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जब मैं न रहूँ, मेरी कविताओं में तुम ढूँढ़ लेना मुझे…!

युवा कवयित्री एवं शिक्षिका वीणा अब्राहम सिंह के प्रथम काव्य संग्रह ‘ख्वाबों के सुनहरे पल’ का यूथ हॉस्टल सभागार में आगरा के प्रमुख कवि- साहित्यकारों ने किया लोकार्पण

आगरा राइटर्स एसोसिएशन, काव्य सृजन एवं खिदमत वेलफेयर सोसाइटी ने किया संयुक्त रूप से आयोजन

प्रेम की धुरी पर टिक कर अतीत और वर्तमान के बीच सेतु-साधना है ख्वाबों के सुनहरे पल: डॉ. जयसिंह नीरद

ब्रज पत्रिका, आगरा। आगरा राइटर्स एसोसिएशन, काव्य सृजन एवं खिदमत वेलफेयर सोसायटी के संयुक्त बैनर तले ताजनगरी की युवा कवयित्री एवं शिक्षिका वीणा अब्राहम सिंह के प्रथम काव्य संग्रह ‘ख्वाबों के सुनहरे पल’ का लोकार्पण शनिवार को संजय प्लेस स्थित यूथ हॉस्टल सभागार में आगरा के नामचीन कवि- साहित्यकारों द्वारा किया गया।

यूथ हॉस्टल में वीणा अब्राहम सिंह के काव्य संग्रह का लोकार्पण करते आगरा पब्लिक स्कूल के चेयरमैन महेश शर्मा, रमेश पंडित, केएमआई के पूर्व निदेशक डॉ. जयसिंह नीरद, डॉ. मधु भारद्वाज, रीता शर्मा एवं अन्य।

केएमआई के पूर्व निदेशक और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जय सिंह नीरद ने मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन देते हुए कहा कि,

“कृति ‘ख्वाबों के सुनहरे पल’ प्रेम की धुरी पर टिक कर अतीत और वर्तमान के बीच एक सेतु बना पाने की छटपटाहट को जीती और भोगती है।”

समीक्षा करते हुए डॉ. मधु भारद्वाज ने कहा कि,

“वीणा जी की कविताएँ आधुनिक एवं पुरातन संस्कारों का अद्भुत संगम हैं। ये कविताएँ संवेदना के पटल पर झंकृत होती हैं।”

अपनी समीक्षा में रीता शर्मा ने कहा कि,

“इन रचनाओं का भाषा-शिल्प सहज, सरल और स्पष्ट है। भावों में पूर्ण पारदर्शिता है जो कि संप्रेषणीयता में पूर्ण सफल रहे हैं। रचनाओं के भाव पाठकों के मर्म को स्पर्श करने में पूरी तरह से सक्षम हैं।”

विशिष्ट अतिथि जनकवि पंडित गिरीश अश्क ने कहा कि,

“वीणा जी की कविता के बिम्ब, प्रतीक और उनकी बनावट इतनी सहज है कि उसे किसी भी प्रकार की सूक्ष्म व्याख्या अथवा संदर्भ ग्रंथ की सहायता की आवश्यकता नहीं।”

वरिष्ठ कवि रमेश पंडित ने अध्यक्षीय उद्बोधन में भाषा और वर्तनी की शुद्धता पर जोर देते हुए कहा कि,

“हम किसी भी भाषा का प्रयोग करें, चाहे वह उर्दू हो या कोई अन्य भाषा, उसका प्रयोग हिंदी व्याकरण के अनुसार होना चाहिए। साथ ही मानक वर्तनी को प्राथमिकता पर रखना चाहिए।”

आगरा पब्लिक स्कूल के चेयरमैन डॉ. महेश शर्मा विशिष्ट अतिथि रहे। संगीता अग्रवाल ने माँ शारदे की वंदना प्रस्तुत की। अलका अग्रवाल ने लोकार्पित कृति से चुनिंदा कविताओं का पाठ किया। संयोजन एवं संचालन डॉ. अनिल उपाध्याय ने किया।

डॉ. अनिल उपाध्याय ने इस मौके पर कहा कि,

“काव्य संग्रह ‘ख़्वाबों के सुनहरे पल’ कवयित्री के ख़्वाब की एक ख़ूबसूरत सी ताबीर है। वीणा जी की कविता अहसास की कविता है जो हमारी संवेदनाओं को झकझोरती है।”

यही मेरी कविताएँ हैं-वीणा

लोकार्पित कृति की रचनाकार वीणा अब्राहम सिंह ने अपनी भावनाओं को कुछ यूँ व्यक्त किया-

“मेरी हर कविता मेरे रूप-रंग में ढली है, जब मैं न रहूँ मेरी कविताओं में तुम ढूँढ़ लेना मुझे…!”

अपने सृजन के बीज-मंत्रों को उद्घाटित करते हुए उन्होंने कहा कि,

“मेरे इस प्रथम काव्य संग्रह की हर कविता जैसे कहीं न कहीं मुझे जीती है। अपने आसपास, अपने परिवेश और अपने समाज में बहुत कुछ ऐसा घटित होते देखा, जो एक संवेदनशील हृदय को प्रभावित कर दे। तब मेरे हृदय में भी इन घटनाओं के प्रभाव से प्रेम, पीड़ा, आक्रोश और करुणा के जो भाव उपजे, वही मेरी कविताएँ हैं।”

कवयित्री के दोनों बच्चों वंदिता सिंह और विश्वजीत सिंह ने अपनी माँ की इस उपलब्धि पर प्रशंसा व्यक्त की और कहा कि वे बहुत गर्व का अनुभव कर रहे हैं। खिदमत वेलफेयर सोसाइटी की अध्यक्ष रीना जाफरी और विनीत सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।

इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार आदर्श नंदन गुप्त, डॉ. महेश धाकड़, गोपाल विनोदी (बरेली), डॉ. अशोक विज, मनुजा डौलन, सुरेन्द्र वर्मा ‘सजग’, राजकुमारी चौहान, गीता यादवेंदु, सुदर्शन दुआ, सीमंत साहू, सुधांशु साहिल, वंदना चौहान, नवीन प्रोशांग भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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