्व समझ में आता है। आज की मॉडर्न दुनिया में जब बुजुर्गों द्वारा दिया गया, कोहनी से मुँह ढांक कर खांसने का नुस्खा ही हमारे काम आया, तब अहसास हुआ कि जीवन की कुछ ख़ास बातें, सिर्फ घर के बड़े बुजुर्ग ही सिखा पाते हैं।
बचपन की छुट्टियों में दादी-नानी के घर की गई शरारतें हम सभी के जहन में जीवनभर के लिए घर कर लेती हैं। ख़ास चीज ये है कि इस दौरान हम खेल-खेल में न जाने कितनी ही अच्छी बातें और नई आदतें सीख जाते हैं, जिसका अहसास हमें जीवन के हर मोड़ पर होता है। इन दिनों लॉक डाउन के कारण सारी व्यवस्थाएं उथल पुथल हो रखी हैं। शिक्षण संस्थानों से लेकर कारखानों तक, सब पर ताला जड़ा हुआ है। वहीँ इस दौरान स्कूली बच्चों को भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा है। स्कूल तो बंद हैं ही, साथ ही ऐसे मौकों पर नानी-दादी के घर जाना भी मुश्किल हो गया है।

#NaniKiPathshala कैंपेन का संचालन कर रहे पीआर 24×7 के फाउंडर श्री अतुल मलिकराम के मुताबिक़, शिक्षा सिर्फ स्कूलों की चार दीवारी से ही प्राप्त नहीं होती बल्कि घर के बड़े बुजुर्ग ही अपने आप में विश्विद्यालय होते हैं। जिनके द्वारा दिया गया ज्ञान, जिंदगी के हर कठिन मोड़ पर हमारा साथ देता है। #NaniKiPathshala कैम्पेन के जरिए लोगों को बड़े बुजुर्गों के अनुभव को महत्व देने के प्रति प्रेरित किया जा रहा है। बेशक यह वक़्त, हमें अपनों के करीब लाने के नजरिये से महत्वपूर्ण रहा है लेकिन इसने हमें अपनी दो पीढ़ियों के साथ रहने की महत्वता को भी समझने का मौका दिया है। वायरस के प्रसार को रोकने के लिए, इस दौरान बुजुर्गों और बच्चों का ख़ास ख्याल रखा जा रहा है। अतुल मलिकराम बताते हैं कि यह वक्त, बच्चों के ग्रैंड पैरेंट्स के साथ रहने का भी है। आज जब स्कूल-कॉलेज बंद हैं, तब हम अपने बच्चों को उनके दादा-नाना के माध्यम से जीवन के कुछ ऐसे गुण सिखा सकते हैं, जो उन्हें हर विपरीत परिस्थिति में लड़ने का हौसला देंगे। जब बच्चे अपनी दादी-नानी के यहां होते हैं तब कितनी सारी अच्छी बातें और आदतें, खेल-खेल में ही सीख जाते हैं। इन आदतों का पता उन्हें जिंदगी की कठिनाईयों में लगता है। लेकिन आज के दौर की फास्टट्रैक फैमिली में बच्चों को अपनी दादी-नानी का वो लाड़-प्यार नहीं मिल पाता, जिसका असर बच्चों के व्यक्तित्व पर भी साफ दिखाई देता है। इसलिए बच्चों की जिंदगी में दादी-नानी के रिश्ते की अहमियत और जरूरत को समझना तथा समझाना, दोनों बेहद जरूरी है। हम सभी जानते हैं कि बच्चे माता-पिता से ज्यादा अपने ग्रैंड पैरेंट्स के करीब होते हैं। आज के तेजी से बदलते युग में बच्चों के लिए ग्रैंड पैरेंट्स की पाठशाला की अहमियत अत्यधिक बढ़ जाती है। हमारे बच्चे जीवन के सबक के बारे में किसी किताब से नहीं बल्कि दादी-नानी से ही सीखते-समझते हैं। जैसे भगवान के आगे हाथ जोडना, बड़ों का सम्मान करना, छोटो से प्यार करना, खुद की पहचान याद कराने जैसी बातें, बच्चों को उनके बड़े बुजुर्ग ही समझाते हैं। इसके अलावा सामाजिक रीति-रिवाजों और धार्मिक संस्कृति का ज्ञान भी हमारे बच्चों को नानी-दादी से ही प्राप्त होता है। फिर हम सभी जानते ही हैं कि शिक्षा एक ऐसा विषय है, जिसे किसी बंदिश में नहीं रखा जा सकता। ऐसे में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने बच्चों को अनुभव की पाठशाला से रूबरू कराएं।
इसी उद्देश्य के साथ #NaniKiPathshala कैंपेन को चलाया जा रहा है। जिससे जुड़कर नानी-दादी के अद्भुत ज्ञान से अपने बच्चों समेत अन्य लोगों को भी प्रेरित किया जा रहा है। #NaniKiPathshala कैंपेन का हिस्सा बनने के लिए लिंक पर क्लिक करें।

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