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कथावाचक का जीवन चुनौतीपूर्ण है, दुधारी तलवार पर चलने के समान है, लेकिन चलते जाना है-कीर्ति किशोरी

अनुभव निधि आश्रम में दीक्षांत समारोह में संकल्प पत्र और विदाई भेंट प्रदान करके वनवासी क्षेत्रों में कृष्ण कथा सुनाने को विदा किए गए वनवासी कथाकार भाई-बहिन।

श्री हरि सत्संग समिति का कथाकार प्रशिक्षण के द्वारा वनवासी भाई-बहिनों में एक आध्यात्मिक चेतना जागृत करने का प्रयास सराहनीय है-महामंडलेश्वर कृष्णा जी

ब्रज पत्रिका, आगरा। मानव देह पाना अति दुर्लभ है, इसलिए इस जन्म को हमें सार्थक बनाने का प्रयास करना चाहिए। अति किसी भी चीज की बुरी बताई जाती है, लेकिन याद रखें प्रभु भक्ति में अति बुरी नहीं होती। मनुष्य विलासितापूर्ण जीवन से मुक्त होकर भक्तिपूर्ण जीवन जीने का मार्ग अपनाए। काम, क्रोध, लोभ और मोह जैसे विकारों से बचना चाहिए। यह विचार प्रसिद्ध भागवत विदुषी परम श्रद्धेय श्री कीर्ति किशोरी जी ने व्यक्त किए।

वह रविवार की शाम अनुभव निधि आश्रम में वनवासी कथाकार भाई-बहिनों के दीक्षांत समारोह में आशीर्वचन दे रही थीं। देश के 40 करोड़ वनवासियों के उत्थान को समर्पित गांधी शांति पुरस्कार प्राप्त संस्था श्री हरि सत्संग समिति आगरा और श्री हरि सत्संग महिला समिति द्वारा विभिन्न प्रांतों के वनवासी भाई-बहिनों का श्री कृष्ण कथा का प्रशिक्षण संपन्न होने के पश्चात इस दीक्षांत समारोह का उजरई कलां स्थित अनुभव निधि आश्रम में आयोजन किया गया था।

श्री कीर्ति किशोरी जी ने एक शेर का उल्लेख करते कहा-“दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है, मिल जाये तो मिट्टी है, खो जाये तो सोना है!” इस बीच इस दोहे को भी उद्धृत करते हुए सीख दी-“वृक्ष कबहुँ न फल भखै, नदी न संचय नीर। परमार्थ के कारने साधुन धरा शरीर।” उन्होंने नव प्रशिक्षित युवा कथा वाचकों से कहा कथावाचक का जीवन चुनौतीपूर्ण है, दुधारी तलवार पर चलने के समान है। इस राह में सबसे पहले लोग उपहास उड़ाते हैं, फिर आपका विरोध होगा, इसके बाद जब आप इन सबकी परवाह न करते हुए आगे बढ़ते जायेंगे, तो उनके व्यवहार बदल जायेंगे, तब आपकी प्रशंसा होने लगेगी और फिर सभी आपके पीछे दिखाई देंगे, यानि पक्ष में आ जाएंगे। उन्होंने राघवेंद्र सरकार प्रभु श्री रामजी के अवतरण दिवस राम नवमी की शुभकामनाएं देते हुए श्री राम के आदर्शों का पालन करने की सीख दी।

कार्यक्रम में विशेष रूप से पधारीं महामंडलेशर श्री कृष्णा माताजी ने आशीर्वचन में कहा इस कथाकार प्रशिक्षण के द्वारा वनवासी भाई-बहिनों में आध्यात्मिक चेतना जागृत करने का श्री हरि सत्संग समिति का प्रयास सराहनीय है।

शुरुआत में महामंत्री उमेश बंसल ने संस्था की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उपाध्यक्ष मुरारी प्रसाद अग्रवाल ने कहा आज खुद की बेटियों की विदाई जैसा ही दुख हमें आप सभी बेटियों से विदाई लेते हुए हो रहा है। आप जब भी मथुरा-वृन्दावन आएं तो अपने इस घर को न भूलें और निसंकोच पधारें। हम आपको अपने परिवार में पाकर धन्य होंगे। कार्यकारी अध्यक्ष भगवान दास बंसल ने विचार व्यक्त करते हुए कथाकार भाई-बहिनों को उनके कर्तव्य का बोध कराने के लिए प्रभु श्री कृष्ण के संदेश का उल्लेख करते हुए कथा रूपी इस ज्ञान यज्ञ में विषम परिस्थितियों में भी अमूल्य योगदान की आहुति देने का आह्वान किया। कथाकार भाईयों और बहिनों ने अनुभव भी साझा किए। कई भावुक भी हो उठे। सबने कृष्ण कथा को अपने-अपने क्षेत्रों में पहुंचाने का संकल्प दोहराया। महिला समिति की अध्यक्षा अंशु अग्रवाल भी मंचासीन थीं। वरिष्ठ समाजसेवी उद्यमी डॉ. रंजना बंसल बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुईं।

अध्यक्ष शांति स्वरूप गोयल ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सेवाभाव से भक्तिभाव से अपने-अपने क्षेत्रों में सनातन की पताका फहराने का आह्वान किया। इस मौके पर वनवासी भाईयों और बहिनों ने चैतन्य महाप्रभु के हृदयस्पर्शी भजनों और मनोहारी लोक नृत्य की प्रस्तुति से मन मोह लिया। अंत में अतिथियों द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त भाई-बहिनों को उनके संकल्प पत्र और विदाई भेंट वितरित की गईं।

मंच संचालन महिला समिति की महामंत्री रुचि अग्रवाल ने किया। इस अवसर पर संस्था के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल अग्रवाल, कोषाध्यक्ष रमेश मित्तल, संयोजक संजय गोयल, मंत्री संजय मित्तल आदि के अलावा महिला समिति की रश्मि सिंघल, मीनू त्यागी, सीमा अग्रवाल, निशा मंगल, मधु गोयल, राहुल बंसल आदि भी मौजूद थे।

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