साहित्य

सेल्फ हेल्प बुक्स बनती रही हैं मुश्किल वक़्त में सहारा, ऊर्जा से भर देते हैं हताश इंसान को इनके लेखक

आगरा। सेल्फ हेल्प बुक्स के प्रति आकर्षण लोगों का शुरू से रहा है, क्योंकि ये पढ़ने वाले को बेहतर होना सिखाती हैं। इस तरह की पुस्तकों का बिलियन डॉलर का बाजार है। जब जिंदगी में बड़ी चुनौतियां आती हैं उस वक़्त सेल्फ हेल्प पुस्तक एक कारगर सहारा बनती रही हैं। इस तरह की पुस्तकों के लेखक लोगों के दिल-ओ-दिमाग पर एक खास तरह का असर छोड़ते हैं। लोगों में इन पुस्तकों के प्रति खास दीवानगी देखी गयी है। आगरा बुक क्लब की जून माह की बैठक में इन्हीं पुस्तकों और उनके लेखकों पर चर्चा की गई। होटल क्लार्क्स शीराज़ में सम्पन्न इस बैठक के पहले सत्र में कई इन सेल्फ हेल्प बुक्स से जुड़ी जिज्ञासाओं को मिटाने का प्रयास किया गया, मसलन सेल्फ हेल्प क्या होता है, इसकी क्यूँ जरूरत पड़ती है, सेल्फ हेल्प के लिये क्या क्या यूज कर सकते हैं वगैरहा वगैराह। इसके बाद स्वप्ना गुप्ता, कृति बसंतानी, प्राची जैन और अंजली ने अपनी अपनी पसंदीदा पुस्तकों और उनके लेखकों पर चर्चा की। इनके साथ ही इसके उलट विषय पर भी गौर फरमाया गया जब सेल्फ हेल्प काम भी नहीं आता है। क्योंकि सेल्फ हेल्प में कुछ जंकीज़ भी होते हैं। उनपे कोई ध्यान तक नहीं देता है। अंततोगत्वा इस बैठक का सार ये निकला कि खुद की मदद हम खुद ही कर सकते हैं, क्योंकि एक्शन तो आखिर आपको ही लेना पड़ेगा। इसी विषय को लेकर डॉ. शिवानी चतुर्वेदी, रेखा कपूर द्वारा एक स्पूफ भी मंचित किया गया। इसके बारे में डिस्कशन भी किया गया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. हिना कैंथ द्वारा किया गया। संचालन रेखा कपूर ने किया। इस अवसर पर क्लब के सम्मानित सदस्यगण सोनाली खंडेलवाल, डॉ.पल्लवी गुप्ता, रेशमा भटनागर, मोनिका सिंह, अंजली कौशल, आशुतोष विश्वकर्मा, पोरस दिवारा, रिंकी अग्रवाल, अनिका अग्रवाल, आदित्य कौशल व डॉ. महेश चंद्र धाकड़ आदि मौजूद थे।

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