फूल प्राचीन समय से ही सौंदर्य वृद्धि के साथ-साथ औषधि, अध्यात्म एवं सम्मान के साथ जुड़े हुए हैं
ब्रज पत्रिका, आगरा। पुरुषोत्तम दास अग्रवाल स्मृति आयोजन समिति के तत्वावधान में पायनियर फार्म हाउस, सिकंदरा में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ‘एक शाम फूलों के नाम’ कार्यक्रम में रचनाकारों ने फूलों पर केन्द्रित गीत, कविताएं और वार्ताएं प्रस्तुत कर इस कार्यक्रम को यादगार बना दिया। इस अवसर पर महाकवि सूरदास पर रचित सुशील सरित की पुस्तक ‘महाकवि सूरदास’ का लोकार्पण भी किया गया।
कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए राम कुमार अग्रवाल ने कहा कि,
“फूल प्राचीन समय से ही सौंदर्य वृद्धि के साथ-साथ औषधि, अध्यात्म एवं सम्मान के साथ जुड़े हुए हैं। फूलों का साथ हमेशा खुशहाली को कायम करता रहा है।”
चंद्रशेखर शर्मा ने कहा कि,
“प्रत्येक घर फूलों का घर बन सकता है सिर्फ मन में एक संकल्प होना चाहिए। आजकल दीवारों पर भी बेल चढ़ाने की परंपरा है, जिससे घर का वातावरण भी शुद्ध रहता है और यह पर्यावरण भी संतुलित रखता है।”
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि और केंद्रीय हिंदी संस्थान की पूर्व निदेशक प्रो. बीना शर्मा ने कहा कि,
“यह स्थल इस दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है कि यहां एक ओर पेड़-पौधों की लगभग 100 से अधिक किस्में मौजूद हैं। दूसरी ओर मां वाणी का एक ऐसा मंदिर यहां है, जैसा आगरा में दूसरा कहीं नहीं दिखता है।”
पूजा ने कहा,
“फूलों की तरह निखरो, खुशबू की तरह बिखरो, छोटी सी रहगुजर है इस जिंदगी की यारों, इस रहगुजर से हंसते मुस्कुराते हुए गुजरो!”
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार अशोक अश्रु, डॉक्टर असीम आनंद, डॉक्टर रमेश आनंद, हरीश अग्रवाल, महेश गोपाली, माया अशोक, दुर्ग विजय, गायत्री, दयाल प्यारी आदि ने फूलों पर केंद्रित रचनाएं पेश कीं। स्वागत किया रुचिर ऋचा ने। पूजा सक्सेना, विनय सक्सेना, डॉ. महेश धाकड़ आदि उपस्थित रहे।