‘सप्तरंग’ में मनमोहक रहा साहित्य संगीत का संगम
आगरा, ब्रज पत्रिका
साहित्य संगीत संगम के तत्वावधान में सप्तरंग का आयोजन होटल ग्राण्ड में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ संस्कृति प्रेमी अरुण डंग, कवि प्रो.सोम ठाकुर, गांधीवादी शशि शिरोमणि एवं साहित्यकार डॉ.राजेन्द्र मिलन ने माँ वाणी को माल्यार्पण कर किया। वाणी वंदना भी प्रो. सोम ठाकुर ने प्रस्तुत की।
इसके उपरांत शुरू हुआ ऐसे अनमोल गीतों की प्रस्तुति का सिलसिला जिन्हें अमर गीत माना जाता है । बेकरार करके हमें यूं न जाइए आपको हमारी कसम लौट आईए (हेमंत कुमार ), मेरे साजन है उस पार मैं मन मार हूं इस पार (एसडी बर्मन ) जलते हैं जिसके लिए तेरी आंखों के दिए (तलत महमूद) के गीतों को सुशील सरित ने प्रस्तुत किया।
पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे, ओ मेरे दिल के चैन, चैन आए मेरे दिल को दुआ कीजिए, कहना है कहना है आज तुमसे एक बार, तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है आदि रफी साहब और किशोर दा के गीत अश्वनी शिरोमणि और दिनेश कुमार ने प्रस्तुत किए। अजीब दास्तां है ये कहां शुरू कहां ख़तम और रिमझिम के गीत सावन गाए जैसे सदाबहार गीत मधु शर्मा के स्वर में और अफसाना लिख रही हूं दिले बेकरार का, चार दिनों का प्यार ओ रब्बा बड़ी लंबी जुदाई जैसे गीत पूजा तोमर के स्वर में प्रस्तुत हुए। मन्ना डे साहब का गाया हुआ गीत नदिया चले चले रे धारा चंदा चले चले रे तारा तुझको चलना होगा और मुकेश जी का कालजई गीत जीना यहां मरना यहां इसके सिवा जाना कहां समवेत स्वरों में प्रस्तुत किया गया। संगत की बोर्ड पर पप्पू खान ने, गिटार पर हरीश ने, पैड पर रिंकू और तबले पर राज मैसी ने की।
आरती और नवीन ने आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किए। इस अवसर पर नगर की उभरती हुई रचनाकार दिव्या जैन की प्रथम काव्य कृति ‘एहसास और अल्फाज’ का विमोचन भी किया गया ।कृति के विषय में उल्लेख करते हुए अशोक अश्रु ने बताया कि आज की युवा पीढ़ी जिन संवेदनाओं को जी रही है और जिन समस्याओं का सामना कर रही है वे भावनात्मक स्तर पर जब कविता की शक्ल अख्तियार करते हैं तो एहसास और अल्फाज जैसी कृति सामने आती है। प्रो. सोम ठाकुर ने कहा कि रचनाकार में अनंत संभावनाएं हैं। अतिथियों का स्वागत सुधीर शर्मा और कमलेश जैन ने किया। धन्यवाद दिया ओम प्रकाश धाकड़ ने।
इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित थे ऐलेश अवस्थी, डॉ. अरुण उपाध्याय, डॉ.रमेश आनंद, विजयलक्ष्मी शर्मा, महेश कुमार, प्रेम राजावत, रमा वर्मा, सुशील अग्रवाल, अनिता कुशवाहा, अंजुल कुलश्रेष्ठ आदि मौजूद थे।