मातृभाषा का क्षरण होने लगा, व्यथित हिंदी व्याकरण होने लगा
स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव की कड़ी में संस्कार भारती-रामबाग ने हिंदी दिवस पर किया आयोजन।
ब्रज पब्लिक इंटर कॉलेज में गूँजे चेतना के स्वर, कवियों ने अपनी भाषा और देश के प्रति जगाया अनुराग।
अमर शहीद खजान सिंह और भारतीय संस्कृति के संवाहक अजय कुमार अवस्थी का किया गया भाव पूर्ण स्मरण।
ब्रज पत्रिका, आगरा। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव की कड़ी में संस्कार भारती रामबाग द्वारा हिंदी दिवस पर ट्रांस यमुना कॉलोनी फेज-2 स्थित ब्रज पब्लिक इंटर कॉलेज में चेतना के स्वर कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। एक ओर कवियों ने मातृभाषा और अपने देश के प्रति अनुराग जगाया, वहीं अमर शहीद खजान सिंह और भारतीय संस्कृति के संवाहक अजय कुमार अवस्थी का भावपूर्ण स्मरण किया गया। विशेषकर संस्कार भारती की केंद्रीय टीम द्वारा संस्कार भारती के समर्पित कार्यकर्ता अजय अवस्थी को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।
संस्कार भारती के अखिल भारतीय साहित्य प्रमुख राज बहादुर सिंह ‘राज’ ने स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव पर प्रकाश डाला। इससे पूर्व संस्कार भारती के संस्थापक पद्मश्री योगेंद्र दा और मुख्य अतिथि व केंद्रीय हिंदी संस्थान की निदेशक प्रोफेसर बीना शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। निकिता श्रीवास्तव ‘खुशबू’ ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
समारोह की मुख्य अतिथि और केंद्रीय हिंदी संस्थान की निदेशक प्रोफेसर बीना शर्मा ने हिंदी के प्रचार-प्रसार में अजय अवस्थी के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि,
“हमने एक सच्चा राष्ट्रभक्त खो दिया है।”
संस्कार भारती रामबाग के वरिष्ठ संरक्षक मलखान सिंह तोमर, अध्यक्ष राम अवतार यादव, कोषाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद गोयल, कार्यक्रम संयोजक लक्ष्मीकांत शर्मा और प्रखर अवस्थी ने सभी अतिथियों और कवियों का हार्दिक स्वागत किया। समारोह में संस्कार भारती के प्रांतीय कोषाध्यक्ष आशीष अग्रवाल, श्रीमती मीनू अवस्थी, प्रज्ञा अवस्थी, यशोधरा यादव ‘यशो’, गुंजन जादौन और कामेश सनसनी भी मौजूद रहे।
समारोह में ये रचनायें पेश कीं मौजूद कवियों ने
वरिष्ठ कवि डॉ. शेषपाल सिंह ‘शेष’ ने हिंदी की दुर्दशा को व्यक्त किया-
“मातृभाषा का क्षरण होने लगा। व्यथित हिंदी व्याकरण होने लगा। प्रवर भाषा संस्कृत है विश्व की। प्रगति उन्नति आहरण होने लगा…!”
लोकप्रिय कवि भोलू भूषण “रागी” ने हिंदी भाषा को सशक्त बनाने का संदेश दिया-
“सूर और तुलसी ने सजाया सँवारा जिसे। मिलना उसे हर प्रांत प्यार आज चाहिए। खंड-खंड हिंदी की बिंदी ना होवे कभी। ऐसा संविधान में सुधार आज चाहिए…!”
युवा शायर राकेश निर्मल ने प्रेम और अपनेपन का संदेश दिया-
“हर किसी के दिल पर अपनी, इतनी हिस्सेदारी हो। हम अगर रो दें, हँसाना सबकी जिम्मेदारी हो…!”
निकिता श्रीवास्तव ‘खुशबू’ ने नारी सशक्तिकरण की बानगी दी-
“आरंभ हुआ जब सृष्टि का, तुम सृष्टि की ढाल बनीं। समय-समय कालांतर में, बदलते समय की चाल बनीं। खिलवाड़ हुआ यदि लाज का, सृष्टि का न सृजन होगा। तेरे दामन की सिसकी से, केवल और केवल पतन होगा…!”
डॉ. यशोयश ने राग बोध को व्यक्त किया-
“मिल गए हमसफर, हर खुशी मिल गई। मेरे महबूब की गुम गली मिल गई…!”
ब्रज पब्लिक इंटर कॉलेज के छात्र कुलवंत सिंह की कविता भी दिल छू गई। कवि सम्मेलन का संचालन राकेश निर्मल ने किया। कुमार ललित मीडिया समन्वयक रहे।