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निनाद-2019 में दिखा सुर और ताल का सुखद सुहावना संगम

आगरा, ब्रज पत्रिका
सूर सदन में चल रहे निनाद संगीत महोत्सव में देश के विभिन्न हिस्सों से पधारे संगीतज्ञों ने अपनी कला साधना की ऊंचाईयों से रसिकों को झंकृत कर दिया।
प्रातःकालीन नाद साधना संगीत सभा में सोलापूर के पं.आनंद बदामीकर ने अपनी विलक्षण वादन शैली में तबले पर तीन ताल में विभिन्न घरानों की वादन शैली प्रस्तुति कर आनंदानुभूति कराई।
कानपुर से पधारे पं. विनोद द्विवेदी ने राग बिलासखानी तोड़ी में जागे भाग शबरी आज चारताल में रचना चरन पड़े अब तो राखो पति अब तो किरवानी में वृंदावन बिहारी की प्रस्तुति से आनंदित कर दिया। पखावज पर थे गौरव शंकर, गायन में साथ दिया अक्षय शुक्ला, आशुतोष पांडे ने।
प्रातःकालीन सत्र का समापन किया बनारस से पधारी डॉ. कमला शंकर ने। आपने राग शुद्ध सारंग में विलंबित मध्य दुृत रचना प्रस्तुति से झंकृत कर दिया। तबला संगति की पं. आनंद बदामीकर ने। गिटार में साथ दिया अनिल सैनी ने।
यह सभा संगीत रसिक चरन सरन भटनागर को समर्पित की गई।
सायंकाल आयोजित प्राचीन कला केंद्र के संस्थापक एमएल कौसर को समर्पित संगीत सभा में मुंबई के युवा वायलिन वादक मानस कुमार ने अपने वादन से समां बांध दिया। तबले पर थे श्रुति शील उद्धव। कोलकाता के सौरव दास ने भरतनाट्यम की सशक्त प्रस्तुति से आनंदित कर दिया। अंतिम प्रस्तुति के रूप में धारवाड से पधारे जयतीर्थ मेवुंडी ने अपनी अनौखी गायन शैली में रचनाओं कोप्रस्तुत कर समां बांध दिया। संवादिनी पर थे रवींद्र तलेगांवकर।
संस्था की ओर से सम्मान किया अरविंद कपूर, अनिल वर्मा, रानी सरोज गौरीहार एस.एस. यादव, डॉ. मंगला मठकर, डॉ. शशि यादव, प्रतिभा तलेगांवकर ने।
कार्यक्रम को वाणी से उद्धोषित किया श्रीकृष्ण जी ने। संयोजक पं. केशव तलेगांवकर ने रसिकों का आभार प्रकट किया।
विशिष्ट अतिथियों में प्रसिद्ध होम्योपैथी चिकित्सक डॉ आर.एस. पारीक समाजसेवी पूरन डाबर, आकाशवाणी के निदेशक नीरज जैन सहित बडी संख्या में रसिकों की उपस्थिति रही।
निनाद संगीत महोत्सव में अंत में सामूहिक रूप से रघुपति राघव राजाराम की प्रस्तुति की गई।

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