गुरुवर संगीत समारोह में सजी शास्त्रीय संगीत की शानदार सभा, कलाकारों ने प्रस्तुतियों से मन मोहा
ब्रज पत्रिका, आगरा। नगर में प्राचीनतम और 81 वर्षों से शास्त्रीय संगीत के प्रचार-प्रसार में समर्पित संस्था भारतीय संगीतालय द्वारा माथुर वैश्य महासभा भवन, पंचकुइया, आगरा में शास्त्रीय संगीत का एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ समाजसेवी अरुण डंग, होली लाइट पब्लिक स्कूल के निदेशक रवि नारंग, पंडित नरेश मल्होत्रा, अरविंद कपूर, प्रतिभा तलेगांवकर, प्रहलाद, सर्वमिल जयशार एवं सुशीला जयशार, सचिव अशोक राव करमरकर द्वारा मां सरस्वती और भारतीय संगीतालय के संस्थापक पंडित गोपाल लक्ष्मण गुणे जी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वललन करके किया गया।
कार्यक्रम की प्रथम प्रस्तुति प्रसिद्ध संगीतकार पंडित देवेन्द्र वर्मा “ब्रजरंग” रचित सरस्वती वंदना को संगीतालय के छात्र-छात्राओं द्वारा राग भीम पलासी में प्रस्तुत किया गया। तबले पर हरिओम माहौर एवं हारमोनियम पर महेंद्र प्रताप ने संगत की।
बदायूं से आए रामपुर-सहसवान-ग्वालियर घराने के उम्दा कलाकार सितार वादक मुजतबा हसन निसार, जो एक युवा और गतिशील सितार वादक हैं, ने अपने सितार के तारों को झंकृत करके सारे वातावरण में राग रंग घोल दिया। उन्होंने राग यमन में मसीतखानी गत एवं रजाखानी गत बजाई, साथ ही एक ताल में तराना बजाकर सबका मन मोह लिया। अंत में दादरा में धुन बजाकर सभागार में सभी को स्वरों के निर्मल आनन्द से सराबोर कर दिया। उनके साथ तबले पर संगत करने युवा तबला वादक फारुख हुसैन जयपुर से पधारे थे। जिनके रोचक तबला वादन ने सितार के सुरों में चार-चांद लगा दिए।
भारतीय संगीतालय के 81वें वर्षगांठ समारोह में दिल्ली से आईं गायिका रिंदाना रहस्य और अविनाश कुमार ने शास्त्रीय गायन में चुनौतीपूर्ण प्रस्तुति दी, जिसका नाम है, जसरंगी जुगलबंदी। दुर्गा – भोपाली की जसरंगी भी सुनाई। तत्पश्चात एक अत्यंत जटिल राग माला प्रस्तुत कर सभागार में सभी को विस्मित सा कर दिया। दोनों ही दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। दोनों की जुगलबंदी इतनी बेहतरीन थी कि सुनने वालों को लगा कि जैसे कि एक नये लोक में आ गये हों। और तो और दोनों को अलग-अलग संगतकार भी संगत कर रहे थे। तबले पर साथ थे पंजाब एवं दिल्ली घराने के बलराम सिसौदिया तथा दयालबाग विश्वविद्यालय के संगतकार डॉ. भानु प्रताप सिंह। हारमोनियम पर डॉ. ईश्वर सिंह खींची तथा तानपुरे पर वंदना और सोनू मित्तल ने सहयोग दिया। मंच संचालन लीना परमार एवं विभा चौहान द्वारा किया गया। प्राचार्य गजेंद्र सिंह ने सभी को धन्यवाद किया।
कार्यक्रम में डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव, विलास पालखे, धनवंतरी जी, पंडित मोहित, पं. सदानंद, सुधीर नारायण, रमन धाकड़, शिवकुमार, डॉ. गौतम, विलास पालखे, सुभाशीष गांगुली, डॉ. महेश धाकड़ आदि उपस्थित रहे।